Future Economy Leadership Award: भारत में अब कैमिकल मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. पिछले कई सालों में प्राकृतिक खेती करके किसानों ने कम खर्च में दोगुना आय ली है. कृषि मंत्रालय ने आंकड़े जारी करके बताया है कि देश में करीब 10 लाख हेक्टेयर रकबा प्राकृतिक खेती (Natural Farming) से कवर हो रहा है.


क्षेत्रफल की बात करें तो गुजरात पहले नंबर पर है, लेकिन आंध्र प्रदेश के किसानों 6.30 किसानों के प्राकृतिक खेती का अभ्यास करने की रिपोर्ट है, जो भारत में सबसे ज्यादा है. हाल ही में आंध्र प्रदेश ने विश्व पटल पर भारत के कृषि क्षेत्र को बड़ा नाम दिया है. मिस्र में संयुक्त राष्ट्र संघ के CoP27 सम्मेलन में आंध्र प्रदेश की रायथू साधिकारा संस्था (RySS) ने 'फ्यूचर इकोनॉमी लीडरशिप अवार्ड' जीता है.


RySS ने जीता फ्यूचर इकोनॉमी लीडरशिप अवार्ड


रायथु साधिकारा संस्था एक गैर लाभकारी किसान सशक्तिकरण समूह है, जिसका मेन फोकस जैविक खेती और प्राकृतिक खेती पर ही रहता है. इस संस्था ने आंध्र प्रदेश समुदाय प्रबंधित प्राकृतिक खेती (APCNF) को लागू किया है. इसके तहत अगस्त 2020 तक 3,700 से ज्यादा ग्राम पंचायतों को कवर किया जा रहा है, जिसे 13,371 ग्राम पंचायतों तक ले जाने की योजना है. इसमें रायथु साधिकारा संस्था का भी अहम रोल है.


इस संस्था कार्यकारी उपाध्यक्ष थल्लम विजय कुमार ने 5 से 6 नवंबर को आयोजित CoP27 की दो दिवसीय संगोष्ठी में भाग लिया था. यहीं आंध्र प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए रायथु साधिकारा संस्था को  'फ्यूचर इकोनॉमी लीडरशिप अवार्ड' मिला. इससे पहले भी किसान समुदायों के बीच जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए इस संस्था ने 'जैविक खाद्य भारतीय प्रतियोगिता 2022' के लिए 'अखिल भारतीय पुरस्कार (जैविक इंडिया अवार्ड्स) भी अपने नाम करवाया है.


आंध्र प्रदेश में प्राकृतिक खेती


आंध्र प्रदेश के करीब 2.9 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती की जा रही है. साल 2031 तक करीब 60 लाख किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर ले जाने का लक्ष्य है. इस काम में राज्य सरकार का प्रोत्साहन और किसान की मेहनत शामिल है. देश में प्राकृतिक खेती का सबसे ज्यादा रकबा गुजरात ने 3.17 लाख हेक्टेयर कवर किया है. इस लिस्ट में  2.9 लाख हेक्टेयर के साथ आंध्र प्रदेश और 1.11 लाख हेक्टेयर के साथ मध्य प्रदेश भी शामिल है.


इसके अलावा, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और जम्मू-कश्मीर भी जीरो बजट प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं. इसका फायदा भी किसानों को ही मिल रहा है. देश में प्राकृतिक और जैविक उत्पादों की मांग और कीमत काफी अच्छी है. इसी के साथ-साथ विदेशों में भी नेचुरल और ऑर्गेनिक उत्पादों को निर्यात किया जा रहा है. 


दुनिया का अगला मिशन 'प्राकृतिक खेती'


रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों से ना सिर्फ हमारी मिट्टी, पर्यावरण और फसलों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है, बल्कि ये लोगों की सेहत के लिए भी घातक साबित होता जा रहा है. कई रिसर्च में सामने आया है कि खेती में रसायनों के इस्तेमाल से कैंसर, ब्लड़ प्रैशर और हृदय रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है.


यही कारण है कि पूरी दुनिया में भारत के जैविक उत्पादों का डंका बज रहा है. देश-विदेश से किसान और एक्सपर्ट्स अब जैविक खेती और प्राकृतिक खेती को सीखने-समझने भारत आ रहे हैं. वहीं प्राकृतिक खेती को लेकर आंध्र प्रदेश की रायथु साधिका संस्था ने फ्यूचर इकोनॉमी लीडरशिप अवार्ड जीतकर एक बार फिर दुनिया का ध्यान भारतीय कृषि की ओर खींचा है.


अब दुनिया को कम लागत में खेती करने का नया नुस्खा मिल गया है. इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बंजर जमीनों को उपजाऊ बनाने खास मदद मिलेगी. दुनिया में भारत के प्राकृतिक और जैविक उत्पादों की मांग बढ़ेगी और यहां देश में इन उत्पादों की अच्छी कीमत मिलने से किसानों की आय बेहतर होगी.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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