यहां किसान के खेत में उगते है सूरज और चांद...गांव के हर घर में बैठा है एक एक्सपर्ट
Red Chili Farming: आपको जानकर हैरानी होगी कि छाण गांव में आजादी के पहले से ही मिर्च उगाई जा रही हैं. इस गांव की ना जाने कितनी ही पीढ़ियां मिर्च उत्पादन का काम कर रही हैं.
Red Chili Cultivation: यूहीं नहीं कहा जाता कि 'भारत की मिट्टी सोना उगलती है'. मिट्टी के हर कण को फसल उत्पादन के लिए तैयार करना होता है. किसानों की जी-तोड़ मेहनत और लगन होती है. इस सब के साथ यदि प्रकृति का साथ मिल जाए तो खेती-किसानी स्वर्ग बन जाती है. किसानों को अच्छी उपज मिलती है और मुनाफे की संभावना भी बढ़ जाती है. कृषि क्षेत्र में ऐसी प्राकृतिक खुबसूरती हमेशा देखने को नहीं मिलती. कभी बारिश के बाद इंद्रधनुष निकलना, बारिश के साथ हल्की हवा के झोंके, सरसों के लहलहाते खेत कभी-कभी आनंदित करते हैं, लेकिन राजस्थान के सवाई माधोपुर का एक गांव सालभर प्राकृतिक खूबसूरती में लिप्त रहता है.
हर घर में मिर्च का खेती का एक्सपर्ट
हम बात कर रहे हैं सवाई माधोपुर के खण्डार तहसील के छाण गांव की, जहां बड़े लेवल पर मिर्च की खेती होती है. यहां के हर एक घर में मिर्च की खेती का एक्सपर्टाइज किसान बैठा है, जो आपको मिर्च के बारे में A टू Z नॉलेज दे सकता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि छाण गांव में आजादी के पहले से ही मिर्च उगाई जा रही हैं. इस गांव की ना जाने कितनी ही पीढ़ियां मिर्च उत्पादन का काम कर रही हैं.
इस समय बढ़ जाती है गांव की सुंदरता
आज लोग सवाई माधोपुर के गांव छाण को मिर्च गांव के नाम से जानने लगे हैं. खेतों में अधिकतर मिर्च की फसल लहलहा रही होती है. मिर्च का उत्पादन लेकर सुखाने के लिए खेतों में ही फैला दिया जाता है. अब आप कहेंगे कि ये तो आम बात है, इसमें प्रकृति का क्या रोल है? जब मिर्च खेतों में सुखाई जाती है तो सुबह और शाम के समय कुछ ऐसे क्षण भी आते हैं, जब गांव की सुंदरता और भी बढ़ जाती है. आप तस्वीरों में भी देख सकते हैं.
मिर्च का व्यापार करते हैं गांव के लोग
छाण गांव की अपनी मिर्च की मंडी है, जहां दूर-दूर से व्यापारी आते हैं और अपने ट्रक-ट्रैक्टरों में मिर्ची भर-भरकर ले जाते हैं. यहां की लाल मिर्च पूरे देश में सप्लाई होती है. ये किसानों का खास मॉडल है, जो मिर्च को सुखाकर बेचने में ज्यादा भरोसा करते हैं, क्योंकि गीली मिर्ची 30-40 रुपये प्रति किलो के भाव पर बिकती है और सूखने के बाद 200 से 300 रुपये किलो तक बिक जाती है. इस तरह किसानों को कुछ अधिक कमाई हो जाती है. इस गांव के एक किसान जुनैद खान बताते हैं कि हमें प्रति बीघा 1.5 से 2 लाख रुपये तक का मुनाफा मिल जाता है.
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