PM Fasal Bima Yojana: खरीफ सीजन में किसानों की फसलों को खासा नुकसान हुआ. बाढ़, बारिश और सूखे ने किसानों की फसलें बर्बाद कर दीं. इससे किसानों को करोड़ोें रुपये का नुकसान हुआ है. किसानों की मदद के लिए केंद्र व राज्य सरकार लगातार कदम उठा रही है. राज्य सरकार की ओर से आर्थिक कंपनसेशन दिए जा रहे हैं. उधर, प्रधानमंत्री पफसल बीमा योजना के तहत भी नुकसान हुए फसल का आंकलन कर फसल बीमा केंद्र सरकार दे रही है. फसल बीमा योजना से आर्थिक मदद किसानों को मिल जाती है. अब एक और राज्य सरकार ने अपने किसानों को बीमा योजना की सौगात दी है.


छत्तीसगढ़ सरकार ने की फसल बीमा योजना की शुरुआत


पीएम फसल बीमा योजना(PMFBY) का लाभ देश के अधिकांश राज्यों के किसान ले रहे हैं. जिन राज्यों में किसान योजना से नहीं जुड़े हैं. उन राज्यों में किसानों को जोड़ने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है. अब छत्तीसगढ़ गवर्नमेंट ने किसानों को सौगात दी है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ सरकार ने सब्जी की खेती करने वाले किसानों के लिए फसल बीमा योजना की शुरुआत की है. योजना के तहत किसानों को फसल बर्बाद होने की एवज में सरकार मुआवजा देगी.


इन सब्जियों का होगा बीमा


छत्तीसगढ़ सरकार ने योजना के तहत अधिकांश सब्जियों को बीमा के दायरे में ला रही है. मौसम आधारित फसल बीमा योजना में आलू, प्याज, टमाटर, बैंगन, फूलगोभी, पत्तागोभी, प्याज, जैसी सब्जियोें के नुकसान होने पर किसान को बीमा का लाभ मिल सकेगा. बताया गया है कि छत्तीसगढ़ मंे किसानों की फसलों को खासा नुकसान हो रहा था. इस खरीफ सीजन में भी किसानों की फसल बर्बाद हो गई. इसी को देखते हुए अब राज्य में फसलों को बीमा योजना के दायरे में लाया गया है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, योजना  से किसानों को काफी आर्थिक मदद मिलेगी. 


इतना होगा बीमा भुगतान


केंद्र सरकार ने फसल का कितना बीमा भुगतान होगा. इसकी दरें तय कर दी हैं. टमाटर का बीमा भुगतान 1.20 लाख रुपये होगा. इसपर ब्याज की रकम 6 हजार रुपये देनी होगी. फूलगोभी पर बीमा धनराशि 70 हजार रुपये है. वहीं ब्याज का भुगतान 3500 रुपये देना होगा. पत्तागोभी पर बीमा धनराशि 70000 रुपये होती है, वहीं ब्याज का भुगतान 3500 रुपये करना होगा. प्याज पर बीमा धनराशि 80 हजार रुपये है, ब्याज का भुगतान 4 हजार रुपये करना होगा. आलू की बीमा धनराशि 1.20 लाख रुपये है. ब्याज का भुगतान 6 हजार रुपये देना होगा 


72 घंटे पहले देनी होती है सूचना


योजना के तहत किसानों की जिम्मेदारी होती है कि जैसे ही फसल नुकसान हो. उसके 72 घंटे के अंदर किसान को इसकी सूचना जिला प्रशासन व एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट को लिखित में देनी होती है. जिला प्रशासन के स्तर से जानकारी बीमा कंपनी को दी जाती हैं. बीमा कंपनी के अधिकारी और स्थानीय प्रशासनिक अफसर फसल नुकसान का सर्वे करते हैं. सर्वे करने के बाद आंकलन में जितना नुकसान आता है. उसकी धनराशि रिपोर्ट के आधार पर किसान के खाते में भेज दी जाती है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.



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