Stubble Management: मौजूदा समय में देश का एनवायरमेंट दूषित करने में सबसे बड़ी वजह पराली बनी हुई है. किसान खेतों में जाकर पराली जला रहे हैं. पराली जलने से उठने वाले धुएं से ही दमघोंटू स्मॉग बना हुआ है. केंद्र सरकार भी पराली मैनेजमेंट के लिए अपने स्तर से कदम उठा रही हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) ने पराली निस्तारण के लिए पूसा डी कंपोजर बनाया है. केंद्र सरकार की पहल पर राज्य सरकारों ने इस डी कंपोजर का प्रयोग किया है और लाखों एकड़ में पराली को पूसा डी कंपोजर से गलाकर काम तमाम भी किया है. 


25 लाख एकड़ में किया प्रयोग
केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 3 सालों में पूसा डीकंपोजर का प्रयोग तेजी से बढ़ा है. केंद्र सरकार की भी कोशिश है कि अधिक से अधिक किसान इस डी कंपोजर का प्रयोग कर पराली को खत्म कर दें. इससे पराली को जलाने की नोबत नहीं आएगी और पर्यावरण भी पॉल्यूटिड नहीं होगा. पिछले तीन साल में उत्तरप्रदेश में 26 लाख एकड़, पंजाब में 5 लाख एकड़, हरियाणा में 3.5 लाख एकड़ व दिल्ली में 10 हजार एकड़ में पूसा डी कंपोजकर का इस्तेमाल किया गया है. इसके रिजल्ट भी सकारात्मक मिले हैं. 


पूसा डी कंपोजर के प्रयोग से जमीन को नुकसान नहीं
विशेषज्ञों का कहना है कि किसान केवल तुरंत लाभ के लिए पराली को खेतों में जला देते है. लेकिन इसके दूरगामी परिणाम उन्हें नहीं दिखते. पराली जलने से जहां एनवायरमेंट खराब होता है. वहीं, जमीन से जरूरी उर्वरक तत्व भी खत्म हो जाते हैं. इससे जमीन में फसलें सही ढंग से विकसित नहीं हो पातीं. पूसा डी कंपोजर से पराली को गलाया जाता है. पराली गलने के बाद जमीन को कोई नुकसान नहीं होता. उसकी उर्वरकता बनी रहती है.


इस साल इतनी जगह जलती भी मिली पराली


पंजाब में 3 नवंबर को 2666 केसेज, 2 नवंबर को 3634, 1 नवंबर को 1842 जगहों पर पराली जलाने के कसे रिकॉर्ड किए गए हैं. 31 अक्टूबर को  2131, 30 अक्टूबर, 29 अक्टूबर को 1761 , 28 अक्टूबर को 1898 मामले सामने आए थे. वहीं, हरियाणा में 3 नवंबर को 128, दो नवंबर को 166, एक नवंबर को 88, 31 अक्टूबर को 70, 30 अक्टूबर को 112 केस दर्ज किए गए. इनके अलावा मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी अधिक केस रिकॉर्ड किए जा रहे हैं.


मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, संगरूर में 2721 जगहों पर सैटेलाइट के जरिए आग लगने की लोकेशन मिली. अधिकारियों ने 1051 से ज्यादा जगहों पर खुद जाकर इन घटनाओं की जांच की. करीब 756 जगहों पर पराली जलती मिली. कमीशन ऑफ एयर क्वॉलिटी की रिपोर्ट के जो आंकड़ों के अनुसार, 15 सितंबर से 3 नवंबर तक पंजाब में 15 सितंबर से 3 नवंबर तक पराली जलाने के 24146 मामले सामने आए हैं. हरियाणा में 2377, उत्तरप्रदेश में 842, मध्यप्रदेश में 1579, राजस्थान में 462 और दिल्ली में 7 जगह पराली जलाने के केस दर्ज किए गए हैं. ये सभी केस तेजी से बढ़ते जा रहे हैं.



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.



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