Tur Farming with Pusa Arhar-16: खरीफ सीजन प्रमुख दलहनी फसलों (Pulse Crop) में अरहर दाल भी शामिल है, जिसकी खेती मानसून की बारिश (Monsoon Rain) के दौरान की जाती है. एक प्रमुख नकदी फसल होने के साथ-साथ अरहर एक पोषक अनाज (Nutritional Crop) भी है, इसलिये इसकी खेती लिये उन्नत किस्मों का ही प्रयोग करना चाहिये.


भारत में अरहर की खेती (Tur Cultivation) से अच्छा उत्पादन (Good Production) लेने के लिये जल निकासी वाली दोमट या बलुई मिट्टी बेहतर रहती है. खेती के लिये उन्नत किस्म (Advanced Varieties) के बीजों के साथ-साथ बीजोपचार का काम भी करना जरूरी है, जिससे फसल में कीड़े और बीमारियों की संभावना कम हो जाये. भारत में अरहर की अच्छी पैदावार और जल्दी पकने वाली किस्मों में पूसा अरहर-16 (Pusa Arhar-16) काफी लोकप्रिय है.



पूसा अरहर-16 की खासियत
पूसा अरहर-16, अरहर की देसी किस्म है, जिसे आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR_IARI) के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है. अरहर की ये किस्म सिर्फ 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है. 



  • परंपरागत किस्मों (Traditional Varieties) के मुकाबले पूसा अरहर-16 एक मजबूत किस्म है, जिससे कई गुना ज्यादा पैदावार मिलती है.

  • पूसा अरहर-16 की बुवाई के लिये लाइनों के बीच 30 सेमी. की दूरी और पौधों के बीच में 10 सेमी. की दूरी रखकर बुवाई करनी चाहिये.

  • मेड़ों पर अरहर की बुवाई करने पर अधिक जल भराव और फफूंदी रोगों की रोकथाम में मदद मिलती है.

  • बुवाई से पहले 2.5 ग्राम थीरम तथा ग्राम कार्बेण्डाजिम से प्रति किलो अरहर के बीजों का उपचार कर लेना चाहिये.

  • राइजोबियम कल्चर से बीजोपचार करने के बाद फफूंदी रोगों की संभावना नहीं रहती.

  • किसान चाहें तो बेहतर उत्पादन के लिये एक हेक्टेयर खेत में 10-15 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 40-50 कि.ग्रा. फॉस्फोरस तथा 20 कि.ग्रा. सल्फर का मिश्रण डाल सकते हैं.

  • ध्यान रखें कि खाद-उर्वरकों (Fertilizers) का इस्तेमाल मिट्टी की जांच और विशेषज्ञों की सलाह (Expert's Advice) के अनुसार ही करें.

  • ठीक प्रकार से बुवाई के बाद पूसा अरहर-16 से एक हेक्टेयर खेत में 3 लाख से भी ज्यादा पौधे मिल जाते हैं.

  • 120 दिन बाद इसकी कटाई करके रबी सीजन की फसलें जैसे-सरसों, आलू और गेहूं की खेती कर सकते हैं.

  • पूसा अरहर-16 की खेती के बाद मिट्टी की उपजाऊ (Soil Health) क्षमता बढ़ जाती है, जिसका फायदा अगली फसल को मिलता है.

  • ये एक जल्दी पकने वाली किस्म है, इससे अच्छी पैदावार लेने के लिये जुलाई के प्रथम सप्ताह तक इसकी बुवाई का काम निपटा लेना चाहिये.

  • अच्छी उपज के लिये जैविक विधि (Organic Method) से अरहर की खेती (Tur Farming) करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है.




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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