Frost Effect On Potato: तापमान तेजी से नीचे गिर रहा है. कई राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. पाला पड़ने से हाथ, पैरों में गलन बढ़ गई है. किसान खेतों में रबी सीजन की फसलों की बुआई कर रहे हैं. वहीं, पाला पड़ने के कारण कई फसलों के उत्पादन पर संकट पैदा हो गया है. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट और किसानों को चिंता है कि अभी तक खरीपफ फसलों में हुए नुकसान से नहीं उबरे हैं कि पाला रबी पफसलों को नुकसान न पहुंचा दें. किसानों को आलू उत्पादन प्रभावित होने का डर है. विशेषज्ञों का कहना है कि किसान थोड़ी सूझबूझ से आलू की फसल को बचा सकते हैं. 


पहले जानिए, पाला कैसे पहुंचाता है नुकसान


कड़ाके की ठंड को लेकर कहा जाता है कि खून जमाने वाली ठंड पड़ रही है या आपने सुना होगा कि किसी देश में इतनी ठंड पड़ रही है कि पानी बाहर रखते ही जम हो जाता है. बस इसी पानी जमने की प्रक्रिया से ही पौधे दो चार होते हैं. दरअसल, पौधों में लिक्विड रहता है. इसी लिक्विड के कारण पौधे एनवायरमेंट से गैसेज लेते हैं. इसके अलावा अपना दैनिक काम करते हैं. पाला अधिक पड़ने पर यही लिक्विड जमने लगता है. एक सीमा तक पौधा सहन करता है. यदि अधिक ठंड हो तो लिक्विड पूरी तरह रूक जाता है. पौधे की मौत हो जाती हैं. इसमें पत्तियों का पीला पड़ना व अन्य लक्षण दिखने लगते हैं. 


फिर आलू की फसलों को पाले से बचाएं 


सिंचाई जरूर करें


विशेषज्ञों का कहना है कि पाले से आलू झुलस जाता है. इसे झुलसा रोग कहा जाता है. आलू को झुलसा रोग से बचाने के लिए किसान को सिंचाई जरूर करनी चाहिए. पानी तापमान रेगूलेटर का काम करता है. आसपास का तापमान नहीं बढ़ पाता है और फसल सुरक्षित रहती हैं. आलू की पफसल में 10 से 15 दिन के अंतर पर सिंचाई कर देनी चाहिए. 


नर्सरी है तो प्लास्टिक की चादर से ढककर रखें


आलू यदि छोटे एरिया में हो रहा है या फिर नर्सरी में तैयार किया जा रहा है तो उसे प्लास्टिक की चादर या इसी तरह के कारपेट से ढक देना चाहिए. चादर ढकाई का काम रात में करना चाहिए. इसका लाभ यह होता है कि प्लास्टिक के अंदर का तापमान 3 से 4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है. पौधों को उतनी सर्दी नहीं लगती. न ही सीधे पाले की चपेट में आ पाते हैं. इस तरह कवर करते समय पौधों का दक्षिणी व पूर्वी भाग खुला रखें. 


सड़ा हुआ मठ्ठा भी आ सकता है काम


मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, देसी नुस्खों से भी आलू को पाले की चपेट में आने से बचाया जा सकता है. आलू की फसल को पाले से बचाव के लिए करीब 20 से 25 दिन तक का सड़ा हुआ 4 लीटर मट्ठा, 100 लीटर छाछ के पानी में घोल लें और फसल में दो से तीन बार छिड़क दें. इससे पाले से बचाव हो जाता है. 



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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