Rabi Season Crops: देश में लगातार खाद्यान्न का क्षेत्र बढ़ता जा रहा है. मौजूदा समय में रबी सीजन चल रहा है. गेहूं रबी की प्रमुख फसल है. देश में गेहूं, दलहन, तिलहन समेत अधिकांश फसलों का रकबा तेजी से ग्रोथ कर रहा है. राज्यों में पैदा हो रहे खाद्यान्न पर केंद्र सरकार की नजर है. राज्यों से सभी फसलों का ब्यौरा भी अपडेट किया जा रहा है. चालू रबी सीजन वर्ष 2022-23 में 20 जनवरी तक सभी प्रकार की रबी फसलों की रकबा 676.97 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 696.35 लाख हेक्टेयर हो गया है. 


गेहूं का रकबा बढ़कर हुआ 341 लाख हेक्टेयर


केंद्र सरकार की ओर से फसल वर्ष 2022-23 के चालू रबी सत्र के आंकड़ें सामने आए हैं. आंकड़ों के अनुसार, गेहूं का रकबा 20 जनवरी तक बढ़ा है. वह पिछले साल इसी अवधि तक 339.87 लाख हेक्टेयर था, जोकि अब बढ़कर 341.13 लाख हेक्टेयर हो गया है. पिछले साल इसी अवधि में यह 339.87 लाख हेक्टेयर था. 


इन राज्यों में अधिक हुई बुवाई


गेहूं बुवाई के आंकड़ों को देखें तो राजस्थान में 2.52 लाख हेक्टेयर, बिहार में 1.49 लाख हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 0.92 लाख हेक्टेयर, छत्तीसगढ़ 0.54 लाख हेक्टेयर, गुजरात 0.48 लाख हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 0.22 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई है. गेहूं की बुवाई अक्टूबर से शुरू हो गई थी. मक्का, ज्वार, चना और सरसों भी रबी की फसल हैं. इनकी कटाई अप्रैल से मार्च तक होगी. 


यहां घटा गेहूं का रकबा


ऐसा नहीं है कि देश के सभी राज्यों में गेहूं का रकबा बढ़ ही रहा है. कुछ में घटा भी है. बुवाई का कम रकबा झारखंड 0.34 लाख हेक्टेयर, पंजाब 0.18 लाख हेक्टेयर, हिमाचल प्रदेश 0.10 लाख हेक्टेयर और हरियाणा में 0.10 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई है. वहीं, धान का रकबा आठ लाख हेक्टेयर तक बढ़ गया है. पिछले साल धान का रकबा 23.64 लाख हेक्टेयर था, जोकि अब 31.54 लाख हेक्टेयर हो गया है.


दलहन, तिलहन में भी बढ़ोत्तरी दर्ज


दलहन का रकबा 163.7 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 164.12 लाख हेक्टेयर हुआ है. मोटा अनाज का रकबा रकबा 49.36 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 51.46 लाख हेक्टेयर हुआ है. तिलहन का रकबा 100.44 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 108.11 लाख हेक्टेयर हो गया है. तिलहन में करीब 8 लाख हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. हो गया है. वहीं, सरसों का रकबा 90.18 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 97.1 लाख हेक्टेयर हो गया है. 


खाद्य उत्पादों की कीमत में आ सकती है नरमी


सरसों की कीमत तो पहले से ही कम चल रही हैं. ऐसे में सरसों के इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं के दामों में गिरावट दर्ज की जा सकती है. इसके अलावा गेहूं से जो भी उत्पाद बनाए जा रहे हैं. उनमें भी नरमी देखने को मिल सकती हैं. इसके पीछे वजह है कि केंद्र सरकार आटे की कीमतों को नियंत्रण करने में जुटी हैं. इस साल गेहूं का बंपर उत्पादन होने पर गेहूं से बनने वाले उत्पाद भी सस्ते हो सकते हैं. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.



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