Rabi Crop Farming: कृषि एक मौसम पर आधारित व्यवसाय है. यदि मौसम अनुकूल रहेगा तो फसल से अच्छी पैदावार मिलेगी, लेकिन कभी-कभी खराब मौसम से किसानों को नुकसना भी हो जाता है और फसल का उत्पादन गिर जाता है. यही वजह है कि आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारत के कृषि सेक्टर को लचीला बताया है. रिजर्व बैंक की समीक्षा रिपोर्ट पेश करते हुए आरबीआई के गवर्नर ने बताया कि बेशक अनियमित बारिश के चलते भारत में खरीफ फसलों का उत्पादन घटने की संभावना है, लेकिन अब रबी फसलों की बुवाई से कृषि क्षेत्र में मजबूती नजर आई है. 


रबी फसलों की बुवाई से आई मजबूती
इस साल खेती पर मौसम की अनिश्चितताएं हावी रहीं. यही वजह है कि खरीफ फसलों का उत्पादन कम होनी की उम्मीद की जा रही है. इस बीच पहले अग्रिम अनुमान में भी खरीफ फसलों का उत्पादन 149.92 मीट्रिक टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल 156.04  मीट्रिक टन दर्ज किया गया था. आपूर्ति के नजरिए से आरबीआई गवर्नर का मानना है कि भारत का कृषि क्षेत्र काफी लचीला है.


इस साल रबी फसलों की बुवाई से शानदार शुरुआत हुई है. 2 दिसंबर तक सामान्य बुवाई की तुलना में रबी फसलों की 6.8 फीसदी अधिक बुवई दर्ज की गई है. भारतीय अर्थव्यवस्था के आधार पर शक्तिकांत दास बताते हैं कि कृषि सेक्टर को रबी की बुवाई में ग्रोथ, संतुलित शहरी मांग, ग्रामीण मांग में सुधार, निर्माण में तेजी, सेवा क्षेत्र के पुनरुद्धार और लोन की मांग बढ़ने जैसे कारकों से भी काफी सपोर्ट मिला है. 






क्या कहते हैं मंत्रालय के ताजा आंकड़े
कृषि मंत्रालय के आंकड़े भी बताते हैं कि चालू रबी सीजन के शुरुआती दो महीनों में गेहूं की बुवाई का रकबा भी 5.36 प्रतिशत तक बढ़कर 211.62 लाख टन तक पहुंच गया है. राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश में रबी फसलों की बुवाई से ज्यादा रकबा कवर करने की जानकारी है.


सर्दियों के इस फसल सीजन में अक्टूबर से ही गेहूं की बुवाई चालू हो जाती है, जो मार्च-अप्रैल तक पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है, हालांकि कई इलाकों में किसान गेहूं के अलावा चावल, चना और उड़द जैसी दालों के साथ-साथ सरसों और मूंगफली जैसी तिलहनी फसलों की भी बुवाई करते हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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