(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Camel Protection Scheme: 'रेगिस्तान का जहाज' ऊंट पालने के लिए 10,000 रुपये देगी सरकार, क्या हैं इसके फायदे...यहां जानिए
Camel Farming: ऊंट पालन में किसान-पशुपालकों की रुचि बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने उष्ट्र संरक्षण योजना चलाई है, जिसके तहत ऊंटों के संरक्षण के लिए दो किस्तों में 10,000 रुपये ट्रांसफर करने किया जाएगा.
Financial Grant for Camel Protection: कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है. अब पशुपालन के जरिए किसान और पशुपालकों ने अंडा और दूध का अच्छा उत्पादन लेना शुरू कर दिया है. पशुओं की उन्नत नस्लों के साथ-सात देसी प्रजातियों पर भी फोकस किया जा रहा है. भारत में मेन फोकस गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी, भेड़ और सूअर पालन ही रहा, लेकिन कई सदियों से गुजरात और राजस्थान में ऊंट पालन (Camel Farming) का भी काफी चलन है. ऊंट की देसी नस्लों को विलुप्त होने से बचाने के लिए सरकारें कई योजनाएं चला रही है.
ऊंट के दूध के लिए आरसीडीएफ सरकारी डेरी (RCDF) भी बनाई गई है. यहां ऊंट के दूध की ब्रांडिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग की जाती है. इसके बावजूद अब ऊंट पालन में किसान-पशुपालकों का रुझान कम हो रहा है. यही कारण है कि अब राजस्थान सरकार ने उष्ट्र संरक्षण योजना चलाई है, जिसके तहत ऊंटों के संरक्षण के लिए सरकार ने 10,000 रुपये का अनुदान दो किस्तों में बांटने का फैसला किया है. क्या है ये योजना और इससे किसान-पशुपालकों को क्या फायदा मिलेंगे, आइये जानते हैं.
क्या है उष्ट्र संरक्षण योजना
राजस्थान सरकार लगातार ऊंटों के संरक्षण की दिशा में काम कर रही है. इसे 'रेगिस्तान का जहाज' भी कहते हैं, क्योंकि दूध उत्पादन के अलावा इन पशु में गजब की खूबियां होती है. ये विपरीत परिस्थितियों में भी कई दिन बिना पानी के जिंदा रहता है और कम देखभाल में भी किसानों का मालवाहक भी बन जाता है. अब ऊंट की इन्हीं खूबियों की तर्ज पर ऊंट पालन को प्रेरित करने के लिए राजस्थान सरकार ने उष्ट्र संरक्षण योजना (Camel Protection Scheme) चलाई है, जिसके तहत 2.60 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रावधान किया गया है.
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— सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, राजस्थान सरकार (@DIPRRajasthan) November 14, 2022
ऊंट पालन के लिए 10,000 रुपये
उष्ट्र संरक्षण योजना के तहत ऊंट पालकों को आर्थिक सहायता दी जाती है. इस योजना में पशुपालकों की तरफ से मादा ऊंट और बच्चे को टैग लगाकर पहचान पत्र जारी किया जाता है.
- पशु चिकित्सक को हर पहचान पत्र के लिए 50 रुपये का मानदेय दिया जाता है.
- पहचान पत्र जारी करने के बाद ऊंट पालक को भी 5,000 रुपये पहली किस्त के तौर पर दिए जाते हैं.
- ऊंट के बच्चे की उम्र एक साल होने पर भी पशुपालक को दूसरी किस्त के 5,000 रुपये मिलते हैं.
- बता दें कि राज्य सरकार की तरफ से अनुदान सीधा ऊंट पालक के बैंक खाते में ट्रांसफर किया जाता है.
ऊंट की 9 नस्लें है मशहूर
भारत में ऊंट की 9 नस्लें पाई जाती हैं. इसमें राजस्थान की बीकानेरी, मारवाड़ी, जालेरी, जैसलनेरी और मेवाड़ी नस्लें शामिल है. वहीं गुजरात की कच्छी और खरई नस्लें और मध्य प्रदेश में मालवी नस्ल के ऊंच भी लिस्ट में शामिल है. व्यावसायिक दृष्टि से देखा जाए तो बीकानेरी और जैसलमेरी ऊंट की नस्लें सबसे अनुकूल होती हैं, जो कम देख-रेख के बावजूद विपरीत परिस्थियों में भी जीने की अद्भुत क्षमता रखती है.
भारत में ऊंटों की संख्या कम होने के चलते ऊंट के निर्यात पर प्रतिबंध है, लेकिन इनके सरंक्षण और संवर्धन के लिए तमाम ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. बाजार में अब ऊंट के दूध की मांग भी बढ़ने लगी है, इसलिए कम संख्या में ऊंट पालन के करके धीरे-धीरे उनकी संख्या बढ़ाकर किसान-पशुपालक काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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