Quail Egg Farming: भारत की ग्रामीण आबादी अपनी आजिविका के लिये खेती-किसानी के साथ-साथ पशुपालक(Animal Husbandry), मुर्गी पालन(Poultry Farming), मछली पालन (Fish Farming) जैसे छोटे-मोटे व्यवसाय भी करते हैं. बटेर पालन (Quail Farming) भी इन्हीं कामों में से एक है, जो किसानों के लिये अतिरिक्त आमदनी का बेहतरीन जरिया बन सकता है. बता दें कि ये जंगली पक्षी (Wild Bird Quail) रखरखाव और देखभाल के मामले में मुर्गियों से भी किफायती साबित होता है. छोटे और सीमांत किसान चाहें तो कम खर्च में बटेर पालन (Quail Farming) करके अच्छी आमदनी कमा सकते हैं.


बटेर 
बता दें कि बटेर एक जंगली पक्षी है, जो सालभर में 250 से 300 अंडे देता है. जहां मुर्गियों के दाना-पानी से लेकर देखभाल में काफी खर्चा होता है. वहीं बटेर पालन में ऐसी कोई लागत नहीं आती.



  • बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के कई इलाकों में बटेर पालन किया जाता है. 

  • बता दें कि ये पक्षी बेहद कम हो गये है, जिसके कारण इनके संरक्षण के लिये लगातार प्रयास किये जा रहे हैं.

  • इतना हीं नहीं, भारत सरकार ने बटेर पालन के लिये कई नियम भी बनायें और इसे प्रतिबंधों की श्रेणी में रखा है.

  • किसान चाहें तो बटेर पालन के लिये लाइसेंस (License for Quail Farming)ले सकते हैं या फिर बटेर की जापानी नस्ल (Japanese Quail) भी पाल सकते हैं, जिस पर कोई प्रतिबंध नहीं है.




बटेर पोल्ट्री फार्म
भारत में बटेर पालन (Quail Farming)करना बहुत मुश्किल काम नहीं है. किसान चाहें तो 1000 बटेर खरीदकर 50,000 की लागत में एक पोल्ट्री फार्म शुरु कर सकते हैं. इस तरह हर महीने 20 से 25 हजार रुपये की आमदनी ले सकते हैं. इसके अलावा, बटेर पोल्ट्री फार्म (Quail poultry Farm)का मुनाफा बढ़ाने के लिये बटेरों की संख्या भी बढ़ा सकता है.
 
बटेर पोल्ट्री फार्म से आमदनी
बता दें कि अंडों से निकलने के बाद 45 से 50 दिनों के अंदर बटेर पक्षी अंडा देने लायक हो जाते हैं. ये मादा पक्षी सालभर में 300 अंडे देती है, जो पोषण के मामले में कहीं ज्यादा फायदेमंद हैं.



  • बाजार में बटेर के अंडों (Quail Eggs)के साथ-साथ इसका मांस भी अच्छे दामों पर बिकता है.

  • मात्र 30 से 35 दिनों के अंदर इन पक्षियों का वजन (Quail Weight) 180 से 200 ग्राम हो जाता है, जो बाजार में 50 से 60 रुपये का बिक जाते हैं.

  • इस प्रकार बटेर पालन (Quail Farming) ग्रामीण, आदिवासी और जंगली इलाकों में किसानों के लिये बेहतर आमदनी का जरिया बन सकता है.




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


इसे भी पढ़ें:-


Waste Decomposer: फसल अवशेष प्रबंधन में गाय की मदद लें किसान, कम खर्च में ही निपट जायेगा लाखों का काम


Poultry Farming: 250 अंडे देने वाली ये मुर्गी बना सकती है मालामाल, पोल्ट्री फार्म के जरिये कमा सकते हैं अच्छा पैसा