Stubble Burning: पूसा इंस्टिट्यूट की नई रिसर्च, पराली का काम तमाम करेगा पाउडर
Stubble Burning Pusa Decomposer: पूसा रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने फसल अवशेष प्रबंधन के लिये एक बायो डीकंपोजर पाउडर तैयार किया है, जिसे पानी में मिलाकर घोलकर तुरंत ही खेतों में भी डाल सकते हैं.
![Stubble Burning: पूसा इंस्टिट्यूट की नई रिसर्च, पराली का काम तमाम करेगा पाउडर Pusa Institute invented Bio Pusa De composure powder capsule for stubble management in India Stubble Burning: पूसा इंस्टिट्यूट की नई रिसर्च, पराली का काम तमाम करेगा पाउडर](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/09/19/6fa843242943c18a39d6eeca51270f2b1663574123462455_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Pusa Bio Decomposer for Stubble Management: पराली(stubble) का धुआं दिल्ली, एनसीआर, यूपी, हरियाणा, पंजाब के लोगों की सांसों पर संकट डालता है. सरकार इससे निपटने की तमाम कवायदें करती है. लेकिन फेल नजर आती है। पूसा इंस्टिट्यूट(Pusa Institute) ने किसान के खेत में पराली का काम तमाम करने की कवायद कर दी है. पूसा इंस्टिट्यूट की नई रिसर्च में ऐसा ही पाउडर तैयार किया गया है, जोकि खेत में खड़ी पराली को गला सकेगा.
गोली का घोल तैयार करने में लगता है 15 दिन का समय
वर्ष 2019 में पराली के प्रकोप ने गवर्नमेंट अफसरों की सांसे फुला दी थीं. दिल्ली सरकार ने पूसा इंस्टिट्यूट द्वारा तब ऐसा ही कैप्सूल तैयार करने का दावा किया था, जो खेत में ही खड़े फसलों के अवशेष को गला देगा. ऐसी ही टैबलेट सामने आई थी. उसका नुकसान यह हुआ कि टैबलेट या कैप्सूल से घोल तैयार करने में 15 दिन का वक्त लग जाता है. अधिक टाइम लगने के कारण ही किसानों ने इस कैप्सूल का इस्तेमाल करने से मुंह मोढ़ना शुरू कर दिया.
अब पूसा इंस्टिट्यूट की नई रिसर्च ने किसानों के लिए नई उम्मीद दी है. पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान(Indian agriculture research institute) ने वैज्ञानिकों के मुताबिक, पूसा बायो डी कम्पोजर अभी टैबलेट के रूप में उपलब्ध है. इससे घोल बनाने में 15 दिन का समय लग जाता है. घोल बनाने का प्रोसेस भी थोड़ा मुश्किल है. पाउडर के साथ ऐसा नहीं होगा, इसके पानी में मिलाकर घोल तुरंत बन जाएगा। किसान तुरंत ही इसे अपने खेतों में भी डाल सकता है.
पाउडर में जीवाणु अधिक डाले जा रहे
जब पराली के धुएं का कहर बरपा तो जल्दबाजी में टैबलेट और कैप्सूल तैयार किये गए थे. इसमें पराली को गलाने वाले जीवाणु भी डाले गए. कैप्सूल और टैबलेट से पराली गली जरूर, मगर नतीजे उतने अच्छे नहीं रहे. पूसा रिसर्च इंस्टीट्यूट (ICAR-IARI) के वैज्ञानिक तभी से इस दिशा में काम कर रहे थे. अब उन्होंने पाउडर तैयार किया है. पराली को जल्दी और जड़ से खत्म करने के लिए पाउडर में जीवाणुओं की संख्या अधिक डाली गई है.
दिल्ली, यूपी समेत 4 राज्यों की भूमि पर होगा परीक्षण
पाउडर में जीवाणुओं की अधिक संख्या डाली गई है तो वैज्ञानिक भी उसके रिजल्ट जानने को उत्सुक हैं। पूसा रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने तय किया है कि पाउडर (New Decomposer Powder) के परिणाम जानने के लिए दिल्ली, हरियाणा, यूपी और पंजाब में इसका परीक्षण (Pusa Decomposer Testing) किया जाएगा. इसके लिए सभी 4 राज्यों में 5 हजार एकड़ भूमि भी तलाश ली गई है. वैज्ञानिक (Pusa Scientist) मौके पर जाकर दवा का परीक्षण करेंगे. उसकी रिपोर्ट सीनियर अफसरों को सौंपी जाएगी. यदि रिजल्ट पॉजिटव रहे तो अगले साल से यह पाउडर बाजार में उपलब्ध होगा. पाउडर (Pusa Decomposer Powder) के बाजार में आने के बाद किसान पराली नष्ट करने कज चिंता से काफी हद तक फ्री भी हो जाएंगे.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
इसे भी पढ़ें:-
Subsidy Offer: मुफ्त में मिल रहे हैं सरसों और रागी के उन्नत बीज, सिर्फ इन्हीं किसानों मिलेगा फायदा
UP का दम नहीं घोटेगी पराली, स्मॉग से निपटाने के लिए इस तरह होगा काम
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)