Agriculture Growth: भारत कृषि प्रधान देश है. कृषि इस देश की रीढ़ है. देश के किसानों का आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के लिए प्रयासरत है. बाढ़, बारिश और सूखा से किसानों की लाखों करोड़ रुपये की फसल चौपट हो जाती हैं. किसानों के नुकसान भरपाई के लिए केंद्र व राज्य सरकार मदद करती हैं. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को लाखों करोड़ रुपये मदद के तौर पर दिए जाते हैं.
PMFBVY दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी योजना
केंद्र सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) नामांकित किसान आवेदनों के मामले में दुनिया की नंबर एक फसल बीमा योजना बन गई है. सकल प्रीमियम के मामले में PMFBVY दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी फसल बीमा योजना भी है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने हाल में यह अधिकारिक जानकारी संसद में दी है.
एक साल में 832 लाख किसानों ने कराया नामांकन
रिकॉर्ड के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान PMFBVY के तहत 832.24 लाख किसानों ने नामांकन कराया। किसानो का भुगतान किया गया प्रीमियम 3,77,026 करोड़ रुपये था, जबकि 2021-22 के दौरान किसानों को हुआ भुगतान 13,728.63 करोड़ रुपये थे.
केंद्र सरकार इस तरह करती है राज्य सरकारों की मदद
PMFBVY की शुरुआत वर्ष 2016 में की गई. नेचुरल आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान के लिए योजना के तहत किसानों को धनराशि मिल जाती है. पूर्वाेत्तर राज्यों के लिए केंद्र सरकार 90 और 10 के अनुपात में राज्यों की मदद करती है, जबकि शेष हिस्सा केंद्र और राज्य के बीच 50 अनुपात 50 के बीच बांटा जाता है. इसका सीधा मतलब है कि पूर्वाेत्तर में किसी किसान को बीमा योजना के तहत मदद दी जाती है तो केंद्र सरकार 90 प्रतिशत धनराशि खर्च करती है, जबिक स्टेट पर बोझ 10 प्रतिशत पड़ता है. शेष राज्यों में केंद्र और राज्य दोनों पर समान आर्थिक बोझ होता है.
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