Subsidy on Drone: आज के आधुनिक दौर में मशीनों और तकनीकों का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. कृषि को आसान बनाने के लिए भी अब नई-नई तकनीकें इजाद की जा रही हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसका नायाब हिस्सा है कृषि ड्रोन. फसलों में कीटनाशक-उर्वरकों के छिड़काव से लेकर निगरानी तक के काम को अब सुरक्षित ढंग से किया जा सकता है. कभी किसान घंटों तक फसल पर छिड़काव और निगरानी करने में लगे रहते थे. कई बार कैमिकल के संपर्क में आने से किसानों की तबियत भी बिगड़  जाती थी.


इस काम में काफी समय भी लगता था, जिसके चलते कई बार फसल कीट-रोगों की चपेट में आ जाती थी, लेकिन अब यही छिड़काव और निगरानी का काम कुछ मिनटों में निपटाया जा सकता है. कमर्शियल फार्मिंग करवाने वाली कंपनियों को तेजी से कृषि ड्रोन की तरफ रुख किया.


अब बारी है इसे कमजोर वर्ग के किसानों तक पहुंचाने की. जी हां, कृषि ड्रोन खरीदने के लिए किसानों को अनुदान तो दिया ही जा रहा है, लेकिन अब कस्टम हायरिंग सेंटर के जरिए इसे किसानों को किराए पर उपलब्ध करवाने की कवायद चल रही है.


हाल ही में राजस्थान के कृषि मंत्री लाल चंद कटारिया ने भी अगले 2 साल में राज्य के किसानों को कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से 1,500 कृषि ड्रोन उपलब्ध करवाने की बात कही हैं. इस आर्टिकल में जानेंगे कि कैसे किसान इन कृषि ड्रोन को अपनी खेती-किसानी के इस्तेमाल के लिए हासिल कर सकते हैं.


हर वर्ग के किसान को फायदा
जाहिर है कि हर किसान की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं कि वो कृषि ड्रोन खरीद सके. देश के सीमित आय वर्ग वाले किसान या छोटे किसानों के लिए इस तरह के मंहगे उपकरण खरीद पाना थोड़ा मुश्किल ही होता है, इसलिए जल्द राजस्थान कृषि विभाग की योजना के जरिए इन किसानों को भी कस्टम हायरिंग सेंटर्स के जरिए कृषि ड्रोन किराए पर उपलब्ध करवाए जाएंगे. इन कृषि ड्रोन के इस्तेमाल से कम समय और कम लागत में ही फसल पर दवाओं का छिड़काव आसान हो जाएगा.


कितनी सब्सिडी मिलेगी
रिपोर्ट के अनुसार, ड्रोन उपकरणों के लिए लागत का 40% यानी 4 लाख रुपये अनुदान दिया जाएगा. वहीं किसानों के खेतों में ड्रोन से छिड़काव या प्रदर्शन के लिए 6,000 रुपये प्रति हेक्टेयर के छिड़काव के लिए चार्ज किए जाएंगे.


किसानों को ड्रोन तकनीक के बारे में जागरुक करने के लिए राजस्थान के सभी 33 जिलों में एक साथ 20 हेक्टेयर क्षेत्र में ड्रोन से दवाओं के छिड़काव का प्रदर्शन भी किया गया. अब पहले चरण में नैनो यूरिया के इस्तेमाल को बढ़ावा देने का प्लान है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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