Cardamom Cultivation: जैविक खेती से महक उठेंगे इलायची के बाग, लाखों की कमाई के लिये बरतें ये सावधानी
Organic Farming Of Cardamom: इलायची एक छायादार पेड़ होता है, जिसे सूरज की रौशनी से बचाने के लिये इसे नारियल और सुपारी के बागों के बीच में ही उगाया जाता है.
Crop Management In Cardamom Orchards: भारतीय रसोई के महत्वपूर्ण मसाले से लेकर आयुर्वेदिक औषधी (Ayurvedic Medicine) तक इलायची का अहम रोल है. 'मसालों की रानी' के नाम से मशहूर इलायची(Cardamom) को रसोई के साथ-साथ किसानों की जिंदगी महकाने के लिये अहम भूमिक अदा करती है. महाराष्ट्र (Maharashtra) के कोंकण (Konkan) से लेकर कर्नाटक (Karnataka), केरल (Kerala) और तमिलनाडु (Tamilnadu) के किसान इलायची की जैविक खेती करके अच्छी आमदनी ले रहे हैं. मसालों की रानी नाम से मशहूर इस औषधीय पौधे (Herbal Plants) को वेलाडोडा, विलायाची वेलदोडा, इलाची, एला के नाम से भी जानते हैं, जो किसानों की आमदनी बढ़ाने में मददगार है.
इस तरह होती है इलायची की खेती (Cardamom Cultivation)
इलायची एक छायादार पेड़ होता है, जिसे सूरज की रौशनी से बचाने के लिये इसे नारियल और सुपारी के बागों के बीच में ही उगाया जाता है. इसकी खेती के लिये ना ही अधिक बारिश की जरूरत होती है और ना ही ज्यादा गर्मी की, बल्कि मानसून की नमी और आर्द्रता के बीच इसके नये बागों की तैयारी कर बेहतर उत्पादन ले सकते हैं.
- कृषि विशेषज्ञों की मानें तो इलायची की खेती के लिये अखिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस तक ही होना चाहिये.
- जहां सुपारी और नारियल के पेड़ 3x3 मीटर के अंतराल पर लगाये जाते हैं, तो वहीं हर दो पेड़ के बीच में एक इलायची का पेड़ भी लगाया जाता है.
- इसकी खेती के लिये अधिक पानी की जरूरत होती है, इसलिये मानसून के समय में इसकी तैयारी करके वर्षा जल संचयन की व्यवस्था भी कर सकते हैं.
- बता दें कि इलायची के पेड़ ज्यादा पानी सहन नहीं कर सकते, सिर्फ मिट्टी में नमी बनाये रखने की ही जरूरत होती है.
- उपजाऊ मिट्टी में इलायची की खेती करने पर हर 4 दिन में सिंचाई कार्य कर देने चाहिये.
- जैविक विधि से इलायची की खेती करना फायदे का सौदा साबित होता है. ऐसे में बाग में जैविक विधि से ही पोषण प्रबंधन करना चाहिये.
बरतें ये सावधानी (Precautions for Cardamom Cultivation)
जाहिर है कि इलायची एक मसाला होने के साथ-साथ एक औषधीय पौधा भी है, इसलिये इसके आस-पास धूम्रपान नहीं करना चाहिये. इससे फसल पर बुरा असर पड़ता है.
- अकसर इलायची की फसल में फफूंद रोग की समस्या बढ़ जाती है, जिससे फल और बेलें नीचे लटक कर लड़ने लगते हैं.
- इसके समाधान के लिये नीम से बने जैविक कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता है.
- कई किसान 1% बोडोमिक्स या 2 ब्लाइटॉक्स मिश्रण से रासायनिक नियंत्रण भी करते हैं.
ऐसे होती है इलायची कटाई (Cardamom Harvesting)
जब इलायची के फल पककर तैयार हो जाते हैं, तो ये हरा और पीला रंग ओढ लेते हैं. ऐसे में कैंची की मदद से इन्हें डंठल समेत काट लिया जाता है.
- बारिश के मौसम में इलायची का उत्पादन लेना मुश्किल हो जाता है. खासकर धूप की कमी होने पर फल सूखते नहीं है, जिसके लिये चारकोल की जाली को जलाने की सलाह दी जाती है.
- इसके लिये डेढ़ फुट की ऊंचाई पर तारों के जाल पर इलायची के फल 4-5 दिन तक सुखाये जाते हैं और बीच-बीच में इन्हें हिलाया जाता है.
- धीरे-धीरे सूखने पर इलायची का फसल (Cardamom Crop) अपनी चमक खो देता है. ऐसे में सिर्फ फलों का उत्पादन(Cardamom Production) लेने के लिये फूल और डंठल के कचरे को अलग कर देना चाहिये.
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