Coriander Farming in Monsoon season: भारत में स्वादिष्ट खाने की थाली तभी तैयार होती है, जब उसमें धनिया की पत्ती और चटनी का इस्तेामल किया जाता है. इसे सिलेन्ट्रो या चाइनीज पर्सले के नाम से भी जानते हैं, जिसकी गिनती हरी पत्तेदार सब्जियों की नकदी फसलों में होती है. धनिया के बेहतरीन स्वाद और खुशबू के कारण इसका इस्तेमाल मसाले के तौर पर भी किया जाता है. वैसे तो आजकल घर पर टेरिस गार्डन या किचन गार्डन में गमलों और ग्रो बैग्स में ही धनिया उगा लेते हैं, इससे अच्छी आमदनी लेने के लिये इसकी व्यावसायिक खेती करने की सलाह दी जाती है. 


कहां उगायें धनिया
भारत में धनिया की रिकॉर्ड खेती के साथ-साथ इसका निर्यात भी किया जाता है. पंजाब, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, बिहार, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कनार्टक और उत्तर प्रदेश के सिंचित इलाकों में प्रमुख रूप से इसे उगाया जाता है. तेज धूप, अधिक ऊंचाई और जल निकासी वाले शुष्क और ठंडे इलाकों में इसकी खेती करके अच्छी क्वालिटी का उत्पादन ले सकते हैं.  इसकी बिजाई के लिये जून-जुलाई और सितंबर से अक्टूबर का समय सबसे अच्छा माना जाता है.




खेत में लगायें धनिये की उन्नत किस्में
विदेशी बाजारों में भारत के धनिये की काफी मांग है, इसलिये अच्छी क्वालिटी और उन्नत किस्म के बीजों का प्रयोग करके इसकी खेती कनी चाहिये. धनिया की मुख्य किस्मों में में हिसार सुगंध, पंत हरितमा,  कुंभराज, आरसीआर 41,आरसीआर 435, आरसीआर 436, आरसीआर 446,  आरसीआर 480, आरसीआर 684, आरसीआर 728, सिम्पोएस 33, जेडी-1, एसीआर 1, सीएस 6, जीसी 2 (गुजरात धनिया 2) आदि शामिल है. सिंचित इलाकों में खेती करने पर 15-20 कि.ग्रा./हेक्टेयर बीजदर प्रयोग करना चाहिये. वहीं कम पानी वाली जमीन में 25-30 कि.ग्रा./हेक्टेयर बीज काफी रहते हैं.
 
खेत की तैयारी
धनिया का सबसे अधिक उत्पादन अच्छी जल निकासी वाली दोमट या मटियार मिट्टी में होता है. इसकी खेती के लिये सबसे पहले खेत में 2-3 गहरी जुताई लगाकर समतलीकरण का काम कर देना चाहिये. आखिरी जुताई से पहले खेत में गोबर की खाद डालना बेहतर रहता है. कीट-रोग की समस्या को कम करने और मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ाने के लिये एक हैक्टेयर खेत में 20 टन गोबर की खाद, 40 किग्रा. नाइट्रोजन, 30 किग्रा. सुपर फास्फेट, 20 किग्रा. पोटाश और 20 किग्रा. सल्फर का मिश्रण बनाकर मिट्टी में डालें. 




कैसे करें धनिये की बुवाई
खेत में धनिये के बीजों की बुवाई से पहले उन्हें रगड़कर दो हिस्सों में बांट लें और बीजोपचार करें. बुवाई के समय बीजो को 2-4 सेमी. की गहराई में बोयें, कतार से कतार की दूरी 30 सेमी. और पौध से पौध की दूरी 10-15 सेमी. रखें। धनिये को ज्यादा गहराई पर नहीं बोना चाहिये. खेत में धनिये की बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई लगा देनी चाहिये. 


सिंचाई और खरपतवार
धनिये में पहले निराई-गुड़ाई और फिर सिंचाई का काम दोनों साथ-साथ कर सकते हैं. ध्यान रखें कि नाइट्रोजन की आधी मात्रा को निराई-गुड़ाई के समय खेतों में डालें.



  • खेत में उगने वाले अनावश्यक पौधे या खरपतवारों को उखाड़कर जमीन में दबा दें.

  • बुवाई के 30-35 दिन में पहली निराई-गुड़ाई और सिंचाई का काम करें.

  • दूसरी सिंचाई और निराई-गुड़ाई का काम 50-60 दिनों पर कर लेना चाहिये.

  • कम सिंचित या कम बारिश वाले इलाकों में 90-100 दिन बाद और जमीन में नमी बनाये रखने के लिये सिंचाई करते रहें.

  • धनिये के खेत में जल निकासी की व्यवस्था करें, जिससे ज्यादा पानी भरने पर फसल में गलन-सड़न ना हो.


लागत और आमदनी
एक हेक्टेयर खेत में धनिया की खेती करने पर 20,000 रुपए तक की लागत आती है, जिसमें खाद, बीज, उर्वरक और सिंचाई का खर्च शामिल है. वहीं एक हेक्टेयर धनिये की फसल से 15 क्विंटल बीज और 100-125 तक पत्तियों की उपज ले सकते हैं. मंडी में धनिये की उपज को बेचने पर करीब 97,500 रुपए की आमदनी हो जाती है. बता दें कि बाजार में एक किलो धनिया करीब 65 रुपये के भाव पर बेचा जाता है. इनमें से 97% धनिये के बीजों को पीसकर मसाले में बदल दिया जाता है. इसलिये किसान धनिये की खेती के साथ-साथ इसकी प्रोसेसिंग करके दोगुना लाभ ले सकते हैं.


 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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