2024-25 में बढ़ा रबी फसलों का क्षेत्रफल, गेहूं को मिली प्राथमिकता
Rabi 2024-25: इस वर्ष रबी की फसल का क्षेत्रफल काफी अच्छा रहा. जबकि तिलहन के क्षेत्रफल में इस बार गिरावट आई है.
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2024-25 के रबी सीजन में कुल रबी फसलों का क्षेत्रफल पिछले साल की तुलना में बढ़ा है इस साल गेहूं की बुवाई में अधिक ध्यान दिया गया, जबकि तिलहन की बुवाई में कमी आई है सरकार की कोशिशों के बाद भी तिलहन के उत्पादन में गिरावट देखी गई है. इसकी मुख्य वजह किसानों को गेहूं और अन्य फसलों से बेहतर मूल्य मिलना बताया जा रहा है.
कृषि मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार इस साल कुल रबी फसलों का क्षेत्रफल 656 लाख हेक्टेयर रहा. जो पिछले साल 644 लाख हेक्टेयर था इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण गेहूं का बढ़ता क्षेत्रफल है. जो इस वर्ष 324 लाख हेक्टेयर रहा, जबकि पिछले साल यह 315 लाख हेक्टेयर था गेहूं को प्राथमिकता देने के पीछे किसान इसकी बेहतर कीमतों का लाभ उठाना चाहते हैं.
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हो रहा कम फायदा
वहीं, तिलहन का क्षेत्रफल इस बार 4% घटकर 98 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया, जो पिछले साल 102 लाख हेक्टेयर था सरकार ने तिलहन के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई थीं, लेकिन गेहूं और दालों के मुकाबले तिलहन से किसानों को कम लाभ हो रहा है खासकर सरसों, सूरजमुखी और सोयाबीन की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम रही, जिसके कारण किसान इन्हें सस्ते में बेचने को मजबूर हो गए.
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दालों का क्षेत्रफल बढ़ा
इसके अलावा दालों का क्षेत्रफल बढ़ा है इस वर्ष दालों का क्षेत्रफल 139 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 142 लाख हेक्टेयर हो गया है इससे यह साफ है कि किसान अब दालों की खेती में भी अधिक रुचि दिखा रहे हैं हालांकि, मिलेट्स (बाजरा) का क्षेत्रफल पिछले साल के स्तर पर स्थिर रहा, जो 56 लाख हेक्टेयर है.
क्या है वजह?
विशेषज्ञों की मानें तो तिलहन की खेती में गिरावट की मुख्य वजह इसके लिए सही रेट का अभाव है उत्तर प्रदेश योजना आयोग के पूर्व सदस्य सुधीर पंवार के अनुसार, तेल फसलों की कीमतें स्थिर या नकारात्मक रहती हैं, जबकि गेहूं की कीमतें सकारात्मक हैं, जिससे किसान गेहूं की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं.
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