Expensive Egg: शरीर में प्रोटीन की पूर्ति के लिए अब ज्यादातर लोग अंडे का सेवन कर रहे हैं. इससे देश-दुनिया में भी अंडों की डिमांड बढ़ी है. हर नस्ल की मुर्गी के अंडे की अलग खासियत होती है. अभी तक कड़कनाथ के अंडे ने खूब धूम मचाई हुई थी, लेकिन बाजार में कड़कनाथ को टक्कर देने वाली मुर्गी आ गई है. इसका अंडा ना सिर्फ कड़कनाथ के अंडे से ज्यादा महंगा है, बल्कि इसका स्वाद और पोषण भी बाकी अंडों से काफी अलग है. हम बात कर रहे हैं असील मुर्गी की, जिसका एक ही अंडा 100 रुपये और मीट भी काफी महंगा बिक रहा है. ये कोई विदेशी मुर्गी नहीं, बल्कि प्योर इंडियन ब्रीड है. अगर पोल्ट्री फार्मिंग कर रहे हैं या इस बिजनेस से जुड़ने का मन बना रहे है तो इस खरीदना कतई ना भूलें. जान लें असील मुर्गी की खूबियां.


क्यों महंगा है असील मुर्गी का अंडा
कड़कनाथ को जीआई टैग मिला है. यही वजह है कि ये अंडा सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहता है, लेकिन इसके मांस और अंडे की कीमत को लेकर भ्रम दूर करना बेहद जरूरी है, क्योंकि बाजार में ऐसी मुर्गी भी मौजूद है, जिसका अंडा-मांस कड़कनाथ से भी महंगा बिक रहा है. किसान तक की रिपोर्ट के मुताबिक, 4 से 5 किलोग्राम वजन वाली असील मुर्गी बाजार में 2,000 से 2,500 रुपये की मिल रही है.


ये बाकी मुर्गियों से इस तरह भी अलग है, क्योंकि पोल्ट्री फार्म के बजाए इस मुर्गी को बैकयार्ड फार्म में ही ज्यादा पाला जा रहा है. इसके पीछे कारण है अंडों की कम संख्या.  हर साल सिर्फ 60 से 70 अंडे देती है, लेकिन बाकी मुर्गियों के अंडों को मिलाकर जितनी कमाई होती है, उतना पैसा असील के अंडे-मांस से भी कमा सकते हैं.


दवाई जितना पावरफुल है 
सर्दियों में अंड़ों की बढ़ती डिमांड के बीच असील मुर्गी का अंडा दवाई के तौर पर भी खाया जा रहा है. वैसे तो असील मुर्गी के अंडे दाम कुछ 100 रुपये है, लेकिन ऑनलाइन-ऑफलाइन बाजार में मांग-सप्लाई के आधार पर अंडे की कीमत का निर्धारण होता है. रिपोर्ट्स की मानें तो हैचरी के लिए सरकारी केंद्र की तरफ से असील मुर्गी का अंडा 50 रुपये में दिया जा रहा है. 


लड़ाकू मुर्गा है असील
जानकारी के लिए बता दें कि असील मुर्गी कोई विकसित या नई नस्ल नहीं है, बल्कि मुगलों से समय से ही इस रंग-बिरंगे मुर्गे का काफी क्रेज रहा है. पुराने समय में नवाबों को बड़ा मुर्गे लड़ाने का शौक था. उस खेल का विजेता यही असील मुर्गा है. यही वजह है कि इसे फाइटर कौम भी कहते हैं.दूसरी नस्लों की तुलना में असील मुर्गा भी कई वैरायटी में उपलब्ध है. बाजार में इसकी रेजा, टीकर, चित्ताद, कागर, नूरिया 89, यारकिन और पीला वैरायटी खूब फेमस है. 


कई जगह चल रही रिसर्च
कई पोल्ट्री एक्सपर्ट्स बताते हैं कि असील मुर्गा-मुर्गी में जन्म से लड़ने की क्षमता होती है. इनकी ये खूबी एक तरफ और अंडे-मांस का पोषण एक तरफ. इन दिनों हैदराबाद के एक सरकारी रिसर्च सेंटर में असील पर शोध चल रहा है. मूल रूप से आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से आने वाली ये देसी नस्ल की मुर्गियां अब पंजाब, यूपी, छत्तीसगढ़, झारखंड, कोलकाता और बिहार में भी अपना जलवा बिखेर रही है. यदि पोल्ट्री फार्म में चार चांद लगाना चाहते हैं तो कुछ संख्या में असील मुर्गियां पालन भी फायदे का सौदा साबित हो सकता है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


यह भी पढ़ें:  सस्ती दरों पर ना बेचें प्याज, यहां भंडारण के लिए 1,75,000 दे रही सरकार, इस तरह मिलेगा लाभ