Subsidy for Cows: पूरा देश पशुओं के आंतक से परेशान है. अब लोग दूध देने तक गाय-भैंस को अपने बेड़े में शामिल करते हैं. इधर पशु ने दूध देना बंद किया और उधर इन मूक जानवरों को सड़कें हांकने के लिए छोड़ दिया जाता है. फिर ये ही पशु सड़कों पर दुर्घटना का कारण बनते हैं और किसानों की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं. अब राज्य सरकारें इस समस्या का समाधान निकालने में लगी हैं.कई राज्यों में गौशाएं बनाई जा रही है. छुट्टा गोवंश को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जा रहा है. इनसे बिजली उत्पादन का काम चल रहा है. लोगों पर बोझ बने छुट्ट पशुओं को गौशालाओं में सुरक्षित रखने की कवायद चल रही है, ताकि इनके गोबर से बायोगैस और खाद बनाई जा सके.
लाखों की कमाई का मॉडल है छुट्टा पशु
एक तरह से देखें तो ये गोवंश लाखों की कमाई का मॉडल है. सिर्फ इनकी उपयोगिता समझते की आवश्यकता है. राजस्थान सरकार ने भी अब इन गोवंशों की सेवा का जिम्मा उठाया है और हर गोवंश के लिए 20 रुपये से 40 रुपये के सहायतानुदान देने का फैसला किया. बता दें कि हाल ही में इस रकम को बढ़ाया भी गया है.
बढ़ाई गई सहायतानुदान की रकम
राजस्थान सरकार ने गोवंशों के लिए सहायतानुदान की राशि को बढ़ा दिया गया है.अबी तक राज्य की गौशालाओं में रहने वाले गोवंशों के लिए सहायता राशि के तौर पर 16 से 32 रुपये प्रति पशु दिए जाते थे. छोटे गोवंश के लिए 16 रुपये प्रति पशु और बड़े गोवंशों के लिए 32 रुपये प्रति पशु निर्धारित थी. इस राशि को बढ़ाकर अब बड़े गोवंशों के लिए 40 रुपये और छोटे गोवंशों के लिए बढ़कर 20 रुपये कर दिया गया है.
प्राकृतिक खेती में मददगार गोवंश
राजस्थान सरकार की तरह ही उत्तर प्रदेश सरकार भी आवारा-छुट्टा गोवंशों के संरक्षण का काम कर रही है. प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को गोशाला से एक-एक गोवंश अनुदान पर उपलब्ध करवाने की योजना चलाई है. इतना ही नहीं, इन गोवंशों की सेवा के लिए किसानों को अनुदान का भी प्रावधान किया है. यदि आप भी यूपी या राजस्थान के किसान हैं तो इन आवारा पशुओं के संरक्षण का काम करने के साथ-साथ अच्छा पैसा भी कमा सकते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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