PM KIsan 13th Installment: पीएम किसान सम्मान निधि की 12 वीं किस्त किसानांे के खाते में पहुंच चुकी है. किसान 13 वीं किस्त पाने का इंतजार कर रहे हैं. केंद्र सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ फर्जी किसान भी ले रहे थे. ऐसे किसानों के खिलाफ केंद्र सरकार लगातार अभियान चला रही है. केंद्र सरकार के अभियान के कारण ही 12 वीं किस्त देश के करोड़ों अपात्रों के खाते में नहीं पहुंच पाई है. केंद्र सरकार के अधिकारियों का कहना है कि किस्त पाने के लिए केंद्र सरकार की जो भी शर्तें निर्धारित हैं. उन्हें पूरा करना जरूरी है. ऐसा न होने पर किस्त खाते में नहीं आएगी. 


1 फरवरी 2019 से पहले का दाखिल खारिज होना जरूरी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के बिहार शरीफ में निर्देश जारी किए गए हैं कि पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ उन्हीं लोगों को मिले सकेगा, जिनका म्यूटेशन यानि दाखिल खारिज एक फरवरी 2019 से पहले का है. यदि म्यूटेशन इसके बाद का है तब किस्त का लाभ पाने में दिक्कत आएगी. हालांकि उन लोगों को राहत दी गई है, जिन लाभार्थियों की मौत हो चुकी है. उनके परिजन या आश्रित योजना का लाभ ले सकते हैं. उनपर यह नियम लागू नहीं होगा. 


आवेदन विचार के लिए मुख्यालय भेजे
बिहार शरीफ में पीएम किसान सम्मान निधि के लिए म्यूटेशन की तारीख अनिवार्य कर दी गई है. अधिकारियों का कहना हैै कि नए-पुराने आवेदकों के साथ उनपर ही लागू होगा. जिनके आवेदन पुनर्विचार के लिए मुख्यालय भेजे गए हैं. जो लोग नई गाइडलाईन का पालन नहीं करेंगे. उन सभी आवेदकों को दो जनवरी को सीओ के लॉगइन पर वापस कर दिया जाएगा. गाइडलाईन के अनुसार, मुख्यालय को दोबारा आवेदन भेजने से पहले यह देखा जाएगा कि जिनकी म्यूटेशन तारीख एक जनवरी 2019 से पहले की है. उन्हें ही पास किया जाएगा. जिनकी तारीख बाद की रहेंगी. उन्हें रिजेक्ट कर दिया जाएगा. वहीं, उन लोगों के लिए राहत दी गई है. यदि किसी लाभार्थी की मौत हो गई है तो आवेदक तय डेट के बाद भी म्यूटेशन के दस्तावेज जमा कर सकता है. 


क्या होता है दाखिल खारिज
पीएम सम्मान निधि की किस्त का पूरा मामला दाखिल खारिज से जुड़ा है तो उसे समझना भी जरूरी है. दरअसल, दाखिल खारिज होना जमीन का हस्तांतरण होने का एक लीगली प्रोसेस है. दाखिल खारिज में भूमि एक नाम से दूसरे नाम पर करवाई जाती है. सम्पति की रजिस्ट्री के बाद कुछ समय तक प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती है तो नियम के अनुसार खरीदने वाला का उसपर कोई कानूनी हक नहीं माना जाता. विक्रेता चाहे तो उस संपत्ति को दोबारा बेच सकता है. 


 



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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