Rice Price Hikes: दुनिया में सबसे ज्यादा खपत किया जाने वाले अनाजों में चावल का नाम भी शुमार है. बात करें तो चीन में चावल की सबसे ज्यादा खपत होती है. एक आंकड़े के अनुसार चीन में सालाना 150 मिलियन मीट्रिक टन चावल की खपत होती है. वहीं इस मामले में दूसरे नंबर पर भारत है. भारत में 118 मिलियन मीट्रिक टन चावल की खपत होती है.
यह आंकड़े साल 2023-24 के हैं. भारत में इन दिनों चावलों की कीमतों में तगड़ा उछाल देखने को मिल रहा है. पिछले एक महीने चावलों की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है. चावल की बढ़ती कीमतों को देखकर सरकार अब इसके लिए कुछ बड़े कदम उठाने के विचार में हैं. चलिए जानते हैं क्या है इसे लेकर सरकार की प्लानिंग.
सरकार की क्या है प्लानिंग ?
केंद्र सरकार चावलों की भर्ती महंगाई को काबू करने के लिए प्लानिंग कर रही है. साल 2024-25 में सरकार अब 18 मिलियन टन चावलों को अतिरिक्त तौर पर स्टोर करेगी. इसके सरकार की ओर स्टेकहोल्डर के बीच इसके लिए बातचीत का दौर भी शुरू हो चुका है. जिससे चावल की बढ़ी हुई रिटेल प्राइस को कम किया जाए. काम वहीं अगर बात की जाए देश में चावल का स्टॉक फिलहाल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. भारत में 1 जून को चावल का स्टॉक 21.8 प्रतिशत से बढ़कर 50.46 मिलियन टन हो चुका है.
वहीं अगर 1 साल पहले की बात की जाए तो यह 41.42 मिलियन टन था. चावल के स्टॉक की बात करें तो पिछले साल के मुकाबले इस साल 18 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है. सरकार की चावल मिल मालिक और कुछ एक्सपोर्टर्स के साथ बातचीत चल रही है. एक्सपोर्टर्स का कहना है कि देश में कई राज्य सरकारें 31 रुपए प्रति किलोग्राम चावल खरीद रही है. ऐसे में सरकार का मिल मालिकों से यह उम्मीद करना कि वह 30 से 35 रुपए किलोग्राम की रेट से चावल बेचें यह सही नहीं है.
एमएसपी से ज्यादा पर खरीदी
नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट यानि राष्ट्रीय खाद सुरक्षा अधिनियम के तहत भारत में सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं के लिए सरकार को 40 से 41 मिलियन टन चावल सालाना चाहिए होते हैं. क्योंकि देश में कुल 81 करोड़ के आसपास राशन कार्ड धारक है जिन्हें सरकार द्वारा हर महीने 5 किलो चावल मुफ्त दिए जाते हैं.
छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार बनने के बाद राज्य में धान खरीदी का 3,100 रुपये प्रति क्विंटल पर हुई है. वहीं अब ओडिशा में अभी भाजपा ने सरकार बनाई है. वहां भी इसी दर को लागू करने की मांग उठ रही है. बता दें चावल पर केन्द्र सरकार द्वारा 2185 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी तय की गई है. लेकिन खरीदी इससे ज्यादा पर हो रही है.
यह भी पढ़ें: क्या है एकीकृत बागवानी विकास मिशन, कैसे करता है किसानों को बागवानी फसलों के उत्पादन के प्रति प्रोत्साहित