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Low Cost Farming: कम हुई खेती की लागत ! बिना जुताई किये खेतों में उगा सकेंगे फसलें, उपज के साथ बढेगा मुनाफा

Zero Tillage Farming: खेत में बिना जुताई किये भी फसलों को उगा सकते हैं. इससे पैसा, समय और श्रम समेत कई संसाधनों की बचत होती है. साथ ही खेती की लागत को कम करके उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलती है.

Benefits of No Till Farming: खेती-बाड़ी में जुताई की बड़े अहमियत होती है. फसलों की कटाई (Crop Harvesting)  के बाद जमीन को दोबारा खेती लायक बनाने के ट्रैक्टर और प्लाऊ की मदद  से जुताई करके मिट्टी की संरचना (Soil Health for Agrculture) को सुधारा जाता है, ताकि फसलों की बुवाई में कोई समस्या खड़ी ना हो. खेतों में जुताई की ये पूरी प्रक्रिया काफी जटिल होती है, जिसमें संसाधनों के साथ-साथ समय का काफी खर्चा होता है. इस काम के चलते कई बार सीजनल खेती (Seasonal Farming) करने में भी देरी हो जाती है.  

इस मामले में कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि खेत में बिना जुताई किये भी फसलों की खेती (Farming without Tillage) कर सकते हैं. इस विधि को अजमाकर कम खर्च में फसलों का दोगुना उत्पादन (Low Cost Farming) हासिल कर सकते हैं.

ये है बिना जुताई के खेती 
इस विधि में कई सालों तक मिट्टी में जुताई करने की जरूरत नहीं होती, बल्कि बिना जमीन को जोते ही कई सालों तक फसलें उगा सकते हैं. इससे किसानों का समय और मेहनत तो बचती ही है, साथ ही उत्पादन लेने में भी कोई समस्या नहीं आती. इस विधि से चना, मक्का, धान की भी खेती कर सकते हैं. 


Low Cost Farming: कम हुई खेती की लागत ! बिना जुताई किये खेतों में उगा सकेंगे फसलें, उपज के साथ बढेगा मुनाफा

कैसे करें बिना जुताई के खेती
आधुनिक खेती के दौर में ऐसी तकनीकें आ गई हैं, जिनकी मदद से फसल के कचरे को खाद बनाकर ही खेत में इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिये खेत में पड़े फसलों के जैव कचरे, जैसे फसलों की ठूंठ, पत्तियां, तने आदि के ऊपर जीवामृत (Jeevanmrit) , नैनो यूरिया (Nano Urea) या डी-कंपोजर (Decomposer) छिड़कना है. 

  • इस प्रक्रिया में फसलों के अवशेष गलकर खाद में तबदील हो जाते हैं और मिट्टी को पोषण प्रदान करते हैं. बता दें कि ये विधि अगली फसलों का पोषण बढ़ने के साथ-साथ खरपतवारों की समस्या (Weed Management) को खत्म करने में भी मददगार साबित होती है. 
  • इसके बाद सीड़ ड्रिल मशीन (Seed Dril Machine) या दूसरे कृषि यंत्रों की मदद से भी अगली फसलों की बिजाई का काम कर सकते हैं. इस तरह बीजों को लगाने पर खेतों में प्रदूषण भी नहीं फैलेगा और बिना जुताई या कम जुताई करके फसलों का बेहतर उत्पादन लेने में मदद मिलेगी. 
  • कई प्रगतिशील किसान बिना जुताई की खेती करने के लिये फसल अवशेष प्रबंधन (Crop Residue Management) की इस तकनीक को अपनाकर खेती कर रहे हैं. इससे पैसा, समय और श्रम समेत कई संसाधनों की बचत होती है और खेती की लागत को कम करने में मदद मिलती है. 


Low Cost Farming: कम हुई खेती की लागत ! बिना जुताई किये खेतों में उगा सकेंगे फसलें, उपज के साथ बढेगा मुनाफा

बिना जुताई के खेती करने के फायदे

  • बिना जुताई की खेती (No Tillage Farming) करने पर पिछले फसलों के अवशेषों का प्रबंधन (Crop Residue Management) हो जाता है, जिससे फसल का कचरा खेतों में ही काम आ जाता है और प्रदूषण में कमी होती है.
  • इस विधि से खरपतवारों की संभावना भी कम ही रहती है, क्योंकि जैव कचरा (Bio Waste) और डी-कंपोजर (Bio Waste Decomposer) मिलकर मिट्टी की कमियों को दूर करते हैं.
  • बिना जुताई के खेती (Zero Tillage Farming)  करने पर मिट्टी में पोषण के साथ-साथ नमी का कायम रहती है, मिट्टी का भूजल स्तर (Ground Water Level in Agriculture) कायम रहता है और मिट्टी का कटाव नहीं होता.
  • इस विधि से खेत की जमीन के अंदर और बाहरी जैव-विविधता (Biodiversity) को हानि नहीं होती, बल्कि मिट्टी के जीवांशों की मात्रा बढ़ती है और फसलों की अच्छी पैदावार मिलती है.


Low Cost Farming: कम हुई खेती की लागत ! बिना जुताई किये खेतों में उगा सकेंगे फसलें, उपज के साथ बढेगा मुनाफा

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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