Preparation of Vegetable Nursery: खेती-किसानी अनिश्चितताओं का काम है, जहां कभी मौसम की मार तो कभी कीट-रोग लगने से पूरी फसल खराब हो जाती है. वैसे तो देशभर में मिट्टी और जलवायु के अनुसार ही खेती की जाती है, लेकिव जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के बुरे प्रभावों के कारण फसलों में नुकसान होता ही है. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो मौसम के कारण होने वाले नुकसान को नहीं रोक सकते, लेकिन कीट-रोग और फसल की विकृतियों से होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है.


खासकर बागवानी फसलों की खेती (Horticulture Crops farming) के लिये सीधा बुवाई ना करके नर्सरी यानी पौधशाला तैयार करने की सलाह दी जाती है, जिससे बीजों का सही अंकुरण और पौधों का बेहतर ढंग से विकास होता है. पौधशाला (Plant Nursery) में तैयार पौधे मजबूत तो होते ही है, साथ ही सीधी बिजाई की तुलना में अधिक पैदावार भी देते हैं. बागवानी फसलों की नर्सरी तैयार करने के लिये ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि खेत के ही किसी कोने में खाद-उर्वरक और उन्नत किस्म के बीजों (Advanced Seeds) से बैड तैयार किया जाता है, जहां 21 दिन के अंदर पौधे रोपाई के लिये तैयार हो जाते हैं.


इस तरह बनाएं नर्सरी का बेड 


बागवानी फसलों की नर्सरी तैयार करने के लिए सबसे पहले बैड तैयार किया जाता है. यदि एक एकड़ जमीन पर फसल लगानी है तो 33 फुट लंबी, 2 फुट चौड़ी और 2 फुट ऊँचाई वाली 10 से 15 क्यारियां बनानी होंगी. इन क्यारियों को मजबूत बनाने के लिये चारों तरफ खंभे बनायें, जिससे कि प्लास्टिक की शीट या ग्रीन नेट डालकर पौधों को तेज बारिश या पाले से बचाया जा सके. 




नर्सरी में पोषण प्रबंधन


बागवानी फसलों से अच्छी पैदावार के लिए खाद-उर्वरक का मिश्रण तैयार किया जाता है. लगभग 100 वर्गफुट नर्सरी तैयार करने के लिये 4 टोकरी दोमट मिट्टी, 4 टोकरी कंपोस्ट खाद, 4 टोकरी नदी की बालू-बजरी, 4 टोकरी बकरी की खाद, 4 टोकरी या करीब 25 किग्रा. गोबर की खाद, 4 टोकरी लाल मिट्टी या खेत का मिट्टी, 4 टोकरी धान का भूसा, 3 टोकरी राख का प्रयोग करें. धान के भूसे को छोड़कर सभी चीजों को बारीक छान लिया जाता है और इन सभी चीजों को मिलाकर नर्सरी का मिश्रण होता है, जिससे बीजों का अंकुरण और पौधों का विकास काफी आसान हो जाता है.


नर्सरी को भरना


खेत में नर्सरी का बेड बनाकर लिए पहली परत 6 इंच की होती है, जिसमें छोटा कंकड़, पत्थर और ईंट आदि के टुकड़ों को डालते हैं. इसके बाद नदी की साफ बालू की एक फुट परत भरी जाती है. इसके बाद खाद-उर्वरक से तैयार नर्सरी के मिश्रण को 1 किलो साफ मिट्टी के साथ नर्सरी के ऊपर बिछाया जाता है और बैड पर फव्वारा सिंचाई करके हल्का नमी बनाते हैं. इस तरह बैड तैयार करने के बाद बीजों की बुवाई की जाती है.


बीजों की बुवाई


नर्सरी में बैड तैयार करने के बाद बीजों का उपचार करके उनके कतारों में बुवाई की जाती है, जिससे पौधों को बढ़ने में आसानी हो और नर्सरी की सही देखभाल हो सके. इसके लिये नुकीली डंडी की मदद से बैड पर लाइनें बनाकर सीध में बीजों की बुवाई कर सकते हैं. ध्यान रखें कि बीजों को ऊपर से छिड़क कर बैड पर ना डालें. बीजों की बुवाई के बाद बैड की हल्की सिंचाई कर दें और काली प्लास्टिक शीट या घास-फूस की पुआल से पूरे बैड को ढंक दें. इस तरह बैड को ढंकने से पौधा आसानी से अंकुरित हो जाता है.




21 दिन में तैयार होगा पौधा


इस तरह सब्जियों की नर्सरी (Vegetable Nursery) तैयार करने पर पौधे सिर्फ 21 दिन के अंदर तैयार हो जाते हैं. ये पौधे स्वस्थ और रोगमुक्त होते हैं, जिनमें ना खरपतवारों का प्रकोप होता है और ना ही कीड़े लगने का डर. बता दें कि नर्सरी में बुवाई के 30 दिन बाद पौधों की रोपाई खेतों में की जाती है. इससे पहले खेतों को भी जैविक विधि (Organic Farming) से तैयार किया जाना चाहिये. वहीं जुताई से पहले भी खरपतवारनाशी दवा (Weed Management) का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है.  


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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