Pulses Production In Madhya Pradesh: दाल की बढ़ती कीमतोें से जहां आम आदमी, कारोबारी और केंद्र सरकार तक चिंतित है. विदेशों से देश में कई लाख टन दाल देश की खपत के लिए आ रही हैं. लेकिन इसी बीच राज्य सरकारों के स्तर से भी आम आदमी और व्यापारियों को स्टेट गवर्नमेंट राहत देने की कोशिश रही है. इसी कड़ी में मध्यप्रदेश गवर्नमेंट बड़ा कदम उठाने जा रही है. इससे दाल कारोबार से जुड़े कारोबारियों को बड़ी राहत मिलेगी. 


मुख्यमंत्री ने दाल कारोबारियों को दिए राहत के संकेत


मध्यप्रदेश की दाल इंडस्ट्रीज बड़े मंडी शुल्क से परेशान हैं. इसी को लेकर भोपाल में ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के प्रतिनिधिमण्डल ने हाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की. दाल कारोबारियों ने दाल बनाने के लिए मंगाए जाने वाले दलहन पर मंडी शुल्क से छूट और अन्य मामलों पर बात की. इस पर मुख्यमंत्री ने राहत के संकेत दिए. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश की दाल इंडस्ट्रीज़ के सामने जो भी समस्याएं आ रही हैं. इसकी उन्हें जानकारी है. किसी भी उद्योग को प्रदेश से पलायन नहीं करने देंगे. मध्य प्रदेश के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाये जाने वाले दलहन पर मंडी शुल्क की समीक्षा की जाएगी. एक दो दिन में छूट की घोषणा भी कर दी जाएगी. 


कितना लगता है मंडी शुल्क


दाल कारोबारियों का कहना है कि मंडी शुल्क के रूप में कारोबारियों को मोटी रकम चुकानी पड़ती है. गुजरात में प्रति 10 ट्रकों पर 0.50 प्रतिशत, 5000 रुपये मंडी शुल्क लगता है. महाराष्ट्र में प्रति 10 ट्रकों पर 0.80 प्रतिशत 8000 रुपये मंडी शुल्क लगता है, वहीं मध्यप्रदेश में प्रति 10 ट्रकों पर 1.70 प्रतिशत, 17000 रुपये मंडी शुल्क है. कारोबारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि मध्य प्रदेश में मण्डी शुल्क 1.70 प्रतिशत होने के कारण दालों की कीमतें महंगी हो गई हैं. पड़ोसी राज्य मंडी शुल्क कम होने के कारण सस्ते दामों पर दालों को बेच रहे हैं. मध्यप्रदेश इस मामले में महंगा साबित हो रहा है. इसी कारण दाल मंडी के प्रॉडक्शन पर भी फर्क पड़ रहा है. 


मंडी शुल्क छूट परमानेंट मिलें


मध्य प्रदेश में गेहूं, सोयाबीन तथा चना का उत्पादन अधिक होता है. लेकिन तुअर, उड़द और मूंग की दाल मध्यप्रदेश में कम बोई जाती है. इसी कारण इसे अन्य राज्यों से मंगाया जाता है. मंडी शुल्क पर छूट न मिलने से दालें बेहद महंगे दाम पर कारोबारी खरीदता है. अन्य राज्यों की तरह ही अपने राज्य की पॉलिसी तैयार की जानी चाहिए. इसका फायदा कारोबारी से लेकर आम आदमी तक को मिलेगा. 



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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