Benefits of Natural Farming: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने किसानों को प्राकृतिक खेती के महत्व के बारे में बताया है. उन्होंने कहा, "प्राकृतिक खेती व्यक्तिगत खुशहाली का रास्ता खोलेगी. यह विधि सभी लोगों के सुखी और स्वस्थ रहने की भावना को भी साकार करेगी." दरअसल, रविवार को गुजरात के सूरत में नेचुरल फार्मिंग कॉनक्लेव का आयोजन किया गया, यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक खेती के अनोखे फायदे (Benefits of Natural Farming) गिनाये और किसानों को इससे जुड़ने के लिये प्रोत्साहित किया. इससे पहले भी गुजरात(Gujarat) में प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय कार्यक्रम (Natural farming Conclave) का आयोजन किया जा चुका है, जिसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से किसानों को जोड़कर प्राकृतिक खेती के महत्वों से रूबरू करवाया गया था. 


प्राकृतिक खेती कॉनक्लेव की बड़ी बातें (खेती-किसानी)


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक खेती को किसानों से जोड़ने के लिये गांव के सरपंचों की भूमिका पर प्रकाश डाला. पीएम मोदी ने गुजरात के किसानों का उत्साह वर्धन करते हुये कहा, "हर पंचायत के 75 किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने में सूरत की सफलता पूरे देश के लिए एक मिसाल बनने जा रही है. हर पंचायत से 75 किसानों को चुनने में स्थानीय निकायों का अहम योगदान रहा है. इन्होंने किसानों को प्रशिक्षण के साथ प्राकृतिक खेती से संबंधित साधन उपलब्ध करवाने में खास मदद की है." बता दें कि प्राकृतिक खेती के लिये 550 पंचायतों से करीब 40 हजार से अधिक किसानों को जोड़ा गया है.


स्वास्थ्य से जोड़ती है प्राकृतिक खेती
प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक खेती की जरूरतों पर प्रकाश डालते हुये कहा "हमारा जीवन, हमारा स्वास्थ्य, हमारा समाज सबके आधार में हमारी कृषि व्यवस्था ही है. भारत तो स्वभाव और संस्कृति से कृषि आधारित देश ही रहा है. इसलिए, जैसे-जैसे हमारा किसान आगे बढ़ेगा, जैसे-जैसे हमारी कृषि उन्नत और समृद्ध होगी, वैसे-वैसे हमारा देश आगे बढ़ेगा.” 


धरती माता की सेवा और सम्मान के लिये प्राकृतिक खेती
पीएम ने प्राकृतिक खेती को समृद्धि का साधन बताया और इसे धरती माता के सम्मान का काम बताते हुये कहा, “जब आप प्राकृतिक खेती करते हैं तो आप धरती माता की सेवा करते हैं, मिट्टी की क्वालिटी, उसकी उत्पादकता की रक्षा करते हैं. जब आप प्राकृतिक खेती करते हैं तो आप प्रकृति और पर्यावरण की सेवा करते हैं. जब आप प्राकृतिक खेती से जुड़ते हैं तो आपको गौ माता की सेवा का सौभाग्य भी मिलता है.”


प्राकृतिक खेती में भारत करेगा दुनिया का नेतृत्व 
इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने प्राकृतिक खेती को आसान बनाने वाली योजनाओं के बारे में भी किसानों को जानकारी दी और बताया कि परंपरागत खेती के लिये संसाधन और ट्रेनिंग प्रदान करने में परंपरागत कृषि विकास योजना का बड़ा योगदान है. प्राकृतिक खेती पर संबोधित करते हुये पीएम मोदी ने कहा कि "यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां भारत ने सदियों से दुनिया का नेतृत्व किया है, इसलिए अब समय आ गया है कि हम प्राकृतिक खेती के रास्ते पर आगे बढ़ें और उभर रहे वैश्विक अवसरों का पूरा फायदा उठाएं." 


गंगा किनारे प्राकृतिक खेती से किसानों को लाभ
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि प्राकृतिक खेती को नमामि गंगे परियोजना से जोड़ा गया है ताकि गंगा के खाली पड़े उपजाऊ किनारों को प्राकृतिक कृषि गलियारों में बदला जा सके. जैसे गंगा के आस-पास पांच-पांच किमी प्राकृतिक खेती का अभियान चलाया गया है. जिससे कि केमिकल नदी में न जाएं, पीने में भी केमिकल युक्त पानी पेट में ना जाएं. भविष्य में हम तापी के दोनों किनारों, मां नर्मदा के दोनों किनारों की ओर ये सभी प्रयोग हम कर सकते हैं.


दुनिया भर में पहचानें जायेंगे प्राकृतिक खेती से उपजे कृषि उत्पाद
प्राकृतिक खेती कॉनक्लेव (Natural Farming Conclave) में प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक खेती से उपजे फल, सब्जी, अनाज और दूसरे कृषि उत्पादों के प्रमाणीकरण के लिए गुणवत्ता आश्वासन प्रणाली के बारे में जानकारी दी. पीएम मोदी ने कहा, "हमने नेचुरल फार्मिंग की उपज की विशेषता होनी चाहिए, उसकी पहचान होनी चाहिए और इसके लिए किसानों को ज्यादा पैसा मिलना चाहिए, इसलिए हमने इसे सर्टिफाइड करने की व्यवस्था की है. उसे प्रमाणित करने के लिए क्वालिटी एश्योरेंस सिस्टम भी बनाये हैं. इस तरह की सर्टिफाइड फसलें हमारे किसान अच्छी कीमत पर एक्सपोर्ट कर रहे हैं. आज दुनिया के बाजार में केमिकल फ्री उत्पाद यह सबसे बड़ी आकर्षण का केंद्र बना है. हमें ये लाभ देश के ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाना है."




खेती में रिसर्च करें वैज्ञानिक
उन्होंने ने शास्त्रों में छिपे प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के मंत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुये कहा कि खेती से जुड़े प्राचीन ज्ञान को भी समझना होगा. कृषि विशेषज्ञों से आग्रह करते हुये पीएम ने कहा "कृषि संस्थाओं, एनजीओ और विशेषज्ञ को प्राकृतिक खेती पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये. हम नए नए शोध करें, हमारे उपलब्ध संसाधनों के आधार पर हमारे किसान को ताकतवर कैसे बनाएं, हमारे खेती को अच्छी कैसे बनाएं, हमारी धरती माता को कैसे सुरक्षित रखें, इसके लिए हमारे वैज्ञानिक हमारे शैक्षिक संस्थाएं जिम्मेवारी निभाने के लिए आगे आयें, जिससे लैब में सिद्ध किया हुआ कृषि ज्ञान किसानों तक पहुंच सके."


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