Double Earning by Taro Cultivation: भारत में कंद फसलों का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है. आलू से लेकर प्याज कर लगभग सारी फसलों की मांग बाजार में सालभर बनी रहती है. इसलिये किसान मौसम के अनुसार भी कंद फसलों की खेती करते हैं. ऐसी ही एक कंद फसल है अरबी. भारत में अरबी को सब्जी के साथ-साथ औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. इसकी फसल से मिलने वाले पत्ते हों या फिर जड़, हर चीज से शरीर को कई फायदे मिलते हैं. इसलिये भारत में अरबी को खासतौर पर पंसद किया जाता है.
किसानों के लिये अरबी की खेती इसलिये भी जरूरी है क्योंकि इसे साल में दो बार रबी और खरीफ दोनों सीजन में उगाया जाता है. अगर किसान खरीफ सीजन में अरबी की खेती करना चाहते हैं तो बेहतर उत्पादन के लिये इन कृषि कार्यों का खास ध्यान रखें.
अरबी की खेती
अरबी की खेती के लिये जल निकासी वाली रेतीली दोमट और बलुई दोमट मिट्टी को सबसे बेहतर माना जाता है. वैसे तो देश के गर्म इलाकों में अरबी की खेती करने के अलग फायदे हैं, लेकिन अरबी की विकसित किस्मों के साथ गर्मी और बारिश दोनों मौसमों में इसकी खेती की जाती है.
- अरबी की बुवाई से पहले इसके खेत में दो-तीन गहरी जुताईयां लगायें और मिट्टी का सौरीकरण होने दें.
- आखिरी जुताई से पहले एक हैक्टेयर खेत में 200-250 क्विंटल गोबर की खाद डालें और मिट्टी को पोषण प्रदान करें.
- अधिक जल भराव को रोकने के लिये खेतों में 1 से 1.5 फीट ऊंची और 45 सेमी चौड़ी मेड़े बनायें और क्यारियां तैयार करें.
- खेत में खाद-उर्वरक डालने के 10-15 दिन बाद ही अरबी के कंदों यानी जड़ फलों की बुवाई का काम शुरु करें.
- बुवाई से पहले अरबी के कंदो का विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार उपचार करें.
- बता दें कि एक हैक्टेयर खेत में अरबी की खेती के लिये 10-15 किग्रा. कंदों की आवश्यकता होती है.
- खेत में ये मेड़ें 45 सें.मी की दूरी पर बनायें और दोनों किनारों पर 30 सें.मी की दूरी पर कंदों की बुवाई करें.
- किसान चाहें तो कतारों में इसकी बुवाई कर सकते हैं, जिसमें पौध से पौध की दूरी 30सेमी. और कतार से कतार की दूरी 45 सेमी. रखें.
- अच्छी बढ़वार के लिये अरबी के कंदों को 5 सेमी की गहराई पर ही बोयें और बुवाई के बाद के खेत को पुआल से ढंक देना चाहिये.
पोषण और सिंचाई
- जाहिर है कि अरबी की फसल को मिट्टी से ही पोषण मिलता है, इसलिये अतिरिक्त खाद या उर्वरक डालने से पहले मिट्टी की जांच जरूर करवायें.
- मिट्टी की जांच के आधार पर ही फसल में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की संतुलित मात्रा को और कंपोस्ट के साथ मिलाकर इस्तेमाल करें.
- इसमें नाइट्रोजन की आधी मात्रा को बुवाई से पहले और आधी बची हुई नाइट्रोजन को निराई-गुड़ाई के समय खेतों में डाल दें.
- अरबी की अच्छी बढ़वार के लिये मिट्टी में नमी बनाये रखना बेहद जरूरी है, इसलिये 7-8 दिन के बीच में सिंचाई का काम करते रहें.
- वैसे तो मानसून में अरबी की फसल को कम ही पानी की जरूरत होती है, लेकिन बारिश कम होने पर 15-20 दिन में शाम के समय हल्की सिंचाई का काम कर देना चाहिये.
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