Research Disclosed: गांव से ज्यादा मुनाफा देती है शहरी खेती, इन फसलों से मिलता है 4 गुना ज्यादा उत्पादन
Urban Farming in India: महामारी के दौरान शहर में सब्जियों की गार्डनिंग काफी मददगार साबित हुई है. मुसीबत के समय तत्कालीन जरूरतों को पूरा करने के लिए भी शहर की खेती कुछ हद तक मददगार साबित हो सकती है.
Benefits Of Urban Farming: भारत की ज्यादातर आबादी गांव से ही ताल्लुक रखती है और यहीं से देश और दुनिया की खाद्य आपूर्ति (Food Supply in India) सुनिश्चित की जाती है. गांव के अंदाज ही निराले होते हैं, जहां युवाओं से लेकर बड़े-बूढ़े तक किसी न किसी तरह खेती-किसानी में अपना योगदान देते हैं. यहां किसानों को अन्नदाता कहते हैं, जो दिन-रात जी-तोड़ मेहनत करके देश की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं. किसान तो ये काम अपने परिवारों के भरण-पोषण के लिये करते हैं, लेकिन अब धीरे-धीरे किसानों की आजीविका अब शहरों का शौक बनती जा रही है.
शहरों में भी अब लोग फूलों की बागवानी (floriculture) से आगे निकलकर गार्डन, पार्क, खाली प्लॉट, घर की छत या फिर जगह की कमी होने पर बालकनी में ही फल और सब्जियां (Urban Farming) उगाने लगे हैं. इस तरह शहर के लोग कम खर्च में अपनी जरूरत और शौक को पूरा कर लेते हैं. वैसे तो किसानों की मेहनत के आगे शहरी आबादी का शौक दूर-दूर तक भी नहीं टिक पाता, लेकिन हाल ही में हुए शोध से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसमें सामने आया कि गांव के मुकाबले कुछ बागवानी फसलें शहरों में 4 गुना तक अधिक उत्पादन दे सकती हैं.
शहरों में खेती का शौक
जाहिर है कि शहरों में भी गार्डनिंग के नाम पर फल, फूल और सब्जियों की खेती का प्रचलन बढ़ता जा रहा है. अब कुल वैश्विक भोजन की 15 से 20 प्रतिशत आपूर्ति भी शहरों से ही हो रही है. इस मामले में यूके की लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी के पर्यावरण वैज्ञानिक फ्लोरियन पेयेन और उनकी टीम ने एक रिसर्च रिपोर्ट बनाई. इस शोध का मुख्य उद्देश्य यह जानना था कि क्या शहरी खेती से भी खाद्य सुरक्षा (Food Security in India) को मजबूत बना सकते हैं. इस शोध के विश्लेषण में वैज्ञानिकों ने पाया कि शहरी आबादी गार्डनिंग के लिये खुली जमीन जैसे-पार्क, घर की छतों और यहां तक की सड़कों के किनारे की जमीन भी इस्तेमाल कर रही है. शहरों में जमीन कम है, लेकिन यहां पर लोग अपने शौक के साथ ही जरूरतों को पूरा कर रहे हैं.
शहरी खेती में हाइड्रोपॉनिक्स मददगार
बेशक गांव की खेती और किसानों की मेहनत की कोई तुलना नहीं की जा सकती, लेकिन रिसर्च की मानें तो कुछ फसलों की खेती के लिए शहर का वातावरण ज्यादा उपयुक्त रहता है. यहां टमाटर, पत्तेदार हरी सब्जियां, औषधीय पौधे और अधिक सिंचाई वाली फसलें अच्छा उत्पादन दे सकती हैं. रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने शहरी खेती के लिए हाइड्रोपोनिक तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल का भी जिक्र किया. इस रिसर्च के दौरान शोधकर्ताओं ने जाना कि टमाटर, लेट्यूस, ब्रोकली के अलावा कुछ फलीदार, बेलदार और पत्तेदार सब्जियों को शहरों में लंबी अवधि तक उगाया जा सकता है, जिसमें हाइड्रोपॉनिक्स तकनीक (Hydroponic Farming) काफी मददगार साबित हो रही है.
आपातकान में मददगार शहर की खेती
इस रिसर्च में गांव की खेती (Rural Farming) और शहरों की खेती में फसलों की पैदावार में कुछ खास अंतर नजर नहीं आया, लेकिन अलग-अलग स्थानों पर उगने वाली फसलों की गुणवत्ता में कुछ फर्क जरूर देखे गए हैं. रिसर्च में पाया गया है कि सेब के पेड़ (Apple Tree) को 5 से 10 परत वाले उच्च पैदावार वाले चैंबरों में नहीं उगा सकते, लेकिन खाद्य सुरक्षा के लिये गेहूं की खेती (Wheat Cultivation) के लिये यह तरीका अपनाया जा सकता हैं. शहरों में खेती करके पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों का ज्यादा व्यय नहीं होता. कोरोना महामारी (Covid-19) के दौरान भी तत्कालीन जरूरतों को पूरा करने के लिए भी शहरी खेती (Urban Farming) काफी मददगार साबित हुई है.
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