Pre-Monsoon Rain- Agriculture: कृषि एक ऐसा व्यवसाय है, जिस पर मौसम का सीधा असर पड़ता है. अकेले भारत की बात करें तो यहां ज्यादातर इलाकों में फसलों की खेती बारिश पर निर्भर करती है. वहीं बेमौसम बारिश या जरूरत से अधिक बारिश होने पर कई फसलों पर बुरा असर भी पड़ता है. जैसा कि अभी प्री-मानसून सीजन चल रहा है. ऐसे में आंधी-तूफान, बूंदाबांदी और कभी-कभी जरूरत से ज्यादा वर्षा देखी जा रही है. भारत मौसम विभाग की मानें तो प्री-मानसून बारिश के चलते शहरी इलाकों में तो लोगों को राहत मिलेगी. लेकिन जरूरत से ज्यादा बारिश देश के ग्रामीण इलाकों को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है.
जानकारी के लिये बता दें कि देशभर के अलग-अलग ग्रामीण हिस्सों में इस बारिश के तेवर भी अलग रहेगें। जिन किसानों ने धान की नर्सरी लगाई है या जो धान की फसल लेने के बारे में सोच रहे हैं, उनके लिये ये मानसून संजीवनी के बराबर रहेगा. क्योंकि धान की खेती के लिये शुरूआत से ही अधिक पानी की आवश्यकता होती है. ऐसे में प्री-मानसून बारिश होने से किसानों को पानी की बचत तो होगी ही, श्रम की बचत भी होगी. इसके अलावा, खेतों में लगी हरा चारा के फसल के साथ-साथ लौकी, तुरई, परवल, करेला और भिंड़ी जैसी हरी सब्जियों को भी प्राकृतिक सिंचाई यानी प्री-मानसून बारिश से खास लाभ होगा. इस प्री-मानसून बारिश के बीच किसान भाई मक्की की बिजाई का कार्य कर सकते हैं. इसके लिये खेत में निराई-गुड़ाई का कार्य कर लें.
अगर बात करें मूंग की फसल की तो मई में होने वाली बेमौसम बारिश का मूंग की फसल पर काफी बुरा असर पड़ेगा. क्योंकि देश के कई किसानों ने मूंग की फसल की बुवाई समय से पहले कर देते हैं. जिसके चलते इस समय तक मूंग की फसल में बालियां आ जाती है, फसल पककर कटने के लिये तैयार खड़ी रहती है. ऐसे में प्री-मानसून बारिश से मूंग की बालियां फटने और गलने की समस्या आ सकती है. मूंग के उत्पादन पर इसका बुरा असर पड़ सकता है. ऐसे में किसानों के लिये बड़ी समस्या ये है कि वे मूंग की फसल काट लें या खेत में रहने दें.
कृषि और उद्यान विभाग की मानें तो यह बारिश बागवानी फसलों के उत्पादन को प्रभावित कर सकती है. आम के बगीचों के लिये तेज आंधी और बारिश अभिशाप से कम नहीं है. जहां तेज आंधी से फल टूटकर नीचे गिर जाते हैं तो वहीं बारिश के कारण पेड़ों पर लगे फलों में कीट-रोगों की संभावना बढ़ जाती है. खासकर, आम,केला और अनार के बागों पर प्री मानसून बारिश का अच्छा असर नहीं होता.
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