Fig Cultivation: राजस्थान के किसानों की इनकम बढ़ा रही डायना, 200 हेक्टेयर में फैला जलवा, जानें कैसे हुआ ये कमाल
Diana Fig: 'डायना' अंजीर की खेती बाड़मेर में 200 हेक्टेयर रकबे में की जा रही है. साल 2019-20 में सिर्फ 5 हेक्टेयर में पौधों की रोपाई की गई. फिर मुनाफा भी बढ़ता गया और किसानों ने खेती भी बढ़ा ली.

Anjeer Ki Kheti: देश में बागवानी फसलों का चलन बढ़ता जा रहा है. किसान अब उन फसलों की तरह बढ़ रहे हैं, जो कम लागत में अच्छा उत्पादन देती हैं, जिनकी डिमांड बाजार में ज्यादा होती है और हाथों-हाथ अच्छे दाम पर बिक जाती है. अंजीर भी ऐसा ही कृषि उत्पाद है, जिसकी खेती करके आज राजस्थान के किसान अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं. साल 2019-20 के दौरान कृषि विज्ञान केंद्र ने बाड़मेर के 5 हेक्टेयर में अजीर की डायना किस्म के पौधों की रोपाई की थी. शुष्क क्षेत्र होने की वजह से डायना अंजीर का काफी अच्छा उत्पादन मिला और अंजीर बेचकर किसान अच्छा पैसा कमाने लगे. इसके बाद देखते ही देखते अंजीर की डायना किस्म किसानों की पहली पंसद बन गई और इसकी फसल ने 200 हेक्टेयर पर अपना रुतबा कायम किया है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि सिर्फ 3 साल के अंदर राजस्थान के अंजीर उत्पादन के रकबे में 39 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है. इस सफलता के पीछे भी कई कारण हैं. आइए जानते हैं इन कारणों के बारे में.
सूखा के बीच लहलहा रहे अंजीर के बाग
राजस्थान का बाड़मेर एक शुष्क क्षेत्र है. यहां ज्यादातर पीली, दोमट, महीन और चूने वाली मिट्टी पाई जाती है. बारिश की कमी और शुष्क जलवायु के कारण यहां सूखा जैसे हालात रहते हैं, जो खजूर, बेर और अनार की बागवानी के लिए सबसे उपयुक्त है. पानी के अभाव के चलते यहां इन सभी फसलों की ड्रिप सिंचाई की जाती है, जिससे 70 फीसदी पानी बचता ही है, सीधा पेड़ की जडों में पानी पहुंचने से फलों का क्वालिटी प्रोडक्शन भी मिलती है.
कृषि विज्ञान केंद्र गुड़ामालानी, बाड़मेर ने मिट्टी और जलवायु के आधार पर यहां अंजीर का रकबा बढ़ाने कै फैसला किया और साल 2019-20 में बाड़मेर केंद्र के 5 हेक्टेयर रकबे में अंजीर की बागवानी चालू हुई, जब यहां से अच्छे परिणाम मिलने लगे तो धीरे-धीरे 200 हेक्टेयर में इसका विस्तार किया गया. इस तरह आज राजस्थान के शिवना, सिंदरी, चौहटन, गुडामालानी, शिव और बाडमेर हैं.
Fig Cultivation: Pursuit of Profit in Thar Region of Rajasthan. #ICAR @PMOIndia @nstomar @KailashBaytu @ShobhaBJP @PIB_India @DDKisanChannel @AgriGoI @mygovindia
— Indian Council of Agricultural Research. (@icarindia) December 12, 2022
Read More:https://t.co/7rJ7yQHeDO pic.twitter.com/w77EKJ0IHu
अंजीर की खेती के लिए अपनाया ये तरीका
कई लोगों के मन में सवाल होते हैं कि राजस्थान के सूखाग्रस्त-शुष्क इलाकों में आखिर ड्राई फ्रूट्स और फलों का क्वालिटी प्रोडक्शन कैसे मिल जाता है तो बता दें कि हमारे एक्सपर्ट्स लगातार किसानों को ऐसी तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, जो संसाधनों की कमी के बावजूद किफायती खर्च में बढ़िया उत्पादन देती है. इन्हीं में शामिल है ड्रिप इरिगेशन यानी टपक सिंचाई, जिसका इस्तेमाल राजस्थान के लगभग सभी किसान बागवानी फसलों के लिए करते हैं.
यहां अंजीर के पौधों की रोपाई भी 4*4 की दूरी पर की गई, जिससे पौधों को आपस में फलने-फूलने के लिए ठीक-ठाक स्पेस मिल जाए. इस काम में कृषि वैज्ञानिक भी ट्रेनिंग और स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम आयोजित करते हैं, जिससे कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों को ऐसी तकनीकों का जनाकारी दी जाए, जो आगे जाकर आर्थिक मजबूती प्रदान कर सके.
मिलने लगा मुनाफा
अंजीर को अब अपने न्यूट्रिएंट्स के लिए पहचाना जाता है. देश-दुनिया में इसकी डिमांड बढ़ रही है. डायना इसी की एक उन्नत किस्म है, जिसमें विटामिन, कैल्शियम और फाइबर के साथ-साथ सेहतमंद बनाने वाले कई गुण मौजूद होते हैं. ये हेल्थ के साथ-साथ कमाई के लिहाज से भी फायदेमंद है. एक अनुमान के मुताबिक, बाकी फलों की तुलना में अंजीर के काफी अच्छे दाम मिल जाते हैं.
अंजीर का पौधा 3 साल में परिपक्व होकर 15 किलोग्राम तक फलों का उत्पादन देता है, जो बाजार में 100 रुपये किलो तक बिकता है. अंजीर के एक पेड़ से ही 1,500 से 2,000 रुपये की आमदनी हो जाती है. इस तरह एक हेक्टेयर में 5 लाख का मुनाफा पक्का है. इन आकंड़ों से आप समझ सकते हैं बाड़मेर के किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने में अंजीर कैसे अहम रोल अदा कर रहा है.
इन राज्यों में हो रही अंजीर की खेती
आज भारत अंजीर उत्पादन में 12वें नंबर पर है, यहां इसकी खेती के विस्तार भी तेजी से हो रहा है, जो कुछ सालों में देश को प्रमुख उत्पादक भी बना सकता है.दरअसल, अंजीर के बारे में जागरुकता की कमी के चलते किसान इसे साधारण फल समझते है, लेकिन असल में कृषि के साथ-साथ ये बिजनेस के नजरिए से बेहद अहम है.
यही वजह है कि राजस्थान के अलावा, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश (लखनऊ और सहारनपुर) कर्नाटक (बेल्लारी, चित्रदुर्ग और श्रीरंगपटना) और तमिलनाडु के पश्चिमी हिस्सों (कोयम्बटूर) में धीरे-धीरे इसका विस्तार हो रहा है. अच्छी बात तो यह है कि शुष्क वातावरण, तेज गर्म तापमान, धूप और कम पानी वाले इलाके, जहां कोई फसल नहीं पनपती, वहां अंजीर की बागवानी वरदान से कम नहीं है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
यह भी पढ़ें: क्यों हर कोई पसंद करता है शरबती गेहूं की रोटियां, अब विदेश में भी चलता है इस प्रीमियम गेहूं का सिक्का
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस

