PMFBY in Punjab: सालों पहले पंजाब की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़ने से साफ बना कर दिया था. आज धान और कपास के किसानों को 1,500 करोड़ का फसल नुकसान मुआवजा अदा करने के बाद आम आदमी पार्टी सरकार ने पंजाब को भी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PM Fasal Beema Yojana) में शामिल करने के फैसला किया है. बता दें कि पिछले 2 सालों से मौसम की अनिश्चितताओं के कारण पंजाब में भारी बारिश और कीट-रोगों का प्रकोप देखा जा रहा है.
इसका सबसे बुरा असर 'सफेद सोना' कपास की उपज पर पड़ा है. आकंड़ों की मानें तो तीन साल पहले तक पंजाब में फसल नुकसान (Crop Loss Compensation) के मामले 5% तक ही सीमित थे, लेकिन अब बढ़ते नुकसान के मामले किसान और सरकार दोनों के लिए चिंताजनक मुद्दा बन गया है. यही वजह है कि अब फसल नुकसान की भारी-भरकम अदायगी से राहत पाने के लिए पंजाब सरकार भी पीएम फसल बीमा योजना (PMFBY in Punjab) का हिस्सा बनने जा रही है.
धान और कपास की फसल में हुआ भारी नुकसान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पंजाब में पिछले दो सालों में बासमती और गैर-बासमती धान की फसल में नुकसान के मामले 5% से बढ़कर 15% तक पहुंच गये हैं. इसी तरह कपास की फसल में भी पिंक बाल वर्म और सफेद मक्खी से नुकसान झेलने वाले किसानों को पिछले 2 साल में 700 करोड़ रुपये का फसल मुआवजा दिया गया है. हाल ही में, पंजाब के कृषि निदेशक ने कन्फर्म किया है कि अब पंजाब सरकार भी पीएम फसल बीमा योजना को अपनाएगी.
पंजाब की राज्य फसल बीमा से नहीं मिला लाभ
18 February 2016 को केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की. उस समय पंजाब ने इस योजना का विरोध किया और अपनाने से मना कर दिया. इसके पीछे बड़ा कारण यह भी रहा कि इस योजना ने सिंचित और गैर-सिंचित क्षेत्रों को मुआवजे के लिए शामिल किया था और सिर्फ 40% नुकसान के लिए ही भरपाई मिल रही थी. वहीं फसल बीमा के प्रीमियम का आकलन भी पिछले 10 साल के आंकड़ों की तर्ज पर हुआ था. इसके बाद तत्कालीन सरकार ने राज्य फसल बीमा योजना की शुरुआत की, लेकिन अब बढ़ते नुकसान के बीच पंजाब की सरकार अपनी ही योजना के बोझ तले दबती जा रही है.
PMFBY से जुड़ेंगे ये राज्य
इस मामले में आला अधिकारियों ने बताया कि पंजाब सरकार अब सभी तरह के डाटा को ऑनलाइन एकट्ठा करेगी, जो भूमि रिकॉर्ड्स के डिजीटलीकरण और सेटेलाइट तस्वीरों के जरिये फसल नुकसान की गणना में काम आएगा. आश्चर्य की बात ये भी है कि पंजाब से पहले तेलंगाना, गुजरात और बिहार जैसे राज्यों ने भी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से बाहर निकलने का फैसला किया था, लेकिन ये राज्य भी अब अगले वित्त वर्ष से पीएम फसल बीमा योजना में जुड़ने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं.
क्या है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को अपनी वर्तमान फसल का बीमा करवाने के लिए एक निश्चित प्रीमियम का भुगतान करना होता है, जिसके बाद कोई प्राकृतिक आपदा या जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों के कारण फसल को नुकसान होने पर बीमित किसान को मुआवजा दिया जाता है. रबी फसलों का बीमा करवाने पर 1.5 प्रतिशत प्रीमियम और खरीफ फसलों के लिए 2 प्रतिशत ब्याज का भुगतान करना होता है. बाकी बचे ब्याज की अदायगी केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर आपसी सहयोग से करती हैं. इसके बाद, यदि बीमित फसल में नुकसान हो जाता है तो किसानों को 2,000 ये 12,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा मिलता है. ये रकम आपदा राहत कोष से खर्च की जाती है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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