Pulses Production: घरेलू उत्पादन हो रहा कम, विदेश से आ रही 25 लाख टन दालें, उत्पादन बढ़ाने की केंद्र सरकार की ये है योजना
देश में गेहूं, धान समेत सभी अनाज का भरपूर भंडार है. दाल भी खूब होती हैं. लेकिन मांग के सापेक्ष पैदावार न होने के कारण भारत को विदेशों से दाल मंगानी पड़ रही है
Pulses Production In India: भारत में धान, गेहूं, दलहन, तिलहनी फसलें खूब बोई जा रही हैं. भारत में दालों का उत्पादन भरपूर हो रहा है. लेकिन जितनी देश की आबादी है. उस हिसाब से यहां दालों की उपज कम है. केंद्र सरकार ने अब इसे बढ़ाने पर जोर देना शुरू कर दिया है.
25 लाख टन दाल करनी पड़ रही इंपोर्ट
आयात निर्भरता घटाने और एग्रीकल्चर प्रोडेक्ट के एक्सपोर्ट को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट में इसकी झलक साफ दिखाई देगी. बजट में कृषि क्षेत्र में दलहनी और तिलहनी फसलों की पैदावार को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष स्कीम लाने की घोषणा हो सकती है. इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से विशेष तौर पर अलग से फंड तैयार किए जाने की खबरें हैं.
अक्टूबर 2022 में थी ये स्थिति
केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2022 में दालों के स्टॉक के आंकड़े जारी किए थे. रिपोर्ट के अनुसार, बफर स्टॉक को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने 1.00 लाख टन आयातित तूर और 50,000 टन आयातित उड़द की खरीद शुरू कर दी है. भारत सरकार के पास पीएसएफ और पीएसएस के तहत विभिन्न दालों का 43.82 लाख टन बफर स्टॉक है. विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत मौजूद स्टॉक से राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को वितरण के लिए जारी मूल्य से 8 रुपये प्रति किलोग्राम के रियायती मूल्य पर चना आवंटित किया जा रहा है. अक्टूबर तक उत्तर प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु से मिली डिमांड के आधार पर इन राज्यों को 88,600 मीट्रिक टन चना आवंटित कर दिया गया.
आ सकती है अलग अलग स्कीम
मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआइ) योजना शुरू की है. इसके रिजल्ट शानदार देखने को मिले हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसी के तहत केंद्र सरकार आगामी बजट में दलहनी व तिलहनी फसलों के लिए अलग तरह की स्कीम ला सकती है. खाद्य तेलों और दालों की आयात निर्भरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केंद्र सरकार को वर्ष में करी एक लाख करोड़ रुपए की विदेशी करेंसी इसी पर खर्च करनी पड़ती खर्च करनी पड़ती है. केंद्र सरकार देश में दाल उत्पादकता को बढ़ावा देकर दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर होने की दिशा में कदम उठा रही है. वहीं, तिलहनी फसलों की प्रॉडक्टिविटी बढ़ााने के लिए पिछले आम बजट में 11 हजार करोड़ रुपए से अधिक की योजना शुरु की गई.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.