Wheat Sowing in Rabi Season 2022: रबी सीजन की प्रमुख नकदी फसलों में गेहूं का नाम सबसे टॉप पर आता है. भारत में गेहूं की अच्छी-खासी खपत होती है. साथ ही. कई देश भारत से ही गेहूं का आयात करते हैं. कोरोना काल में भारत ने ही विदेशों में बड़े पैमाने पर गेहूं की खाद्य आपूर्ति सुनिश्चत की है. इस साल भी केंद्र सरकार ने गेहूं का उत्पादन (Wheat Production) बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसे 112 मिलियन टन तक ले जाना है. इस लक्ष्य पर देशभर के किसान तेजी से काम कर रहे हैं. गेहूं की बुवाई को लेकर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने ताजा आंकड़े भी जारी कर दिए हैं.


इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 1 अक्टूबर से लेकर अभी तक अलग-अलग राज्य के किसानों ने कुल मिलाकर 2.5 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई कर ली है. रबी सीजन (Rabi Season 2022) की शुरुआत से ही जारी गेहूं की बुवाई का रकबा पिछले साल के रिकॉर्ड को भी पार कर गया है. इस साल करीब 9.7 प्रतिशत अधिक गेहूं की बुवाई हुई है. कृषि मंत्रालय ने शुक्रवार तक राज्यों से इकट्ठा हुई जानकारी के आधार पर ही ये आंकड़े जारी किए हैं, हालांकि कई इलाकों में अभी भी धान की कटाई जारी है, जिसके बाद गेहूं की बुवाई का रकबा बढ़ने के आसार हैं.


इन राज्यों में चल रही गेहूं की बुवाई
वैसे तो देशभर के किसान अपनी-अपनी सहूलियत, मिट्टी और जलवायु के मुताबिक ही गेहूं की खेती करते हैं, लेकिन आमतौर पर उत्तर भारत में गेहूं का रकबा अधिक रहता है. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से अच्छे परिणाम सामने आते हैं. इन राज्यों में मौसम की व्यवस्था देखकर ही किसान गेहूं की बुवाई करते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अक्टूबर के शुरुआत से लेकर नवंबर में छिटपुट बारिश पड़ने पर मिट्टी में नमी की मात्रा काफी अच्छी हो गई.


गेहूं की बुवाई के लिए मिट्टी में नमी का होना अच्छी बात है. इसी का फायदा किसानों को मिला और कई इलाकों में समय रहते गेहूं और अन्य रबी फसलों की बुवाई कर दी गई. बता दें कि भारत में गेहूं की सिर्फ एक ही बार की जाती है. रबी सीजन के बीच सर्द तापमान से पहले अक्टूबर-नवंबर तक गेहूं की बुवाई करने के बाद मार्च-अप्रैल तक फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है.


गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंधों की वजह
भारत को गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक देश कहा जाता है, लेकिन साल 2022 मार्च में गेहूं की कटाई के समय अचानक तापमान बढ़ गया, जिससे उत्पादन काफी प्रभावित हुई. देश की खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर सरकार को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध (Ban on Wheat Export) लगाना पड़ा. रिपोर्ट्स तो यही बताती है कि निर्यात पर प्रतिबंधों के बावजूद गेहूं का भाव (Wheat Price) आसमान छू रहा है. गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार को आयात पर 40 फीसदी टैक्स हटाने और राज्य के गेहूं भंडारों को खुले बाजार में पहुंचाने जैसे उपाय करने पड़े. 


रेपसीड को लेकर क्या हैं अपडेट
इस साल रेपसीड की बुवाई से भी पिछले साल के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. कृषि मंत्रालय के ताजा आकंड़ों के मुताबिक, सर्दियों की प्रमुख तिलहनी फसल रेपसीड की बुवाई का रकबा 5.5 लाख हेक्टेयर को पार कर गया है, जो पिछले साल 4.8 लाख हेक्टेयर तक ही सीमित था. इससे भारत को खाद्य तेल के आयातों को कम करके बड़ा खर्चा बचाने में खास मदद मिलेगी.  


बता दें कि भारत खाद्य तेल का बड़ा आयातक भी है. यहां मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्राजील, अर्जेंटीना, रूस और यूक्रेन से खाद्य तेल की खरीदा जाता है. 31 मार्च 2022 तक के आंकड़े बताते हैं कि सरकार ने 18.99 बिलियन डॉलर की लागत से वेजिटेबल ऑइल (Edible Oil Import) का आयात किया है.  


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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