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Rubber Production: रबर का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने बनाया ये प्लान, इन राज्यों के किसानों को मिलेगा खूब फायदा

Rubber Board: हर साल नॉर्थ-ईस्ट रीजन से रबर का 2 लाख मीट्रिक टन प्रोडक्शन मिलता है. अब इस रीजन के 7 राज्यों में रबर का उत्पादन क्षेत्र बढ़ाकर साल 2025 तक 2 लाख हेक्टेयर तक ले जाने की योजना है.

Rubber Cultivation: भारत में रबर को सफेद सोना भी कहते हैं. इसकी खेती कई राज्यों में की जा रही है, लेकिन घरेलू आवश्यकता को पूरा करने के लिए ये काफी नहीं है, इसलिए कई बार रबर का आयात करना पड़ता है. जैसा कि साल 2021-22 में हुआ. इस साल 12.3 लाख टन नेचुरल रबर की खपत का अनुमान था, जबकि उत्पादन 7.7 लाख टन ही था.

अब घरेलू खपत को पूरा करने के लिए भारत ने 7,500 करोड़ का रबर आयात किया. एक तरह से देखा जाए तो देश में बढ़ती रबर की मांग के बीच आयात पर निर्भरता बढ़ती जा रही है, जिसके लिए सरकार ने अपने देश में रबर के उत्पादन क्षेत्र का विस्तार करने की योजना एनई मित्र बनाई है. रबर बोर्ड की इस स्कीम का लक्ष्य पूर्वोत्तर के 7 राज्यों में रबर का उत्पादन बढ़ाना है, जिससे कि रबर के आयात पर निर्भरता को कम किया जा सके.

क्या है एनई मित्र स्कीम

मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, रबर बोर्ड के चेयरमेन डॉ. सावर धनाणिया बताते हैं कि रबर की खेती का रकबा और उत्पादन बढ़ाने के लिए पूर्वोत्तर के 7 राज्यों में एनई मित्र योजना लॉन्च की है. इस स्कीम के तहत नॉर्थ-ईस्ट रीजन में साल 2025 तक रबर का उत्पादन बढ़ाकर 2 लाख हेक्टेयर तक ले जाने का लक्ष्य है. उन्होंने बताया कि सिक्किम के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा की जलवायु रबर की खेती के लिए काफी अनुकूल है. केरल के बाद रबर का दूसरा बड़ा उत्पादक त्रिपुरा भी पूर्वोत्तर क्षेत्र का ही राज्य है. सिर्फ 40 लाख की आबादी वाले इस राज्य में रबर उत्पादकों की संख्या 1.15 लाख है.

कोरोना में बढ़ा उत्पादन

रबर बोर्ड के चेयरमेन डॉ. सावर धनाणिया ने यह भी बताया कि कोरोना महामारी के बावजूद त्रिपुरा ने रबर के उत्पादन में काफी तरक्की हासिल कर ली है. साल 2021 तक 2,374 हेक्टेयर में रबर की खेती का रकबा बढ़कर साल 2022 में 8,400 हेक्टेयर तक पहुंच गया है. अब रबर बोर्ड ने भी त्रिपुरा में रबर क्षेत्र के विकास-विस्तार के लिए 500 करोड़ के प्रोजेक्ट को सब्मिट किया गया है. हमने यह भी पाया है कि रबर में रबर वुड के उत्पादन की भी काफी संभावनाएं हैं, इसलिए रबर आधारित उद्योगों के प्रोत्साहन के लिए त्रिपुरा के मुख्यमंत्री को प्रस्ताव भी दिया है. 

पीपीपी मॉडल के तहत रबर प्रोसेसिंग का प्लान

रबर बोर्ड के चेयरमेन डॉ. सावर धनाणिया बताते हैं कि रबर के उत्पादन के साथ-साथ त्रिपुरा वन विकास निगम लिमिटेड (TFDPC) पश्चिम त्रिपुरा जिले के आनंदनगर में रबर की लकड़ी का कारखाना चला रहा है, जहां TFDPC लगाए गए पुराने रबर के पेड़ों की प्रोसेसिंग की जाती है. हम चाहते हैं कि राज्य सरकार पीपीपी मॉडल के तहत निजी क्षेत्र में भी रबर वुड की प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित करें, जिससे कि रबर उत्पादक को भी सही जगह पेड़ों को बेचने की सुविधा मिल जाए. डॉ.धनाणिया का सुझाव है कि सिपाहीजाला जिले के 17,000 हेक्टेयर में रबर का प्लांटेशन है. यहां रबर की फैक्ट्री भी लगाई जा सकती है.

इन देशों से हो रहा रबर का आयात

रबर की घरेलू खपत को पूरा करने के लिए इंडोनेशिया, वियतनाम, थाइलैंड और कोटे डी आइवर (आइवरी कोस्ट) से 5.46 लाख टन रबर का आयात किया गया है, जिसका कुल खर्च करीब 7,500 करोड़ रुपये रहा. वहीं एक्सपर्ट्स का अुनमान है कि साल 2030 तक रबर की घरेलू खपत बढ़कर 20 लाख टन हो सकती है. ऐसे में अभी से विदेशी मुद्रा को बचाने और रबर उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रयास करते रहना होगा.  

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

यह भी पढ़ें:  जैविक खेती करने का मन बना रहे हैं तो नोट कर लें ये 5 योजनाएं, ट्रेनिंग-मार्केटिंग, फंड तक का हो जाएगा काम

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