Crop Residue Management: उत्तर भारत में पराली जलाने के कारण वायु प्रदूषण काफी बढ़ गया है. बढ़ते धुध के कारण वायु सेना के लड़ाकू विमानों की प्रैक्टिस रोक दी गई है. सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले पंजाब से ही सामने आए हैं, जिसका बुरा असर लोगों की सेहत पर भी पड़ रहा है. इस घटना पर संज्ञान लेकर अब पंजाब सरकार ने पराली को ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने का फैसला लिया है. पंजाब सरकार के आदेशानुसार अब पराली का इस्तेमाल ईंट के भट्टों पर ईंधन के तौर पर करना होगा. इसके लिए राज्य के सभी ईंट भट्टा मालिकों को 6 महीने का समय दिया गया है. जो भी इन हिदायतों को नहीं मानेगा, सरकार उस पर सख्त कार्रवाई करेगी.
 
20% पराली का इस्तेमाल
पंजाब सरकार ने ईंट के भट्टों पर इस्तेमाल होने वाले ईंधन के साथ 20 प्रतिशत पराली का इस्तेमाल करने का भी आदेश दिया है. पराली का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया है. 1 मई 2023 के बाद जो भी इन आदेशों को नहीं मानेगा या उल्लंघन करेगा, उस पर सरकार कार्रवाई भी करेगी. इस मामले में पर्यावरण एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने रिपोर्ट्स के हवाले से बताया कि पंजाब के सीएम भगवंत मान के दिशा-निर्देशों पर राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया गया है. इसमें ईंटों बनाने वाले भट्टों पर 20% ईंधन के तौर पर पराली के गट्ठरों का इस्तेमाल करना अनिवार्य बताया गया है. 


सरकार ने दिया 6 महीने का समय
पराली जलाने के मामलों के साथ बढ़ते प्रदूषण की समस्या के मद्देनजर अब पंजाब सरकार ने सख्ती की है. अब पराली का इस्तेमाल ईंधन के रूप में करने के लिए भट्टों के मालिकों को 6 महीने का अंतरिम समय दिया गया है. तब तक इन सभी ईंट भट्टों को सभी प्रबंध करने होंगे. वहीं सरकार का ये आदेश 1 मई 2023 से पूर्ण रूप से लागू हो जाएगा, जिसका पालन ना करने वालों पर सरकार सख्ती भी करेगी.


इस मामले में पर्यावरण एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि ईंधन के तौर पर 20% पराली का इस्तेमाल करने से ना सिर्फ प्रदूषण कम होगा, बल्कि किसानों को भी पराली बेचकर आर्थिक मजबूती मिलेगी. इस काम के लिए राज्य सरकार भी ईंट भट्टा मालिक और किसानों को तकनीकी सहायता देगी.


पराली प्रबंधन के लिए मिलेंगी मशीनें
पराली जलाने से बढ़ते प्रदूषण की समस्या को रोकने के लिए पंजाब सरकार लगातार इन सीटू और एक्स सीटू मैनेजमेंट पर काम कर रही है. पंजाब के किसानों को पराली का प्रबंधन करने के लिए सवा लाख कृषि उपकरण सब्सिडी पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. वहीं तमाम उद्योगों में ईंधन के तौर पर पराली का इस्तेमाल करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है.


पराली से सी.एन.जी., बिजली और अन्य ऊर्जा संसाधन बनाने पर काम हो रहा है, लेकिन इन सब के बावजूद पराली जलाने के मामले जस के तस हैं. इसके पीछे बड़ा कारण ये भी है कि धान की कटाई के बाद दूसरी फसलों की बुवाई के लिए किसानों के पास समय कम बचता है, जिसके चलते वो पराली का प्रबंधन करने के बजाए उसे जला देते हैं. इससे प्रदूषण की समस्या और भी बढ़ जाती है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


यह भी पढ़ें- दूध समति, डेरी शेड, पशु आहार सेंटर के लिए शानदार लोन स्कीम, सरकार ने तैयार किया ब्लू प्रिंट