Crop Management in Rain: भारत में ज्यादातर हरी सब्जियों की खेती (Green Vegetable Farming) खरीफ सीजन में की जाती है, क्योंकि बारिश के कारण सब्जियों को मिट्टी के सारे पोषक तत्व मिल जाते हैं और सिंचाई के लिये अलग से पानी देने की जरूरत नहीं होती, लेकिन बारिश के समय फसलों में प्रबंधन (Crop Management in Rain) कार्य करना बहुत जरूरी है, नहीं तो फसलें लड़ने-गलने लगती हैं. इस मौसम में कीड़े और बीमारियों के साथ-साथ खरपतवारों (Weed Management) की संख्या भी बढ़ जाती है. ऐसे में जरूरी है कि फसल में समय-समय पर निगरानी करते रहें और लक्षण दिखने पर रोकथाम के उपाय करते रहें.
कई किसानों ने इस सीजन में फ्रेंच बीन्स (French Beans Cultivation) की फसल लगाई है, जिसमें सफेद सड़ांध नामक कवक रोग लग जाता है. ये बीमारी फ्रेंच बीन्स के ऊपरी हिस्सों में इंफेक्शन पैदा करती है, जिससे फलियां सड़ने लगती है. फ्रेंच बीन्स के साथ-साथ ये बीमारी गाजर, धनिया, खीरा, सलाद, खरबूज, प्याज, कुसुम, सूरजमुखी और टमाटर में फसल में भी देखने को मिल जाती है.
सब्जी फसल में सफेद सड़ांध की रोकथाम
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक सफेद सड़ांध कवक रोग यानी (स्केलेरोटिनिया स्क्लेरोटोरियम (sclerotinia sclerotorium)के कारण फ्रेंच बीन्स की फलियों, फूलों और पत्तियों पर भूरा रंग कवक विकसित होता है. कई बार मिट्टी में संक्रमण फैलने के कारण भी सब्जियों में ये बीमारी लग जाती है. ये बीमारी बीज, सिंचाई का पानी, पौधे से पौधे का संपर्क या मधुमक्खियों के कारण आस-पास के खेतों में भी फैल सकती है. इसकी रोकथाम के लिये कार्बेन्डाजिम की 2 ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करें.
तना गलन रोग की रोकथाम
बरसात के समय जल भराव के कारण तना गलन रोग लग जाता है, जिसमें पत्तियों पर पीले, भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं. इसकी रोकथाम के लिये पौधों की जड़ें में कार्बेन्डाजिम की उचित मात्रा का छिड़काव करें. ध्यान रखें कि सब्जी फसल में जल निकासी की व्यवस्था जरूरी करें, क्योंकि ज्यादातर परेशानियां खेत में पानी भरने के बाद ही आती है.
मोजेक की रोकथाम
इस मौसम में मोजेक भी सब्जी फसलों पर हमला करता है, जिससे पत्तियों पर पीले-हरे रंग के धब्बे दिखने लगते हैं और पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं. मोजेक का प्रकोप बढ़ने पर पौधों की विकास रुक जाता है. ऐसी स्थिति में संक्रमण रोकने के लिये रोगी पौधे को उखाड़कर फेंक दें और फसल पर रोगोर या जैविक कीट नाशक का छिड़काव करें.
एन्थ्रेक्नोज से बचाव
बरसात के समय इस बीमारी से संक्रमित पौधों की फलियों और पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे पड़ने लगते हैं, जिससे फसल की क्वालिटी खराब होती है. इस बीमार के संक्रमण को रोकने के लिये डाइथेन एम-45 की उचित मात्रा की पूरी फसल पर छिड़काव करें.
फली छेदक कीड़ों की रोकथाम
ये कीड़े ज्यादा फलीदार सब्जियों को खराब करते हैं. ये कीड़े फलियों पर बैठकर अंडे देते हैं, जिसमें से लार्वा निकलकर फलियों के अंदर घुंसकर कच्चे बीजों को खा जाते हैं. इससे फलियां खराब हो जाती है और फसल के उत्पादन पर भी बुरा असर पड़ता है. इसकी रोकथाम के लिये नीम से बने कीट नाशक या नुवाक्रान को पौधों पर छिड़क देना चाहिये.
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