Rabi Crop Farming: देशभर में रबी फसलों की बुवाई का काम शुरू हो चुका है. एक्सपर्ट्स की मानें तो 15 अक्टूबर से लेकर 15 नवंबर तक का समय ही रबी फसलों की अगेती खेती करने के लिए अनुकूल रहता है. इस समय मिट्टी में बीजों का सही जमाव होता है, जिससे फसल के पौधे भी अच्छी तरह से विकसित हो जाते हैं. इसके बाद ये फसलें फरवरी-मार्च तक कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं.
रबी सीजन (Rabi Season 2022) की प्रमुख फसलों में गेहूं, सरसों, जौ, चना, आलू, मटर, मसूर आदि शामिल हैं. इसके अलावा प्रमुख बागवानी फसलों में टमाटर, बैंगन, भिंडी, आलू, तोरई, लौकी, करेला, सेम, फूल गोभी, पत्ता गोभी, गांठ गोभी, मूली, गाजर, शलगम, मटर, चुकंदर, पालक, मेथी, प्याज, आलू और शकरकंदी की खेती की जाती है.
गेहूं की खेती
गेहूं रबी सीजन की प्रमुख नकदी फसल है. भारत में उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा को गेहूं का प्रमुख उत्पादक राज्य मानते हैं. यहां से देश की खाद्य आपूर्ति के साथ दूसरे देशों को भी खाद्यान्न निर्यात किया जाता है. गेहूं की बुवाई के लिए 15 अक्टूबर से लेकर 15 नवंबर तक का समय सबसे उपयुक्त रहता है.
इस समय गेहूं की करण नरेंद्र, करण वंदना, पूसा यशस्वी, करण श्रिया और डीडीडब्ल्यू 54 जैसी उन्नत किस्मों से बुवाई कर अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. गेहूं की खेती से पहले मिट्टी की जांच अवश्य कराएं और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार ही खाद-उर्वरकों का इस्तेमाल करें. गेहूं की बुवाई से पहले बीजों को उपचार करने की भी सलाह दी जाती है, जिससे मिट्टी की कमियां फसल पर हावी ना हो.
चना की खेती
रबी सीजन की प्रमुख दलहनी फसलों में चना का नाम टॉप पर आता है. भारत में उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और बिहार को चना के बड़े उत्पादक राज्य का खिताब प्राप्त है. यहां चना की बुवाई के लिए अक्टूबर से नवंबर के बीच का समय ही सबसे अनुकूल माना जाता है. चना की खेती के लिए कम और ज्यादा तापमान दोनों ही खतरे से खाली नहीं है, इसलिए सामान्य तापमान में ही इसकी बुवाई करनी चाहिये.
चना की बुवाई करने से पहले खेत में जल निकासी की व्यवस्था कर ले, क्योंकि पानी भरने से भी चना की फसल में नुकसान देखा जाता है. इस फसल से अधिक उत्पादन के लिए चना की उन्नत किस्मों का चयन करें. इसमें पूसा-256, केडब्लूआर-108, डीसीपी 92-3, केडीजी-1168, जेपी-14, जीएनजी-1581, गुजरात चना-4, के-850, आधार (आरएसजी-936), डब्लूसीजी-1 और डब्लूसीजी-2 आदि शामिल हैं.
सरसों की खेती
सरसों रबी सीजन की प्रमुख दलहनी फसल तो है ही, साथ ही देशभर में इसकी खपत भी बड़े पैमाने पर होती है. हरियाणा राजस्थान मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में सरसों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. सोयाबीन और पाम तेल के बाद सरसों का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है. इसकी खेती के साथ-साथ किसानों को मधुमक्खी पालन करने की सलाह दी जाती है, ताकि अतिरिक्त आमदनी ले सकें. वही सरसों की प्रोसेसिंग के बाद इसका तेल निकालकर बची में खली का इस्तेमाल पशु आहार के तौर पर किया जाता है. इसकी खेती से बेहतर उत्पादन के लिए पूसा बोल्ड, क्रान्ति, पूसा जयकिसान (बायो 902), पूसा विजय जैसी उन्नत किस्मों का चयन कर सकते हैं.
आलू की खेती
आलू को सब्जियों का राजा कहते हैं. यह सब्जी पोषण से भरपूर तो है ही, भारत में इसकी डिमांड साल भर बनी रहती है, हालांकि इसका उत्पादन रबी सीजन में ही होता है. उत्तर प्रदेश, पंजाब. हरियाणा और मध्य प्रदेश में आलू की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. यह जमीन के अंदर पैदा होने वाली कंद फसल है, इसलिए आलू की खेती से पहले उन्नत किस्म के बीजों का चयन बीजों का उपचार और फसल प्रबंधन काफी मायने रखता है. कई किसान आलू से बेहतर उत्पादन के लिए ऊंची मेड़ पर या बेड बनाकर भी खेती करते हैं. किसान चाहें तो राजेन्द्र आलू, कुफरी कंच और कुफरी चिप्ससोना जैसी उन्नत किस्मों का चयन कर सकते हैं.
मटर की खेती
मटर एक दोहरे उद्देश्य की फसल है, जिसका इस्तेमाल सब्जी या दाल के तौर पर भी किया जाता है. सर्दियों के बीच इसकी खेती भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है, लेकिन इसकी डिमांड साल भर बनी रहती है, इसलिए किसानों को खेती के साथ फ्रोजन मटर का भी बिजनेस करना चाहिये. भारत में कर्नाटक, मध्यप्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, बिहार और उड़ीसा में भी मटर की खेती की जाती है. अक्टूबर से नवंबर के बीच मटर की बुवाई का काम किया जाता है. इसके लिए किसान मटर की आर्केल,लिंकन,बोनविले, मालवीय मटर,पंजाब 89,पूसा प्रभात,पंत 157 जैसी उन्नत किस्म का चयन कर सकते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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