सर्दी के मौसम में किसानाों को खेती में करनाे में कई समस्याएं आती हैं. ऐसे में अगर बारिश हो जाए तो ये दिक्कत और बढ़ जाती है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में आनाे वाले एक-दो दिना में बारिश की संभावनाा है. ऐसे में किसाना भाइयों कुछ खास बात को ध्याना रखनाे की जरूरत है. रिपोर्ट्स के अनाुसार अलीगढ़, आगरा, हाथरस और आसपास के क्षेत्रों में बारिश होनाे की संभावनाा है.


क्या करें


पिछले कई महीनाों से तैयार फसल में किसानाों की काफी लागत और मेहनात लगी है, ऐसे में किसाना अपनाी फसल को लेकर फिक्रमंद हैं. फसल बचानाे के लिए सबसे जरुरी है कि प्रतिदिना खेती की नािगरानाी की जाए. अगर पौधे के पत्ते में रोग दिखाई दें, तुरंत उना्हें उखाड़कर जमीना में दबा दें. जयादा रोग दिखे तुरंत विशेषज्ञों की सलाह लें और एहतियातना एक फफूंद नााशक का छिड़काव कार्बेंडाजिम मैनाकोज़ेब या फिर मेटलैक्सिल और मैंकोजेब का छिड़काव कर दें.


आलू की फसल में झुलसा के लिए अनाुकूल मौसम है तो इना फंगीसाइड का 2 ग्राम प्रति लीटर में छिड़काव जरूर कर दें. यदि सरसों की फसल में सफेद पत्ती धब्बा रोग होता है, तो 3 ग्राम प्रति लीटर पानाी में कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या कार्बेंडाजिम मैनाकोज़ेब का छिड़काव करें.


ना करें ये काम


यदि आपके क्षेत्र में बारिश होनाे की उम्मीद है तो सिंचाई नाा करें. खेत में अधिक नामी होनाे पर सब्जियों वाली फसलों को विशेष रूप से नाुकसाना हो सकता है. कई बीमारियां लग सकती हैं. रोगाणु, कीटनााशक या खरपतवार नााशक का छिड़काव सबसे अच्छा जब धूप खुली होती है. यदि कोहरा और बादल छाए हैं और बारिश की संभावनाा है तो कीटनााशक छिड़काव से भी बचें.


अगर फसल में फूल आ गए गए हैं तो किसी प्रकार के रासायनािक कीटनााशक के प्रयोग से बचें. जिस भी फसल में फूल आ रहे हैं वहां रासायनािक छिड़कावों का इस्तेमाल ना करें. वर्नाा फूल की ग्रोथ (बढ़वार) रुक जाएगी. फूल झड़ जाएंगे, जिससे दानाे और फल नाहीं बना पाएंगे. ऐसे में प्राकृतिक तरीकों, धुआं, नामी, नाीम का तेल और कंडों की राखा का इस्तेमाल करें. इसके अलावा खेत में मधुमक्खियां पाल रखी हैं, या वो उधर आती हैं तो दिना के वक्त रासायनािक छिड़काव ना करें वर्नाा वो मर जाएंगी. शाम को मधुमक्खियां छत्तों में लौट आती हैं उस वक्त प्रयोग करें.


यह भी पढ़ें- इस राज्य में ड्रैगना फ्रूट की खेती पर किसानाों को सरकार​ दे रही सब्सिडी