Success Story on Taiwani Papaya Farming: आज आधुनिकता के दौर में खेती-किसानी का स्वरूप एक दम बदल चुका है. अब हमारे किसान भाई भी खेत-खलिहानों से निकलकर सफलता की नई गाथा लिख रहे हैं. इस काम में मोबाइल फोन और इंटरनेट भी काफी अहम भूमिका निभा रहा है. ये इंटरनेट ही है, जिसने पढ़ाई-लिखाई से लेकर घर बैठे नौकरी करना भी आसान बना दिया है.


इंटरनेट की इसी ताकत ने खेती की दुनिया को भीन खूब चमकाया है और इसी चमक के पीछे कई बेरोजगार, मजदूर और प्रशिक्षित युवा भी नौकरी छोड़कर खेती-किसानी में जुट गये हैं. हाल ही में एक ऐसा ही उदाहरण सामने आया है राजस्थान के जालोर से, जहां पालड़ी गांव के मजदूर भावराम (Farmer Bhavram, Jalore) ने यूट्यूब से आइडिया लेकर खेती में बड़े मुकाम हासिल किया है.


यूट्यूब ने दिखाया रास्ता
राजस्थान के निवासी भावराम की पढ़ाई 8वीं तक ही हुई, जिसके बाद ये अपनी आजिविका कमाने के लिये गुजरात चले गये. गुजरात के अहमदाबाद में भावराम को मजदूरी करने के बाद भी कुछ खास मेहनताना नहीं मिलता था, जिसके बाद उन्होंने मजदूरी छोड़ने का निर्णय लिया.


नौकरी छोड़ने से पहले भावराम काफी समय से सोशल मीडिया और यूट्यूब पर एक्टिव रहते थे. एक दिन वीडियो स्क्रॉल करते समय उन्हें ताइवानी पपीता रेडलेडी के बारे में जानकारी मिली. बस यहीं से भावराम का सफल किसान बनने का सफर शुरु हो गया.


ताइवानी पपीता की खेती 
भावराम बताते हैं कि उन्होंने ताइवानी पपीता रेडलेडी से जुड़ी कई जानकारियां हासिल कीं और पता चला कि इस किस्म को उगाने में बेहद कम लागत आती है, जिससे पपीता के बेहतर क्वालिटी के फल मिलते हैं. ये फल स्वाद में इतने अच्छे होते हैं कि हाथोंहाथ बिक जाते हैं. बस भावराम ने गांव 25 रुपये प्रति पौधा की दर से रेडलेडी के 2500 पौधे मंगवाये और ताइवानी पपीता की खेती शुरु कर दी.



  • किसान भावराम ने साल 2021 के खरीफ सीजन में 2.35 हेक्टेयर जमीन पर ताइवानी पपीता रेडलेडी के पौधों की रोपाई की. 

  • खेती की लागत को कम करने के लिये भावराम किसान ने टपक सिंचाई पद्धति का इस्तेमाल किया.

  • इस बीच वे पपीते के खेत में  रासायनिक उर्वरकों से अलग सिर्फ जैविक खाद से पौधों को पोषण देकर बड़ा किया. 

  • इस प्रकार सिर्फ 6 महीने के अंदर पपीते के पौधों का तेजी से विकास होने लगा और सालभर के अंदर ही काफी तरक्की देखने को मिली.


फेमस हो गये भावराम के पपीते
ताइवानी पपीते के पौधों से पहले उत्पादन काफी अच्छा मिला, लेकिन भावराम को मंडी में ताइवानी पपीता के सही भाव नहीं मिल पाये. इसके बाद भावराम ने खुद ही अपनी उपज बेचने का बेड़ा उठाया और सड़क किनारे ट्रेक्टर या ट्रॉली में पपीता बेचना शुरु कर दिया. एक बार बिक्री होने के बाद लोगों को इस ताइवानी पपीते की पहचान हो गई, जिसके बाद किसान भावराम ने दिनभर में 5 क्विंटल पपीते बेच दिये.


घर-घर में ताइवान का पपीता इतना फेमस हुआ कि आज तक जालोर के बाजार में ग्राहक भावराम के पपीता की मांग करके खरीदते हैं. इस प्रकार मजदूरी से लेकर सफल किसान बनने का सफर दूसरे किसानों के लिये भी प्रेरणादायक बन रहा है. 


ताइवानी पपीता से 1 करोड़ की आमदनी
अद्भुत सफलता के बाद किसान भावराम ताइवानी पपीता की खेती (Taiwani papaya Farming) को गेम चेंजर मानते हैं. बता दें कि ताइवानी पपीता रेडलेडी की खेती के लिये भावराम ने 25 रुपये प्रति पौधे की कीमत पर 2500 रुपये लगाये थे.


इस प्रकार ताइवानी पपीता की खेती (Taiwani Papaya Cultivation)  में 62,500 रुपये की शुरुआती लागत आई थी, जिसके बाद अभी तक भावराम एक करोड़ रुपये के ताइवानी पपीते बेच चुके हैं. आज आस-पास के किसान भी भावराम (Successful farmer Bhavram) से खेती की ट्रेनिंग लेने और ताइवानी पपीते के बाग का दीदार करने आते हैं.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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