Crop Management in Rain: खरीफ सीजन (Kharif Season) की ज्यादातर फसलों की बुवाई-रोपाई का काम पूरा हो चुका है. जिन किसानों ने अग्रिम मानसून (Pre-Monsoon Crop) के समय ही अरहर की बुवाई (Tur Cultivation) का काम किया था, उन्हें फसल में अधिक निरगानी करने की जरूरत है, क्योंकि इस दौरान फसल अपनी प्रारंभिक अवस्था में होते हैं.


बारिश के बाद खेत में खरपतवारों (Weed Management)के साथ कीड़े और बीमरियों (Crop Management) का प्रकोप भी बढ़ जाता है. ऐसी स्थिति में जरूरी है कि फसल में समय रहते प्रबंधन कार्य कर लिये जाये. अरहर की फसल में बेहतर विकास के लिये सुबह-शाम निरगानी और निराई-गुड़ाई का कार्य करते रहना होगा.


खरपतवार प्रबंधन (Weed Management)
अकसर देखा जाता है कि 25 से 30 दिनों बाद अरहर की फसल के साथ-साथ खरपतवार भी उग जाते हैं, जो फसलों का पोषण सोखकर शुरुआत में ही पौधों को कमजोर बना देते हैं. 



  • ऐसी स्थिति में बुवाई के बाद पेन्डीमिथालिन की 1 से 1.5 किग्रा मात्रा को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में छिड़काव करें.

  • किसान चाहें तो अंकुरण के बाद ही क्यूजालोफाप पी.ईथाल की 1.25 किग्रा या इमेजाथापर की 1 किग्रा मात्रा को बुवाई के 20 दिन बाद फसल पर छिड़क सकते हैं.

  • फसल में समय-समय पर हाथ से निराई-गुड़ाई करते रहें, जिससे फसल की जड़ों में ऑक्सीजन का संचार बढ़ता है और खरपतवारों को भी नष्ट कर सकते हैं.

  • निराई-गुड़ाई के साथ-साथ अरहर की फसल में सुरक्षा और विकास के लिये जीवामृत का छिड़काव करें.

  • जिन किसानों ने खेत की तैयारी के समय यूरिया डाला था, वे यूरिया की दूसरी मात्रा 30 से 35 दिनों के अंदर फसल पर फैला दें.


जल निकासी की व्यवस्था (Drainage System in Field)
अरहर की कई किस्में अधिक पानी सहन कर लेती हैं, लेकिन फसल के बेहतर विकास के लिये खेत में नमी बनाने से ही काम चल जाता है. ऐसी स्थिति में जरूरी है कि खेद में जल निकासी का प्रबंध कर लें, जिससे बारिश का पानी खेत में भरने से फसल खराब न हो. इसके लिये 15 से 20 मीटर की दूरी पर नालियां बनायें, जो सीधा खेत के बाहर निकलती हों.
 
कीट-रोग नियंत्रण (Disease & Pest Control)
इस समय अरहर की फसल काफी उम्र में छोटी और नाजुक होती है. ऐसी स्थिति में फसल की निगरानी (Precaution in agriculture)और सुरक्षा के उपाय करते रहें.



  • फसल में किसी भी प्रकार के कीट या रोग के लक्षण दिखने पर जैविक कीट नियंत्रण (Organic Pest Control) का कार्य करें.

  • किसान चाहें तो नीम के तेल (Neem Oil) या नीम के कीटनाशक को पानी में घोलकर एक बार फसल पर छिड़क सकते हैं, जिससे बारिश के कारण फसल पर पनपने वाले कवक रोग और विषाणु नष्ट हो जायेंगे.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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