क्यों चर्चा में है हिमालय की गोद में उगने वाली लेह-बेरी, जिसे मानते हैं दूसरी संजीवनी बूटी
Leh Berry: लेह बेरी कोई साधारण फल नहीं है, बल्कि पोषण से भरपूर एक्जोटिक फ्रूट है, जो ठंडे रेगिस्तान में पैदा होता है. ये व्यापक उद्यमिता के साथ लेह-लद्दाख मे रहने वाले लोगों की आजीविका का साधन है.
Leh Berry Production: हाल ही में लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर बी.डी. मिश्रा ने केंद्रीय मंत्री डॉ.जितेंद्र सिंह से मुलाकात की और कई अहम मुद्दों पर चर्चा की. इस दौरान केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि लेह बेरी से खाद्य उत्पाद तैयार करने के लिए कई परियोजनाएं चलाई जा रही है. उन्होंने बताया कि लेह बेरी कोई साधारण फल नहीं है. ये पोषण से भरपूर एक्जोटिक फल है. ये ठंडे रेगिस्तान में पैदा होने वाले विशेष खाद्य उत्पादों में शुमार है, जो व्यापक उद्यमिता के साथ यहां के लोगों की आजीविका का साधन है. इसके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सीएसआईआर काम कर रहा है. ये संस्थान किसानों और स्वयं सहायता समूहों के लिए लेह बेरी की हार्वेस्टिग वाली मशीनें विकसित कर रहा है. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2018 में सी-बक्थॉर्न की व्यापक की सलाह दी थी, क्योंकि इस जंगली पौधे से आज 10 फीसदी लेह बेरी मिल रही है. इसकी संख्या बढ़ाने से लेह बेरी का उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है.
क्या है लेह बेरी
लेह बेरी एक एक्जोटिक फल है, जो लद्दाख से लेकर उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में उगाया जाता है. इस फल में कमाल के औषधीय गुण हैं. इस फल को संजीवनी बूटी के समान माना जाता है. विदेशी बाजार में लेह बेरी की अच्छी-खासी मांग है. चीन भी बड़े पैमाने पर लेह बेरी का उत्पादन कर रहा है. एक तरीके से देखा जाए तो लेह बेरी अच्छी कमाई का जरिया है. लद्दाख के अस्तित्व में आने के बाद लेह बेरी काफी चर्चा में बना हुआ है.
मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है पेड़
लेह बेरी के औषधीय गुण और इसके उगने की प्रोसेस पर कई वैज्ञानिक रिसर्च हो चुकी हैं, जिसमें पाया गया है कि इस पेड़ के फल ही नहीं, पत्ती, तना, जड़ हर हिस्सा बेहद काम की चीज है. इस पेड़ की जड़ों में जीनस फ्रैंकिया जीवाणु भी मौजूद होते है. इस पेड़ के आसपास नाइट्रोजन की अच्छी मात्रा में उपस्थिति होती है, इसलिए आसपास की मिट्टी काफी उपजाऊ हो जाती है. लेह बेरी के पेड़ की जड़ें मिट्टी को बांधे रखती हैं. कई देशों लेह बेरी की पत्तियों से ग्रीन टी और जड़-तनों से दवाएं बनाने का भी चलन है. अब भारत में इससे जुड़े उत्पादों को बढ़ावा देने की कवायद की जा रही है.
कमर्शियल फार्मिंग कर रहा चीन
लेह बेरी मेडिसिनल प्रॉपर्टीज से पूरी दुनिया वाकिफ़ है. ये लेह बेरी कैंसर से लेकर डायबिटीज और लिवर की बीमारियों का रामबाण इलाज है. ये शरीर में खून की कमी दूर करके एंटीऑक्सीडेंट्स और तमाम पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है. शरीर में बीमारियों के खिलाफ एक सेफ्टी शील्ड बना देता है. लेह बेरी के इन्हीं गुणों को तलाशने के बाद चीन ने लेह बेरी की कमर्शियल फार्मिंग यानी व्यावसायिक खेती चालू कर दी है. इससे जूस, चाय और कई फूड प्रोडक्ट्स तैयार करके बाजार में उतार दिए गए हैं.
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