PM Kisan Samman Nidhi Yojana: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में एक और बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जहां हजारों अपात्र किसानों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए दो-दो हजार रुपये की किस्तों का गलत तरीके से लाभ लिया है. कृषि विभाग की ओर से वेरिफिकेशन की प्रक्रिया के पूरा होने पर 53,000 किसान अपात्र मिले हैं, जो गलती तरीके से 43 करोड़ रुपये का लाभ ले चुके हैं. राजस्व विभाग ने इस अपात्र किसानों की लिस्ट जारी कर दी है, जिनसे अब वसूली का काम होना बाकी है. 


ऑनलाइन माध्यम से फर्जीवाड़ा
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना 2018 में लॉन्च की गई, जिसकी किस्तों का लाभ 2019 से मिलना चालू हुआ. इस स्कीम का लाभ सिर्फ 2 हेक्टेयर या उससे कम जमीन वाले छोटे और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के किसानों को ही दिया जाता है.


इस तर्ज पर साल दर साल किसानों की संख्या बढ़ती चली गई. इस दौरान ई-केवाईसी और जमीन का सत्यापन अनिवार्य नहीं था, इसलिए कई अपात्र किसानों ने नियमों के खिलाफ जाकर दो-दो हजार रुपये की किस्तें उठाईं.


11वीं किस्त के दौरान ऐसे कई फर्जी मामले सामने आने लगे, जिसमें अपात्र होने ने बावजूद कई किसानों ने ऑनलाइन पंजीकरण करवाया और किस्तों का लाभ लिया. इस काम में कई समूहों का नाम आ रहा है, जो किसानों का पंजीकरण करने के बदले में 2,000 रुपये की एक किस्त वसूलते थे.


कृषि विभाग ने किया खुलासा
छत्तीसगढ़ के जिला रायगढ़ में काफी पहले ही कृषि विभाग ने आधार सीडिंग और लैंड वेरिफिकेशन के निर्देश जारी कर दिए थे. लंबे समय से चल रहे सत्यापन के दौरान कृषि विभाग ने आधार और लैंड सीडिंग के जरिए पटवारियों से पात्र किसानों की लिस्ट अपडेट करने को कहा.


प्रशासन के बाद जब लिस्ट पहुंची तो पता चला कि जिले के 53,000 अपात्र किसानों 43 करोड़ की रकम का गलत तरीके से लाभ लिया है. इस तरह का एक और मामला 2 साल पहले आया था, जब 17,000 किसानों ने 25 करोड़ का फर्जीवाड़ा किया, लेकिन अभी तक इन किसानों से 12 लाख की ही वसूली हो पाई है. 2 साल बाद फर्जीवाड़ा करने वालों की संख्या में भी इजाफा हो गया है. 


घर-घर जाकर करेंगे रिकवरी
रायगढ़ जिले में हुए फर्जीवाड़े को लेकर कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पहले ऑनलाइन माध्यम से हुए पंजीकरण के कारण कई अपात्र किसान भी पीएम किसान स्कीम से जुड़ गए थे. अब ई-केवाईसी और लैंड रिकॉर्ड वेरिफिकेशन में अपात्रों की पहचान की जा रही है. इन किसानों से अब घर-घर जाकर कृषि और राजस्व विभाग के अधिकारी और पटवारी भी वसूली करेंगे.  


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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