Rice Farming: तेजी से बढेंगे धान के कल्ले, ज्यादा पैदावार के लिये धान की फसल में जरूर करें ये 5 काम
Farming Work in Paddy: रोपाई के बाद फसल को अधिक देखभाल की जरूरत होती है, इसलिये उर्वरक, खाद और सिंचाई के साथ दूसरे प्रबंधन कार्य ठीक प्रकार कर लेने चाहिये.
Paddy clumps Development: खरीफ सीजन (Kharif Season) में भारत के ज्यादातर किसान अपने खेतों में धान की फसल (Paddy crop) लगाते हैं. चावल का अच्छा उत्पादन लेने के लिये शुरुआत से आखिर तक हर काम सावधानी से किया जाता है, लेकिन इतनी मेहनत के बावजूद धान के कल्ले (Paddy Clumps) निकलते समय कई परेशानियां सामने आती है. धान की फसल के लिये ये सबसे जरूरी समय होता है, इसलिये जरूरी है कि उर्वरक, खाद और सिंचाई के साथ दूसरे प्रबंधन(Crop Management) कार्य ठीक प्रकार करके धान का बेहतर उत्पादन (Rice Production) लिया जाये. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो रोपाई के बाद फसल को अधिक देखभाल (farming Works) की जरूरत होती है. इस दौरान कीड़े और रोगों का नियंत्रण (Pest Control) तो करना ही है, साथ ही पैदावार बढ़ाने वाले वैज्ञानिक नुस्खों पर काम करना लाभकारी रहता है.
खेत से अतिरिक्त पानी निकालें
अगर फसल में ज्यादा पानी भरा हुआ है तो जल निकासी करके अतिरिक्त पानी को खेत से निकाल दें. बाद में हल्की सिंचाई काम करते रहें, जिससे मिट्टी फटने की समस्या न हो पाये. ये काम इसलिये जरूरी है कि ताकि फसल की जड़ों तक सौर ऊर्जा पहुंच सके और फसल में ऑक्सीजन की आपूर्ति होती रहे. यह काम रोपाई के 25 दिन बाद ही कर लेना चाहिये ताकि समय रहते पोषण प्रबंधन किया जा सके.
समय पर दें पोषण
धान की रोपाई के 25-50 दिन के दौरान धान की फसल में कल्ले निकलने लगते हैं. ये वही समय है जब धान के पौधों को सबसे ज्यादा पोषण की जरूरत होती है. इस दौरान धान के खेत में एक एकड़ के हिसाब से 20 किलो नाइट्रोजन और 10 किलो जिंक का मिश्रण बनाकर फसल पर छिड़क देना चाहिये. किसान चाहें तो अजोला की खाद भी फसल में डाल सकते हैं.
निराई-गुड़ाई करें
फसल की बढ़वार और अच्छी पैदावार के लिये धान के खेत में निराई-गुड़ाई का काम भी करते रहें, इससे फसल में लगने वाली बीमारियां और कीड़ों के प्रकोप का पता लग जाता है. निराई-गुड़ाई करने से जड़ों में आक्सीजन का संचार होता है और पौधों को बढ़ने में मदद मिलती है. किसान चाहें तो फसल पर उल्टी और सीधी दिशा में बांस से पाटा लगा सकते हैं, जिससे जड़ों में खिंचाव होता है और बढ़वार तेज होने लगती है.
खरपतवार नियंत्रण
अक्सर धान के खेत में अनावश्यक पौधे उग जाते हैं, जो धान से पोषण सोखकर फसल को बढ़ने से रोकते हैं, इन्हें खरपतवार कहते हैं. खरपतवार को नष्ट करने के लिये 2-4D नामक खरपतवार नाशी दवा का छिड़काव करें. पेंडीमेथलीन 30 ई.सी भी एक प्रमुख खरपतवार नाशी दवा है, जिसकी 3.5 लीटर मात्रा को 850-900 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेतों में डाल देना चाहिये.
फसल में डालें जैविक खाद
पुराने समय से ही धान की फसल (Paddy Crop) से अच्छी पैदावार लेने के लिये जैविक विधि (Organic Method) अपनाने की सलाह दी जाती है. विशेषज्ञों की मानें तो धान एंजाइम गोल्ड (Paddy Engime Gold) का इस्तेमाल करके काफी फायदा ले सकते हैं. बता दें कि धान एंजाइम गोल्ड को समुद्री घास (Sea Grass) से निकाला जाता है. जो धान की बढ़वार में मदद करता है. ये ठीक अजोला (Azolla) की तरह काम करता है, जिससे कीड़ों और रोगों (Pest Control) की संभावना भी कम हो जाती है. इसके छिड़काव (Organic Pesticide) के लिये एक मिली. धान एंजाइम गोल्ड को एक लीटर पानी में मिलाकर घोल बनायें और एक हेक्टेयर खेत में इसकी 500 लीटर मात्रा का प्रयोग करें.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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