Jaivik Kheti: कृषि में उत्पादन बढ़ाने के लिए रसायनों का अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है. इससे मिट्टी की उपजाई शक्ति कम होती जा रही है. साथ ही लोगों  की सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है. कई रिसर्च से सामने आया है कि उर्वरक और कीटनाशकों की कुछ मात्रा फल, सब्जी, अनाजों में रह जाती है. इनके सेवन से कैंसर, हार्ट डिजीज, लिवर रोग,डायबिटीज, इंफेक्शन का खतरा बढ़ रहा है. ऐसा नहीं है कि रासायनिक खेती के फायदे नहीं है, लेकिन अब जैविक खेती को एक सुरक्षित और सस्ते विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. यही वजह है कि अब राज्य सरकारें भी जैविक खेती को बढ़ावा दे रही हैं.


राजस्थान में भी जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत किसानों के क्लस्टर बनाए जाते हैं. 20 हेक्टेयर का एक क्लस्टर होता है, जिसमें जैविक खेती करने वाले किसानों को कृषि इनपुट्स की खरीद या अन्य संसाधनों के लिए अनुदान दिया जाता है.


जैविक खेती के लिए अनुदान


राजस्थान सरकार की ओर से किसानों के हित में लॉन्च की गई वेबसाइट राज किसान rajkisan.rajasthan.gov.in के मुताबिक जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत क्लस्टर एप्रोच और पी.जी.एस. सर्टिफिकेशन का भी प्रावधान है.


इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ रसायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करते हुए फसल उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. इसी लक्ष्य के साथ राजस्थान के धौलपुर, बारां, करौली, जैसलमेर व सिरोही में जैविक खेती के लिए क्लस्टर बनाए जा रहे हैं.


इन क्लस्टर्स से जुड़ने वाले किसानों को कृषि इनपुट्स के लिए पहले साल 12,000 रुपये, दूसरे साल 10,000 रुपये और तीसरे साल 9,000 रुपये का अनुदान दिया जाता है.



परंपरागत कृषि विकास योजना


किन किसानों को मिलेगा लाभ


राज किसान पोर्टल के मुताबिक, परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत जैविक खेती पर अनुदान सहायता पाने के लिए किसान के पास कम से कम 0.4 हेक्टेयर से 2 हेक्टेयर जमीन का होना अनिवार्य है.


कम से कम 3 साल तक जैविक गतिविधियों से जुड़े रहना भी नियमों में शामिल हैं. यदि आप इन शर्तों पर खरे उतरते हैं तो जैविक खेती समूह में शामिल हो सकते हैं. अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के कृषि पर्यवेक्षक के संपर्क कर सकते हैं.




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