Poultry Feed Guidance: कुछ समय पहले तक सिर्फ खेती-किसानी को ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था का हिस्सा मानते थे, लेकिन आज पशुपालन के बाद मुर्गी पालन भी दूसरा बड़ा बिजनेस बनकर उभर रहा है.एक ऐसा बिजनेस, जो कम खर्च में ही मेहनत से कहीं ज्यादा मुनाफा देता है. ऊपर से देश में अंडा-मांस की खपत बढ़ती जा रही है, जिसके लिए अब गांव के ज्यादातर किसान खेती के साथ-साथ मुर्गी पालन की तरफ भी बढ़ रहे हैं.


इस बिजनेस में आर्थिक अनुदान के लिए सरकार ने भी नेशनल लाइवस्टॉक मिशन चालाया है, जिसके तहत पोल्ट्री फार्म लगाने के लिए पैसा भी मिलता है. शुरुआती पोल्ट्री फार्म में काफी सब्र के साथ देखरेख करनी होती है. चूजों को सही समय पर दाना-पानी और पनपने के लिए यही वातावरण देना होता है. कई बार वातावरण और दाना-पानी बदलने से मुर्गियां अंडे देना बंद कर देती हैं और बीमार पड़ जाती है. आज के आर्टिकल में हम इसी का समाधान बताएंगे.


मुर्गियों को दाना-पानी से एलर्जी


पोल्ट्री फार्म करने वाले लोग मुर्गियों से अच्छा मांस और अंडा उत्पादन के लिए बढ़िया दाना-पानी डालते हैं, लेकिन मौसम बदलने पर दाना और पानी में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं. कई मायनों में हवा से तो मुर्गियों में इन्फेक्शन फैलता ही है, लेकिन गंदा पानी और बैक्टीरियल दाना भी मुर्गियों को बीमार कर सकता है. यही वजह है कि कई बार बर्ड फ्लू के मामले भी सामने आते है, जिसका कारण पोल्ट्री किसान नहीं समझ पाते. इस समस्या के समाधान के लिए समय-समय पर पोल्ट्री का पानी और दाना की जांच करने की सलाह दी जाती है.



  • एक्सपर्ट्स बताते हैं कि पानी की जांच के लिए उसका टीडीएस लेवल देखा जाता है, जो 300 से ज्यादा नहीं होना चाहिए. 

  • चाहें आप मुर्गियों को ग्राउंड वाटर दें या वाटर वर्क्स की सप्लाई वाला पानी, समय-समय पर पानी की क्वालिटी की जांच करना अनिवार्य है.

  • ध्यान रखें कि फीडर में दाना और पानी जमा ना होने दें. मुर्गियों की जरूरत को अनुसार दिन में 2 से 3 बार मुर्गियों को ताजा फीड करवाएं.

  • फीडर में जमा पानी में कई जमने लगती है. इस पानी का प्रदूषण मुक्त रहना बहुत जरूरी है, इसलिए पानी में ब्लीचिंग पाउडर डालकर साफ-सुथरा रखें.


पंख गिरने पर नहीं देती अंडा


हर साल में एक बार मुर्गियां अंडे देना बंद देती हैं. इस दौरान पोल्ट्री किसान भी चिंता में आ जाते हैं और मुर्गी को बेच देते हैं. असल में ये कोई चिंता की बात नहीं है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि पक्षियों में एक स्वभाविक प्रक्रिया होती है. जब मुर्गियों के पंख गिरने लगता है, तो अंडा देना भी बंद कर देती है. 365 में एक बार ऐसा होता ही है, हालांकि जब नए बाल उग जाते हैं तो मुर्गियां फिर से अंडा देने लगती है. ये एक बायोलॉजिकल प्रोसेस है, जो चिंता की बात तो नहीं है, लेकिन इस बार का समाधान नहीं निकल पाया है. 


पोल्ट्री फार्म में ज्यादा अंडा देती हैं मुर्गियां


गांव में ज्यादातर लोग घर के बैकयार्ड में मुर्गी पालन करते हैं, लेकिन वो पोल्ट्री फार्म जितना मुनाफा नहीं कमा पाते. एक तरफ सामान्य पालतू मुर्गी, जिसे देसी मुर्गी भी कहते हैं. साल में 40 से 50 अंडे देती है, लेकिन पोल्ट्री फार्म की मुर्गियां 250 से 300 तक अंडे देती है. इनमें नस्ल और वातावरण का काफी हस्तक्षेप है. दरअसल, मुर्गियों की हाइब्रिड नस्लें रोग प्रतिरोधी होती है, जो दो प्रजातियों के मेल से पैदा होती है.


ये ठीक वैसा ही है, जैसे हाइब्रिड बीज की फसल ज्यादा उत्पादन देती है. उसी तरह हाइब्रिड नस्ल की मुर्गियां भी अंडों का भरपूर प्रोडक्शन देती है. बात करें वातावरण की तो बता दें कि मुर्गियां रोशनी में ज्यादा अंडा उत्पादन करती हैं. यही वजह है कि पोल्ट्री फार्म में रात के समय भी बल्ब लगाकर रोशनी की जाती है, जबकि बैकयार्ड में पाली जा रहीं मुर्गियां प्राकृति के अनुरूप अंडों का उत्पादन देती हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


यह भी पढ़ें: ऐसा क्यों? कंकड़ खाने से आपका हाजमा बिगड़ जाएगा...मुर्गी इन्हीं कंकड़ों को खाकर 'बॉडी' बना लेती है