Wheat Cultivation: कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ देगी गेहूं की ये किस्म, 112 दिन में तैयार होगी 75 क्विंटल तक पैदावार
Pusa Tejas Wheat: गेहूं की पूसा तेजस किस्म से बुवाई के 115 से 125 दिनों के अंदर 65 से 75 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं. पूसा तेजस गेहूं के एक हजार दानों का वजन ही 50 से 60 ग्राम होता है.
Wheat Cultivation with Pusa Tejas: रबी सीजन (Rabi Season 2022) की प्रमुख नकदी फसलों में गेहूं की गिनती सबसे ऊपर होती है. यह प्रमुख खाद्यान्न फसल तो है ही, साथ ही भारत में इसका उत्पादन और खपत दोनों ही काफी ज्यादा है. अब भारतीय गेहूं (Indian Wheat) से देश के साथ-साथ दुनिया की जरूरतें भी पूरी की जा रही है. ऐसी स्थिति में किसानों के ऊपर भी अच्छी क्वालिटी वाला अनाज उगाने की जिम्मेदारी बढ़ जाती है.
हमारे वैज्ञानिकों ने गेहूं की कई ऐसी किस्में विकसित की हैं, जो कम समय और कम खर्च में ही अच्छी क्वालिटी का अनाज देती है, सही समय पर बुवाई करने से फसल की पैदावार भी अच्छी होती है. इन किस्मों में पूसा तेजस (Puja Tejas Wheat) गेहूं शामिल है, जिसे साल 2016 में इंदौर कृषि अनुसंधान केन्द्र ने विकसित किया था, लेकिन आज के समय में यह किस्म मध्य प्रदेश के किसानों के लिये किसी वरदान से कम नहीं है.
पूसा तेजस गेहूं
पूसी तेजस गेहूं का वैज्ञानिक नाम HI-8759 भी है, जो रोटी और- बेकरी उत्पादों (Bakery Wheat) के साथ-साथ नूडल, पास्ता और मैक्रोनी जैसे उत्पादों को बनाने के लिये सबसे उपयु्क्त रहती है.
- गेहूं की ये उन्नत प्रजाति आयरन, प्रोटीन, विटामिन-ए और जिंक जैसे पोषक तत्वों का बेहतरीन स्रोत है. वहीं इस किस्म में गेरुआ रोग, करनाल बंट रोग और खिरने की संभावना भी नहीं रहती.
- बता दें कि पूसा तेजस गेहूं की फसल में पत्तियां चौड़ी, मध्यमवर्गीय, चिकनी और सीधी होती है, जो किसानों जोखिम में भी रिकॉर्ड उत्पादन दे सकती है.
बुवाई का समय और बीजदर
पूसा तेजस गेहूं की बुवाई के लिये 10 नवंबर से लेकर 25 नवंबर तक का समय सबसे उपयुक्त रहता है. इस दौरान प्रति एकड़ के लिये 50 से 55 किलोग्राम बीज, प्रति हेक्टेयर के लिये 120 से 125 किलोग्राम बीज और प्रति बीघा के हिसाब से 20 से 25 किलोग्राम बीजदर का प्रयोग करना चाहिये. बता दें कि पूसा तेजस गेहूं में कल्लो की संख्या भी ज्यादा रहती है. साधारण किस्मों के मुकाबले पूसा तेजस गेहूं के पौधे में 10 से 12 कल्ले निकलते हैं.
इस तरह करें खेती
इसके बुवाई से पहले खेतों में गहरी जुताई लगाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिये. इसके बाद गोबर की खाद और खरपतवार नाशी दवा (Weed Management in Wheat) का भी मिट्टी में छिड़काव करना चाहिये, ताकि फसल में खरपतवारों की संभावना भी ना रहे. पूसा तेजस के बीजों की बुवाई से पहले बीजों का उपचार करने की सलाह दी जाती है. इसके लिये कार्बोक्सिन 75 प्रतिशत या कार्बनडाजिम 50 प्रतिशत 2.5-3.0 ग्राम दवा से प्रति किलोग्राम बीजों का उपचार करना चाहिये.
- यदि खेत या फसल में कभी कण्डवा रोग का इतिहास रहा हो, तब भी बीजो को 1 ग्राम टेबुकोनाजोल या पीएसबी कल्चर 5 ग्राम से प्रतिकिलो बीजों को उपचारित (Seed Treatment) कर लेना चाहिये.
- गेहूं की बुवाई का समय बचाने के लिये सीडड्रिल मशीन (Seed Drill Machine) का इस्तेमाल फायदेमंद साबित हो सकता है. इससे लाइनों के बीच 18 से 20 सेमी और 5 सेमी. गहराई में बीजों की बुवाई करनी चाहिये.
फसल प्रबंधन और देखभाल
वैसे को पूसा तेजस अपने आप में अच्छी पैदावार दैने वाली किस्म है, लेकिन मिट्टी की जांच के आधार पर एक हेक्टेयर खेत में 120 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस और 30 से 40 किलो पोटाश का इस्तेमाल कर सकते हैं.
- गेहूं के बीजों का अंकुरण, पौधों और जड़ों का सही विकास और फसल से बेहतर उत्पादन के लिये माइक्रोराइजा जैव उर्वरक (Micorriza Bio Fertilizer) का प्रयोग भी फायदेमंद साबित हो सकता है.
- बता दें कि पूसा तेजस (Pusa Tejas) गेहूं की फसल सिर्फ 3 से 5 सिंचाईयों में पककर तैयार हो जाती है, इससे मिट्टी में सिर्फ नमी बनाये रखकर भी अच्छा उत्पादन ले सकते हैं.
- गेहूं फसल की समय-समय पर निगरानी, खरपतवार प्रबंधन, निराई-गुड़ाई, कीट नियंत्रण और रोग प्रबंधन आदि प्रबंधन कार्य भी करते रहना चाहिये.
गेहूं का उत्पादन
गेहूं की पूसा तेजस किस्म से बुवाई के 115 से 125 दिनों के अंदर 65 से 75 क्विंटल तक पैदावार (Pusa Tejas Wheat Production) ले सकते हैं. पूसा तेजस गेहूं के एक हजार दानों का वजन ही 50 से 60 ग्राम होता है. कड़क और चमकदार दानों वाली पूसा तेज प्रजाति दिखने में जितनी आकर्षक होती है, इससे बने खाद्य पदार्थ (Wheat Products) भी उतने ही स्वादिष्ट होते हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
इसे भी पढ़ें:-
धान की इन 18 देसी प्रजाति को बचाने की पहल, नेशनल जीन बैंक में किया गया रिजर्व