Precaution in Paddy Crop: खरीफ सीजन (Kharif Crop) की प्रमुख नकदी फसलों में धान (Paddy Crop)का नाम सबसे पहले आता है, क्योंकि देश और विदेशी बाजारों में भारत के चावल (Indian Rice) की काफी मांग रहती है. इसलिये किसानों को नर्सरी (Paddy Nursery) से लेकर धान की रोपाई के बाद तक खास देखभाल करने की सलाह दी जाती है. बता दें कि जून-जुलाई का समय धान की खेती के लिये बड़ा नाजुक होता है, क्योंकि धान की फसल अपनी शुरुआती अवस्था में होती है. विशेषज्ञों की मानें तो इस समय धान की फसल में तेला, पत्ता लपेट सुंडी, पत्ता छेदक, गांधी बग या मलंगा के साथ-साथ धान के टिड्डों का खतरा बना रहता है. ऐसे में फसल में सिंचाई (Irrigation) और पोषण प्रबंधन के साथ-साथ कीट-रोगों (Pest Control)की निगरानी करने की सख्त जरूरी होती है. 


तेला कीट
तेला कीट का प्रकोप बढ़ने पर धान की नर्सरी या खेतों में फसल का रंग पीला पड़ने लगता है. ये धान की शुरुआती अवस्था में पौधों की जड़ों के ऊपरी भाग यानी तनों पर चिपककर पौधे का रस चूस लेते हैं, जिससे फसल खेत में खड़े-खड़े ही सूखने लगती है. सफेद पीठा या भूरा तेलवा नाम से मशहूर से कीड़े गोलाकार टुकड़ियां बनाकर फसल में फैल जाते हैं. 



  • इस समस्या से निपटने के लिये बुप्रोफेज़ीन (ट्रिब्यून 25 एस.सी.) की 330 मिली. मात्रा को 200 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़कें.

  • किसान चाहें तो मोनोक्रोटोफोस 36 एस.एल. की 250 मिली. मात्रा को भी200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़क सकते हैं.

  • ध्यान रखें कि कीड़ों का प्रकोप बढ़ने पर हर 10 दिनों में प्रति एकड़ के हिसाब से बदल-बदलकर ही कीट नाशकों का छिड़काव करें


गाँधी बग या मलंगा
मलंगा कीड़े हर साल धान की फसलों की खराब नहीं करता. फसल में लापरवाही और जलवायु बदलने के कारण ही ये धान के शिशु पौधों या फिर बालियों में बनने वाले कच्चे दानों का रस चूसने लगते हैं. ये कीड़ा फसल पर बैठकर बुरी गंध छोड़ता है. इसके प्रकोप से धान में बालियां नहीं बनती और फसल बेकार हो जाती है. इस समस्या के समाधान के रूप में 10 किलो मिथाइल परथिओन का 2% धूड़ा प्रति एकड़ के हिसाब से इस्तेमाल करें.


धान के टिड्डे
धान की फसल में बराबर निगरानी के अभाव में धान के टिड्डे फसल के बर्बाद कर देते हैं. ये धान की रोपाई के कुछ दिनों बाद ही फसल की पत्तियों को खाना शुरु कर देते हैं, जिससे बोई गई सारी फसल नष्ट हो जाती है. इसकी रोकथाम के लिये 10 किलो मिथाइल परथिओन का 2% धूड़ा प्रति एकड़ के हिसाब से इस्तेमाल करें.


जैविक कीट नियंत्रण 
धान की फसल में रासायनिक कीट नाशकों (Chemical Pesticides)का इस्तेमाल काफी प्रभावी होता है, लेकिन रसायनों के इस्तेमाल से फसल की क्वालिटी खराब होने का खतरा बना रहता है. इसलिये किसान भाइयों को जैविक विधि से कीट नियंत्रण (Organic Pesticides) करने की सलाह दी जाती है. बता दें कि ज्यादातर परिस्थितियों में जैव कीट नाशकों का इस्तेमाल करने से अच्छे परिणाम सामने आये हैं. इससे फसल की क्वालिटी भी बेहतर रहती है और कीड़ों का प्रकोप बढ़ने से पहले ही रोका जा सकता है.


 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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