Rose Farming Tips: कई बार कम मुनाफे के कारण किसान नई फसलों की ओर रुख करते हैं. ऐसे में अगर आप भी ऐसा सोच रहे हैं तो आप गुलाब की खेती कर सकते हैं. गुलाब के फूलों का उपयोग सजावट, सुगंध और औषधियों के लिए किया जाता है. ग्रीनहाउस तकनीक से पूरे साल खेती संभव है. दोमट मिट्टी और जल निकासी वाली भूमि उपयुक्त होती है. नर्सरी में बीज बोने के बाद खेतों में प्रत्यारोपण किया जाता है. नियमित सिंचाई और कलम विधि से खेती की जा सकती है. एक हेक्टेयर में 5-7 लाख रुपये का मुनाफा संभव है.
एक्सपर्ट्स की मानें तो गुलाब की खेती से किसान 8 से 10 साल तक लगातार मुनाफा कमा सकते हैं. एक पौधे से तकरीबन 2 किलोग्राम फूल मिलते हैं. ग्रीनहाउस और पॉली हाउस जैसी तकनीक से अब साल भर इसकी खेती की जा सकती है. रिपोर्ट्स के अनुसार गुलाब की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन दोमट मिट्टी में इसका विकास तेजी से होता है. इसकी खेती के लिए जल निकासी वाली भूमि होनी चाहिए और पौधों को पर्याप्त धूप मिलनी चाहिए. अच्छी धूप मिलने से पौधों में लगने वाली बीमारियां नष्ट हो जाती हैं.
कमा सकते हैं लाखों
गुलाब के पौधे लगाने से पहले बीजों को नर्सरी में 4 से 6 सप्ताह के लिए बोया जाना चाहिए. पौधे तैयार होने के बाद उन्हें खेत में लगाया जा सकता है. गुलाब के पौधों को कलम विधि से भी उगाया जा सकता है. पौधों को 7-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता होती है. गुलाब के फूलों के साथ-साथ उसके डंठल भी बेचे जा सकते हैं. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि एक हेक्टेयर में गुलाब की खेती में करीब 80 हजार से लेकर 1 लाख रुपये की लागत आती है. जिसके बाद किसान भाई उससे 5 लाख रुपये तक बचा सकते हैं.
इन कामों में भी आता है गुलाब
गुलाब का फूल सिर्फ सजावट और खुशबू के लिए ही नहीं, बल्कि गुलाब जल, इत्र, गुलकंद और दवाओं में भी उपयोग होते हैं. बहुत सी कंपनियां ऐसी हैं जो किसानों से सीधे गुलाब खरीदती हैं, जिसके लिए उन्हें अच्छी रकम भी मिलती है.
किन बातों का रखना होगा ख्याल?
उच्च गुणवत्ता वाले बीज और रोपण सामग्री का उपयोग करें. अपनी फसलों को नियमित रूप से पानी दें और खाद दें. कीटों और रोगों से अपनी फसलों की रक्षा करें. अपनी फसलों की कटाई और भंडारण के लिए उचित तरीकों का उपयोग करें.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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