Pusa Basmati 1692: कमजोर मानसून और कम बारिश के कारण देश में धान की खेती(Paddy Cultivation) का काम भी देरी से चल रहा है. इस समय किसान धान की ऐसी किस्मों (Best Varieties of Paddy) की बुवाई करना चाहते हैं, जो कम समय और कम मेहनत में ही अच्छी पैदावार दे सकें. इसके लिये कृषि विशेषज्ञ धान की पूसा बासमती-1509 (Pusa Basmati 1509), पूसा बासमती-1692 (Pusa Basmati-1692) ,पूसा बासमती 1612 (Pusa Basmati-1612), पूसा बासमती-1121(Pusa Basmati-1121), पूसा बासमती-1401 (Pusa Basmati-1401) आदि किस्मों से सीधी बिजाई (Direct Seeding) करने की सलाह देते हैं. धान की इन किस्मों में एक बेहतरीन किस्म है पूसा बासमती- 1692(Pusa Basmati-1692), जो कम अवधि वाली फसल है और 115 दिन में पककर तैयार हो जाती है. 


पूसा बासमती 1692 (Pusa Basmati 1609)
पूसा बासमती 1692 को धान की बेहतरीन स्वदेशी किस्म के नाम से जानते हैं, जिसकी पुआल लंबी और इसके दाने खुशबूदार होते हैं.



  • धान की ये किस्म एक हेक्टेयर खेत में 27 क्विंटल तक बढ़िया क्वालिटी की पैदावार देती है.

  • कम अवधि में पकने वाली धान की ये किस्म मजबूत और रोग प्रतिरोधी होती है.

  • इसके दानों की क्वालिटी भी बेस्ट होती है, जो आसानी से नहीं टूटते.

  • किसान चाहें तो इसकी खेती करके करीब 50 फीसदी तक खड़े चावल का उत्पादन ले सकते हैं.  





  • दूसरे चावल की किस्मों के मुकाबले पूसा बासमती (Pusa Basmati Rice)अधिक दाम में मिलता है, जिससे किसानों को भी अच्छा लाभ कमाने का मौका मिल जाता है. 

  • बाजार में पूसा बासमती 1692 के बीजों का दाम थोड़ा ज्यादा है, यही कारण है कि इसकी उपज से भी दोगुना कीमत मिलती है. 

  • जून 2020 में तैयार की गई धान की ये स्वदेशी किस्म किसानों की आय बढ़ाने का जरिया है.  

  • जैविक विधि से पूसा बासमती 1692 की खेती (Orgnaic Farming) करने पर धान की अधिक पैदावार मिलती है.

  • बासमती धान (Basmati Paddy) की फसल में पोषण के लिये अब कृषि विशेषज्ञ भी रसायनों के स्थान पर जीवामृत (Jeevamrit) और अजोला (Azolla)के इस्तेमाल की हितायद देते है.


बासमती चावल का निर्यात (Basmati Rice Export)
पूरी दुनिया में भारत के बासमती चावल(Basmati Rice)  की अलग ही धाक है. खासतौर भारत में जैविक विधि (Organic Farming)  से उगाये जाने वाले बासमती चावल की करीब 150 देशों में भारी डिमांड होती है. आंकड़ों की मानें तो साल 2021-22 के दौरान भारत ने करीब 39 लाख टन से भी ज्यादा बासमती चावल का निर्यात(Rice Export)  किया है. इससे किसानों को भी उपज का सही दाम मिल जाता है और अच्छी क्वालिटी के धान (Best Quality Paddy)का रकबा बढ़ाने में भी मदद मिलती है.




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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