Pomegranate Cultivation: आज भारत खाद्यान्न से लेकर बागवानी फसलों के उत्पादन (Horticulture in India) में संपन्न हो चुका है. यहां से ना सिर्फ देश बल्कि दुनियाभर की फल-सब्जियों से जुड़ी जरूरतें भी पूरी हो रही है. लेकिन एक समय वह भी था, जब सूखा और अकाल के कारण आम जनता के साथ-साथ किसानों के सामने भी कई चुनौतियां खड़ी हो जाती थी. खासकर राजस्थान से सटी भारत-पाकिस्तान सीमा पर अकाल के उस दौर के चर्चे आज तक होते हैं. बता दें कि राजस्थान का बाड़मेर इलाका सूखा और अकाल के कारण प्रकृति की काफी यातनाएं झेल चुका है, लेकिन आज के समय में यह इलाका समृद्धि की सीढ़ियां चढ़ रहा है.


बता दें कि बाड़मेर इलाके में अनार की बागवानी (Pomegranate Cultivation) इतने बड़े पैमाने पर हो रही है कि यहां की मिट्टी में उपजे अनार का दुनियाभर में निर्यात (Pomegranate Export) किया जा रहा है. एक अनुमान के मुताबिक, बाड़मेर की करीब 8000 हेक्टेयर जमीन पर आज अनार के बाग लहलहा रहे हैं. यह कुछ और नहीं बल्कि बागवानी की नई तकनीकों और किसानों की मेहनत का ही चमत्कारी परिणाम है, जिसने इस रेतीले-बंजर इलाके की तस्वीर ही बदल कर रख दी है.


12 साल में बदली खेती की तस्वीर
जानकारी के लिए बता दें कि आज भी राजस्थान का बाड़मेर इलाका नहर नदी या तालाब जैसे जल स्रोतों से अभावग्रस्त रहा है. इसके बावजूद बाड़मेर के किसानों ने बड़े पैमाने पर अनार की बागवानी (Pomegranate Orchards in Barmer) करके बड़ा मुकाम हासिल किया है. कभी अकाल से त्रस्त रहे बाड़मेर को आज राज्य के सबसे बड़े अनार उत्पादन जिले का खिताब प्राप्त है, जहां 8000 हेक्टेयर क्षेत्र में अनार की बागवानी हो रही है. इन फलों की क्वालिटी और खूबियों को देखकर  महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली और कर्नाटक की बड़ी-बड़ी फल मंडियों के व्यापारी खुद अनार के बागों से फलों को खरीदकर ले जाते हैं. इस सफलता का श्रेय पूरी तरह बाड़मेर के मेहनतकश किसान को जाता है, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों ने अपनी मेहनत के दम पर बागवानी के क्षेत्र में चमत्कार ही कर दिखाया है.


13000 पौधों से शुरु की बागवानी
बाड़मेर के पादरू में अनार की बागवानी (Pomegranate Cultivation in Padru Rajasthan) बड़े पैमाने पर की जा रही है. यहां के एक सफल किसान रमेश कुमार ने भी करीब 5 साल पहले गोटी और जेन्ट ईएसयू किस्म के 13000 पौधे लगाए थे. पौधे लगाने के पहले साल ही रमेश कुमार ने करीब 3 लाख रुपये के अनारों का बिजनेस किया. वहीं अगले साल यह रकबा बढ़कर 6 लाख तक पहुंच गया. दिन पर दिन बढ़ती सफलता और अनारों की क्वालिटी को देख अब कई फल मंडियों के व्यापारी रमेश कुमार के बागों के अनार खरीदने के लिए उनके पास जाते हैं.


राजस्थान में अनार की बागवानी
एक समय में राजस्थान को रेतीली बंजर जमीन के अलावा कुछ और नहीं समझा जाता था. ज्यादातर इलाकों में पानी की कमी के कारण आजीविका चलानी भी मुश्किल हो जाती थी यह इलाका से ऊंटों के लिए ही सुविधाजनक माना जाता था, लेकिन आज राजस्थान के किसानों ने बागवानी फसलों की खेती करके एक नया मुकाम हासिल किया है. खासकर अनार की बागवानी में पादरू के साथ-साथ महिलावास, सिवाना, कानासर, बाड़मेर, मांगी, कथाड़ी, मोकलसर, बालोतरा, उंडू, भियाड़, मोखाब जैसे जिलों के ज्यादातर किसानों ने अनार की बागवानी के जरिए समृद्धि हासिल की हैं.


कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, बाड़मेर एक कम आद्रता यानी कम उपज वाला इलाका है, जहां बीमारियों की संभावना कम ही रहती है. इससे किसानों को कीटनाशक और रोगनाशी दवाओं पर अलग से खर्च नहीं करना पड़ता. इससे श्रण और संसाधनों की काफी बचत होती है. यहां के किसान कृषि कार्यों की तर्ज पर कभी-कभी कीट-रोग नियंत्रण के कार्य करते रहते हैं. यही कारण है कि यहां की जमीन में उपजे अनारों का स्वाद, आकार और बनावट कुछ खास ही है, जिसे चखकर आज देशभर के किसान और व्यापारी खींचे चले आ रहे हैं.


अनारों से करोड़ों का व्यापार
जाहिर है कि अनार एक प्रमुख बागवानी फसल है, जिसकी बागवानी करने पर किसानों को तो मुनाफा हो ही रहा है. साथ ही यह सेहत के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है. यही कारण है कि बीमारियों के दौर में हमेशा इसकी खपत बनी ही रहती है. आज बाड़मेर के अनार घर-घर पहुंच रहे हैं, जिससे वीर भूमि राजस्थान के किसानों को करोड़ों रुपए का मुनाफा हो रहा है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो आज बाड़मेर के अनार दुबई, बांग्लादेश और नेपाल समेत कई बड़े बड़े देशों में निर्यात किए जा रहे हैं.


खासकर राजस्थान की मिट्टी में उपजे सिंदूरी (Sindoori Anar) किस्म के अनारों का काफी अच्छा उत्पादन मिल रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, आज बाड़मेर की करीब 8000 हेक्टेयर जमीन पर अनार की बागवानी (Pomegranate Cultivation) के जरिए 550 करोड़ का कारोबार हुआ है. इससे बाड़मेर राजस्थान (Barmer, Rajasthan) के किसानों को आर्थिक मजबूती तो मिली ही है, साथ ही बागवानी फसलों के प्रति विश्वास भी मजबूत हुआ है. इन्हीं किसानों से प्रेरित होकर देशभर के किसान विपरीत परिस्थितियों में बागवानी फसलों की खेती (Horticulture Crops) करने के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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