Aeroponics Technique: भारतीय देसी आलू की बात ही कुछ और है. इतना मशहूर हो चुका है कि विदेशी भी देसी आलू के दीवाने हो रहे हैं. पिछले साल अक्टूबर में ही देसी आलू का निर्यात लगभग 5 गुना तक बढ़ गया है. आलू की बढ़ती डिमांड किसानों के लिए तो अच्छा संकेत है, लेकिन इस बीच मौसम के अनिश्चितताओं ने किसानों की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया है. इन चुनौतियों से बचने के लिए किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने की सलाह दी जाती है. वह तकनीक जो किसानों का खर्च तो आधा कर देती हैं, लेकिन उत्पादन भी लगभग 2 गुना तक बढ़ा सकती हैं.


हरियाणा बागवानी विभाग की ओर से शामगढ़ स्थित आलू प्रोद्योगिकी केंद्र में आयोजित दो दिवसीय आलू कानक्लेव में आलू उत्पादन की कुछ ऐसी तकनीकों के बारे में किसानों को जानकारी दी गई.


द्वितीय आलू कानक्लेव में किसानों को आलू की उन्नत बीजों के साथ-साथ इस खेती में पानी, पैसा और समय बचाने वाली एयरोपोनिक्स और ड्रोन तकनीक के महत्व के इस्तेमाल के फायदे भी बताए.


आधुनिक तकनीक से बचाएं समय, कीमत और पैसा 
दूसरे आलू कानक्लेव-2023 में किसानों को बताया गया कि कैसे वह ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल से आलू की फसल पर उर्वरक और कीटनाशकों का छिड़काव कर सकते हैं. इससे समय और खेती की लागत भी बच जाती है. वहीं एयरोपॉनिक तकनीक के प्रयोग से मिट्टी के बिना ही कम पानी और कम खर्च में लगभग डबल उत्पादन ले सकते हैं. 


कम समय में उत्पादन डबल 
द्वितीय आलू कॉन्क्लेव-2023 में एक्सपर्ट ने एयरोपोनिक्स तकनीक के बारे में बताया कि कैसे इस तकनीक से आलू उगाने के लिए पौधों को अलग से नर्सरी में तैयार किया जाता है. इसके बाद ही एक विशेष एयरोपोनिक्स यूनिट में पौधों की रोपाई की जाती है.


इस यूनिट को जमीन की सतह से कुछ ऊंचाई पर बनाया जाता है, ताकि पौधों की जड़ों का विकास अच्छी तरह से हो सके और आलू का भी अधिक उत्पादन मिल जाए. अब आलू का बेहतर उत्पादन हासिल करने के लिए एयरोपोनिक यूनिट में पानी और पोषक तत्वों से फसल का विकास किया जाता है.


इस तकनीक में पौधों की जड़ों का उपचार करके ही रोपाई की जाती है, ताकि फंगी रोगों का खतरा ना रहे. अच्छी बात यह है कि इस तकनीक से खेती करने पर आलू की फसल समय से पहले ही पक कर तैयार हो जाती है. इस तकनीक से उगाए गए आलू की क्वालिटी भी अलग ही होती है.


किसानों को किया गया सम्मानित 
आलू प्रोद्योगिकी केंद्र में आयोजित द्वितीय आलू कानक्लेव-2023 में कई जिलों से आलू उगाने वाले प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया. यहां किसानों को आलू की खेती में बेहतर प्रदर्शन के लिए किसानों को पुरस्कार भी दिए गए.


आलू के बीज उत्पादक किसानों को आलू रतन पुरस्कार से सम्मानित किया गया. साथ में सर्टिफिकेट और स्मृति चिन्ह भी प्रदान किए गए. यहां गुजरात, असम, राजस्थान, उत्तराखंड, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से भी किसान और विशेषज्ञों ने शिरकत की.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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