Agriculture Transportation: खेती-किसानी से जुड़े कामों में किसानों की मदद के लिए सरकार ने तमाम कृषि योजनाएं चलाई है. इन स्कीम्स के तहत किसानों को बेहतर ढंग से कृषि कार्य करने के लिए सब्सिडी, लोन और बीमा जैसी सुविधाएं दी जाती है. इस बीच एक योजना ऐसी भी है, जो किसानों को उनके कृषि उत्पादों को एक जगह से लेकर दूसरी जगह पहुंचाने के लिए हवाई ट्रांसपोर्ट की सुविधा प्रदान करती है. हम बात कर रहे हैं पीएम किसान उड़ान योजना या कृषि उड़ान योजना के बारे में. इस योजना का लाभ लेकर किसान अपने जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों को देश-विदेश में निर्यात कर सकते हैं.


इसके लिए किसानों से चार्ज नहीं लिया जाता, बल्कि ट्रांपोर्टेशन के लिए ज्यादातर काम टैक्स फ्री हो जाते हैं. यह ठीक 'किसान रेल' की तरह ही है, जहां रेल परिवाहन के जरिए देशभर में  फल, सब्‍जी, दूध और दूसरे रोजमर्रा के सामान की सप्‍लाई की जाती है, लेकिन कृषि उड़ान स्कीम के तहत जल्दी खराब होने वाले या कम सेल्फ लाइफ वाले कृषि उत्पादों का निर्यात कर सकते हैं. कृषि उडान स्कीम के तहत 53  से अधिक एयरपोर्ट कृषि उत्पादों के हवाई परिवहन के लिए जोड़े गए हैं. आइए बताते है कि कैसे इमरजेंसी के बीच किसान भी कृषि उड़ान स्कीम का लाभ ले सकते हैं.


कृषि उडान स्‍कीम
पीएम किसान उड़ान योजना के तहत फूल, फल, सब्जी, डेयरी समेत कम अवधि वाले कृषि उत्पादों को देश और विदेशों में निर्यात करने की सुविधा दी जाती है. इस तरह फ्लाइट के जरिए कृषि उत्पादों को जल्दी पहुंचा दिया जाता है, जिससे उत्पाद समय पर बाजार पहुंच सके और किसानों को भी सही दाम मिल सके. देश का कोई भी किसान इस योजना का लाभ ले सकते है.


साल 2020 से ही चालू इस योजना के तहत 53 से अधिक एयरपोर्ट्स को जोड़ा गया है. इसमें मुख्यतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों, उत्तर-पूर्वी राज्यों और आदिवासी क्षेत्रों से कृषि उत्पादों के ट्रांसपोर्ट पर फोकस किया गया है, क्योंकि इन इलाकों में सड़क ट्रांसपोर्टेशन काफी मुश्किल होता है और उपज सही समय पर बाजार ना पहुंचने के कारण खराब भी हो जाती है. ऐसे में कृषि उड़ान सेवा लेकर ये काम कुछ ही घंटों में पूरा हो जाता है.


कृषि उड़ान के लिए चयनित एयपोर्ट
कृषि उड़ान स्कीम के तहत उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, पहाड़ी और जनजातीय क्षेत्र के 25 हवाई अड्डों से शुरुआत की गई, लेकिन बाद में 28 और एयरपोर्ट्स के जरिए सेवाओं का विस्तार किया गया. कृषि उड़ान स्कीम के तहत आने वाले एयरपोर्ट्स में अगरतला, अगत्ती, बारापानी, देहरादून, डिब्रूगढ़, दीमापुर, गग्गल, इंफाल, जम्मू, जोरहाट, कुल्लू (भुंतर), लेह, लेंगपुई, लीलाबारी, पाकयोंग, पंतनगर, पिथौरागढ़, पोर्ट ब्लेयर, रायपुर, रांची, रूपसी, शिमला, सिलचर, श्रीनगर, तेजू एयरपोर्ट के साथ-साथ आदमपुर (जालंधर), आगरा, अमृतसर, बागडोगरा, बरेली, भुज, चंडीगढ़, कोयंबटूर, गोवा, गोरखपुर, हिंडन, इंदौर, जैसलमेर, जामनगर, जोधपुर, कानपुर (चकेरी), कोलकाता, नासिक, पठानकोट, पटना, प्रयागराज, पुणे, राजकोट, तेजपुर, त्रिची, त्रिवेंद्रम, वाराणसी और विशाखापत्तनम को भी शामिल किया गया है. 


हवाई निर्यात में नहीं लगेगा पैसा
कृषि उड़ान योजना के तहत 8 मंत्रालयों को शामिल किया गया है. इनमें नागरिक उड्डयन मंत्रालय, कृषि और किसान कल्याण विभाग, पशुपालन और डेयरी विभाग, मत्स्य विभाग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, वाणिज्य विभाग, जनजातीय मंत्रालय मामले और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय (DoNER) शामिल हैं. इस योजना के तहत कृषि उत्पादों को एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए किसानों को कोई चार्ज नहीं देना होता. इस योजना में आवेदन करने पर लैंडिंग, पार्किंग, टर्मिनल नैविगेशन लैंडिंग चार्जेज (TNLC) और रूट नैविगेशन फैसिलिटी चार्जेज (RNFC) से किसानों को छूट प्रदान की जाती है. अच्छी बात ये है कि अब किसान बिना किसी टेंशन के अफने कृषि उत्पादों को दूसरे देशों में भी भेज सकते हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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